मेरे मित्र ने याद किया कि कैसे एक सह-विश्वासी व सहयोगी ने उससे स्पष्ट रूप से पूछा कि वह किस राजनीतिक दल से संबंध रखती है। प्रश्न को पूछने का उनका कारण यह अनुमान लगाना था कि क्या वह उनके साथ वर्तमान में अपने समुदाय को विभाजित करनेवाले किसी भी मुद्दे पर सहमत हैं l दोनों पक्षों के बीच सामान्य आधार खोजने के प्रयास में, उसने बस उत्तर दिया, “इसलिए कि हम दोनों विश्वासी हैं, इसलिए मैं निसंदेह ही मसीह में अपनी एकता पर ध्यान देना पसंद करूंगी l”
पौलुस के दिनों में भी लोग विभाजित थे, यद्यपि विभिन्न मुद्दों पर l रोम में मसीहियों के बीच किन खाद्य पदार्थों को खाने की अनुमति थी और किन दिनों को पवित्र माना जाता था, जैसे विषयों पर असहमति थी l जिस भी मत पर वे थे, उसके विषय “अपने मन में पूरी तरह आश्वस्त” होने के बावजूद, पौलुस उन्हें उनके सामान्य आधार की याद दिलाता है : यीशु के लिए जीना (रोमियों 14:5-9) l एक दूसरे पर फैसला सुनाने के स्थान पर, उसने उन्हें “मेल-मिलाप और एक दूसरे का सुधार” करने के लिए उत्साहित किया (पद.19) l
ऐसे युग में जब अनेक देश, कलीसिया, और समुदाय बड़े और छोटे मुद्दों पर विभाजित हैं, हम अपने जीवन को मसीह के साथ अनंत काल तक सुरक्षित करने के लिए क्रूस पर मसीह के कार्य के एक करने वाली सच्चाई की ओर एक दुसरे को इंगित कर सकते हैं l पौलुस की ताकीद कि हमें अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण के द्वारा “परमेश्वर का काम [नहीं बिगड़ना है] (पद.20) जैसे कि 2,000 वर्ष पूर्व था l एक दूसरे का न्याय करने की अपेक्षा, हम प्रेम के साथ आचरण कर सकते हैं और ऐसा जीवन जी सकते हैं जिससे हमारे भाई और बहन को आदर मिले।
आपके और एक अन्य विश्वासी के बीच विचारों में असहमति से विभाजन कब हुआ था? यदि आपने अपने मतभेदों को सुलझा लिया, तो आपने यह कैसे किया?
यीशु, मुझे बचाने के लिए आपको धन्यवाद । मुझे उन समयों के लिए क्षमा कर जब मैं छोटे मुद्दों से विचलित हो जाता हूँ और अपने और अन्य विश्वासियों के बीच विभाजन होने देता हूँ l मेरी सहायता कर कि मैं आप पर ध्यान केंद्रित करके एकता स्थापित करूं।