मेरी बेटी के शुरुआती दिनों में, मैं अक्सर उसके सामने आने वाली चीज़ों का नाम लेती थी। मैं वस्तुओं को पहचानती या उसे कुछ अपरिचित चीज छूने देती और उसके नाम को बोलती थी ,और इस तरह जिस विशाल दुनिया की  वह खोज कर रही थी  उसके लिये समझ और एक शव्दावली उसे दे रही थी। भले ही मैं और मेरे पति ने स्वाभाविक रूप से अपेक्षा (आशा) की थी कि  उसका पहला शब्द मम्मा या डैडी होगा,  पर उसने पूरी रीति से एक फरक शब्द बोलकर हमें आश्चर्य में डाला, उसके छोट्टेमुंह ने एक दिन बुदबुदाया डाईट जो मैंने अभी–अभी उसके साथ बाँटा था लाईट उसका एक मीठा, गलत उच्चारण वाली गूंज ।

प्रकाश हमारे लिए बाइबल में दर्ज परमेश्वर द्वारा बोले गये पहले शब्दों में से एक है। जब  परमेश्वर का आत्मा एक अंधेरी, निराकार और खाली पृथ्वी पर मँडरा रहा था, तो परमेश्वर ने अपनी सृष्टि में यह कहते हुए प्रकाश का परिचय दिया “उजियाला हो” (उत्पत्ति 1:3)। उसने कहा कि प्रकाश अच्छा था, जिसे शेष पवित्रशास्त्र ने दिखाया है, भजनकार समझाता है कि परमेश्वर के वचन हमारी समझ को प्रकाशित करते हैं (भजन संहिता 119:130), और यीशु स्वयं को संसार की ज्योति के रूप में संदर्भित करता है जो प्रकाश का दाता है। जीवन के प्रकाश का देने वाला (यूहन्ना 8:12)।

परमेश्वर ने अपने सृष्टि के निर्माण के काम में सबसे पहले जो बोला वह ज्योति देने के लिए था। यह इसलिए नहीं था की उसे अपने काम करने के लिए ज्योति चाहिए, नहीं,  वह ज्योति हमारे लिए थी। ज्योति हमें उसे देखने और हमारे चारों तरफ उसकी सृष्टी में उसके उँगलियों के निशान पहचानने में, क्या अच्छा है और क्या नहीं पर भेद करने में, और इस विशाल संसार में यीशु का एक बार में एक कदम अनुसरण करने के लिये  सक्षम बनाता है।