“क्या तुम मुझसे अब भी नाराज हो कि मैं तुम्हारे मनपसंद विभाग को छोटा करने जा रहा हूं?” इवलिन के प्रबंधक ने उससे पूछा। “नहीं।“ कहते हुए उसने अपने जबड़ों को भींचा। वह इस बात से और भी परेशान थी कि वह अधिकारी उसको इसके विषय परेशान कर रहा था। वह विभिन्न रूचि समूहों को आकर्षित करने के तरीके ढूंढ़कर कम्पनी की सहायता करने का प्रयास कर रही थी, लेकिन सिमित स्थान ने इसे लगभग असंभव बना दिया l इवलिन अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन निर्णय लिया कि जो उसका अधिकारी कहेगा वह वही करेगी। हो सकता है कि वह उन परिवर्तनों को न ला सकी जिन्हें वो आशा करती थी, परंतु वह अब भी अपना काम अपनी क्षमता के अनुसार कर सकती थी l
प्रेरित पतरस की पहली पत्री में, उसने पहली सदी के विश्वासियों से “मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबंध के अधीन” रहने के लिए आग्रह किया (1 पतरस 2:13)। एक कठिन कार्य-स्थल में ईमानदारी बनाए रखना सरल नहीं है l परंतु पतरस हमें निरंतर अच्छा करने के लिए एक कारण को देता है : “अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; ताकि जिन-जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकार बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्हीं के कारण कृपा-दृष्टि के परमेश्वर की महिमा करें (पद.12)। इसके अलावा, यह ध्यान देनेवाले अन्य विश्वासियों के लिए धर्मनिष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करने में हमारी सहायता करेगा l
यदि हम वास्तव में एक अपमानजनक कार्य स्थिति में हैं, यदि संभव हो तो उसे त्यागना ही सर्वोत्तम होगा (1 कुरिन्थियों 7:21)। परंतु सुरक्षित वातावरण में, आत्मा की सहायता से हम हमारे कार्य में अच्छा कर सकते हैं याद रखते हुए कि “यह परमेश्वर को भाता है” (पद.20) l जब हम अधिकारियों के आधीन होते हैं, तो हम दूसरों को परमेश्वर का अनुसरण करने और महिमा देने का कारण देते हैं l
जब आप एक कठिन स्थिति में किसी अन्य अधिकारी के आधीन हैं तो आप विशिष्ट रूप से क्या करते हैं? इन सब के मध्य परमेश्वर आप में कैसे कार्य करने का प्रयत्न कर रहा होगा?
स्वर्गीय पिता, मेरे द्वारा सामना की जाने वाली कठिन परिस्थितियों के बावजूद अधिकारियों के प्रति मेरे प्रतिउत्तर में आपको सम्मान देना जारी रखने में मेरी सहायता करें l प्रत्येक दिन को जीने में मेरी मदद कर जिससे आप महिमान्वित होते हैं l