जब उन्होंने बहु-पीढ़ी आराधना सभा में स्तुति के गीत गाए, कईयों ने आनंद और शांति का अनुभव किया। परंतु एक थकी हुए मां नहीं l जब वह अपने बच्चे को झुला रही थी, जो रोने पर था, उसने अपने पांच वर्ष के बच्चे के लिए गीत की पुस्तक पकड़ रखी थी और साथ ही साथ अपने छोटे बच्चे को दूर जाने से रोकने का प्रयास कर रही थी l तभी पीछे बैठे एक वरिष्ठ सज्जन ने उस स्त्री से कहा कि लाइए मैं आपके बच्चे को चर्च के आस-पास घुमा लाऊँ और एक युवा स्त्री ने इशारा किया कि वह उनके बड़े बच्चे के लिए गीत पुस्तक को पकड़ लेगी l 2 मिनट के अंदर उस मां का अनुभव बदल गया और वह साँस ले सकी, अपनी आखें बंद कर सकी, और परमेश्वर की आराधना कर सकी ।

परमेश्वर ने हमेशा से चाहा कि उसके लोग उसकी आराधना करें─पुरुष और स्त्री, वृद्ध और युवा, लम्बे समय से विश्वासी, और नवागंतुक l प्रतिज्ञात देश में पहुँचने से पहले जब मूसा ने इस्राएल के गोत्रों को आशीष दी, उसने उनसे एक साथ इकठ्ठा होने का आग्रह किया, “क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या तुम्हारे फाटकों के भीतर के परदेशी,” कि वे “सुनकर सीखें, और तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का भय मानकर” उसकी आज्ञाओं का पालन करें (व्यवस्थाविवरण 31:12)।  यह परमेश्वर को आदर देता है जब हम उसके लोगों के लिए एक साथ उसकी आराधना करना संभव बनाते हैं, चाहे हमारे जीवन की कोई भी अवस्था हो l 

चर्च में उस सुबह, वह माँ, वरिष्ठ सज्जन, और वह युवा स्त्री प्रत्येक ने देने और लेने के द्वारा परमेश्वर के प्रेम का अनुभव किया l शायद अगली बार जब आप चर्च में हैं, आप भी किसी की मदद करके परमेश्वर का प्रेम फैला सकते हैं या आप विनीत कार्य को स्वीकारने वाले बन सकते हैं l