अभी गहन-चिकित्सा(intensive-care) हॉस्पिटल में सुबह का 3 बजा है। एक चिंतित मरीज एक घंटे में चौथी बार कॉल बटन दबाता है l रात की पाली की नर्स बिना किसी शिकायत के उत्तर देती है l शीघ्र ही एक और मरीज ध्यानाकर्षित करने के लिए चिल्ला रहा है l नर्स चकित नहीं है l उसने अपने हॉस्पिटल के दिन के हलचल से बचने के लिए पाँच वर्ष पूर्व रात की पाली का आग्रह किया था l फिर सच्चाई सामने आई l अक्सर रात के काम का अर्थ अतिरिक्त काम जैसे मरीज को खुद उठाना और घुमाना होता है l इसका अर्थ रोगी की स्थितियों की ध्यानपूर्वक देख-रेख करना होता है ताकि आपात स्थिति में डॉक्टरों को सूचित किया जा सके l 

अपने रात के सहकर्मियों के साथ निकट मित्रता से हर्षित, यह नर्स अभी भी पर्याप्त नींद लेने के लिए संघर्ष करती है l अक्सर, वह अपने कार्य को प्रमुखता देते हुए, अपनी कलीसिया से प्रार्थना करने के लिए कहती है l “परमेश्वर की प्रशंसा हो, उनकी प्रार्थनाएं अंतर लाती है l”

रात के एक कार्यकर्ता के लिए उसकी प्रशंसा अच्छी और सही है─साथ ही साथ हम सब के लिए भी l भजनकार ने लिखा, “हे यहोवा के सब सेवकों, सुनो, तुम जो रात रात को यहोवा के भवन में खड़े रहते हो, यहोवा को धन्य करो! अपने हाथ पवित्रस्थान में उठाकर, यहोवा को धन्य कहो” (भजन संहिता 134:1-2)।

मंदिर में सेवक/प्रहरी का कार्य करने वाले, लेवियों के लिए लिखा गया यह भजन, उनके अत्यावश्यक कार्य को स्वीकार करता है─जो दिन और रात मंदिर की सुरक्षा करते थे l हमारे नॉनस्टॉप/निरंतर संसार में, रात में काम करनेवाले कार्यकर्ताओं के लिए इस भजन को साझा करना विशेष रूप से उचित है, फिर भी हममें से हर एक रात में परमेश्वर की स्तुति कर सकता है l जैसे कि भजनकार आगे कहता है, “यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, वह सिय्योन में से तुझे आशीष देवे (पद.3)।