कीमोथेरेपी ने मेरे ससुर के अग्नाशय में ट्यूमर को छोटा कर दिया, जब तक कि ऐसा नहीं हुआ l जब वह ट्यूमर दोबारा बढ़ने लगा, उन्हें जीवन और मृत्यु के चुनाव के साथ छोड़ दिया गया l उन्होंने अपने डॉक्टर से पूछा, “क्या मुझे और कीमो लेना चाहिए या कुछ और, शायद एक दूसरी दवाई या फिर रेडिएशन?”
यहूदा के लोगों के पास भी इसी प्रकार का मृत्यू और जीवन का प्रश्न था l युद्ध और अकाल से थकित, परमेश्वर के लोगों ने सोचा कि क्या उनकी समस्या अत्यधिक मूर्तिपूजा थी या पर्याप्त नहीं थी l उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि उन्हें एक झूठे देवता को और अधिक बलिदान चढाने चाहिए और देखना चाहिए कि क्या वह उनकी रक्षा करेगी और उन्हें समृद्ध करेगी (यिर्मयाह 44 :17)।
यिर्मयाह कहता है कि उन्होंने अपनी परिस्थिति का बेतहाशा गलत पड़ताल किया है l उनकी समस्या मूर्तियों के प्रति प्रतिबद्धता की कमी नहीं थी; उनकी समस्या यह थी कि उनके पास वे थीं l उन्होंने भविष्यवक्ता से कहा, “जो वचन तूने हम को यहोवा के नाम से सुनाया है, उसको हम नहीं सुनने की” (पद.16) l यिर्मयाह में उत्तर दिया “क्योंकि तुम धूप जलाकर यहोवा के विरुद्ध पाप करते और उसकी नहीं सुनते थे, और उसकी व्यवस्था और विधियों और चितौनियों के अनुसार नहीं चले, इस कारण यह विपत्ति तुम पर आ पड़ी है” (यिर्मयाह 44:23) l
यहूदा की तरह, हम उन पापपूर्ण विकल्पों को दुगना करने के लिए परीक्षा में पड़ सकते हैं जिन्होंने हमें संकट में डाल दिया है l संबंध की समस्याएं? हम और अलग हो सकते हैं। आर्थिक विषय? हम खुशी पाने के लिए अपनी मर्जी से खर्च करेंगे l दरकिनार किया गया? हम उनकी तरह ही निर्दई हो जाएंगे। परंतु मूर्तियां जिन्होंने हमारी समस्याओं को बढ़ाया है हमें बचा नहीं सकती हैं । केवल यीशु ही हमें हमारी समस्याओं से बाहर लेकर आ सकता है जब हम उसकी ओर मुड़ते हैं।
आप कैसी व्यक्तिगत् समस्या से घिरे हैं और आप किस प्रकार पापपूर्ण तरीके से प्रतिक्रिया करने के लिए परीक्षा में हैं? आपको क्या लगता है कि यीशु आपसे क्या करवाना चाहते हैं?
यीशु, मैं आपके बिना सफल होने की अपेक्षा आपके साथ असफल होना पसंद करूंगा।