येल विश्वविद्यालय के लम्बे समय तक रहे प्रोफेसर, यारोस्लाव पेलिकन, को “मसीही इतिहास में उनकी पीढ़ी का श्रेष्ठ विशेषाधिकार” माना जाता था, अपने व्यापक अकादमिक करियर के लिए सुप्रसिद्ध थे l उन्होंने 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की और अपने विशालकाय लेखन के लिए जीवन-काल पुरस्कार के रूप में माननीय क्लूज प्राइज(Kluge Prize) जीता l उनके एक छात्र ने, हालाँकि, अपने शिक्षक के सर्वश्रेष्ठ शब्दों का वर्णन किया, जो उन्होंने अपने मृत्यु शय्या पर कहे थे : यदि मसीह जी उठा है, तो और किसी बात का कोई मूल्य नहीं है l और यदि मसीह नहीं जी उठा─तो और किसी बात का कोई मूल्य नहीं है।“

पेलिकन पौलुस के दृढ़ मत को प्रतिध्वनित करते हैं : “यदि मसीह नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है, और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है” (1 कुरिन्थियों 15:14)। प्रेरित बहुत साहसिक कथन कहता है क्योंकि वह जानता था कि पुनरुत्थान मात्र एक बार होने वाला आश्चर्यकर्म नहीं है लेकिन निःसंदेह ही मानव इतिहास में परमेश्वर के उद्धारक काम का परमोत्कर्ष l पुनरुत्थान का वायदा केवल उसका निश्चय नहीं था कि यीशु मृतकों में से जी उठेगा परंतु उसकी निर्भीक अभिपुष्टि कि दूसरे मृत एवं तबाह चीजें (जीवन, पड़ोस, सम्बन्ध) एक दिन मसीह के द्वारा पुनः जीवित कर दिए जाएंगे। हालाँकि, यदि पुनरुत्थान नहीं होता, पौलुस जानता था कि हम गंभीर समस्या में होते l यदि पुनरुत्थान नहीं है, तब मृत्यु और विनाश की जीत होती है l 

परंतु, निस्संदेह, “मसीह मुर्दों में से जी उठा है” (पद. 20) l विजेता द्वारा विध्वस्त, मृत्यु हार गयी l और यीशु सब पीछे आनेवाले जीवन में “पहला फल” हुआ l उसने बुराई और मृत्यु को पराजित किया ताकि हम निर्भीक और स्वतंत्र जीवन जी सकें l यह सब कुछ बदल देता है l