सूर्यमुखी की लड़ाई
हमारे पड़ोस की गायें (मेरे दोस्त)और मेरी, फूलों के पौधों के बारे में दो अलग–अलग राय है। जब मैं हर गर्मियों में फूलों के पौधे लगाता हूँ, मैं उनके खिलने की सुंदरता की प्रतीक्षा करता हूं। मेरे गाय मित्र, हालांकि तैयार उत्पाद की परवाह नहीं करते हैं, वे केवल तनों और पत्तियों को तब तक चबाना चाहते हैं जब तक कि कुछ न बचे। यह एक वार्षिक ग्रीष्मकालीन युद्ध है, क्योंकि इससे पहले कि मेरे चार खुर वाले पड़ोसी उन फूलों को खा लें, मैं उन फूलों को उनकी सम्पूर्णता तक देखना चाहता हूं । कभी–कभी मैं जीत जाता हूं, कभी–कभी वे जीत जाते हैं।
जब हम यीशु में विश्वासियों के रूप में अपने जीवन के बारे में सोचते हैं, तो हमारे और हमारे शत्रु शैतान के बीच इसी तरह की लड़ाई को देखना आसान हो जाता है। हमारा लक्ष्य निरंतर विकास है जो आध्यात्मिक परिपक्वता की ओर ले जाता है जो हमारे जीवन को परमेश्वर के सम्मान के लिए खड़ा करने में मदद करता है। शैतान हमारे विश्वास को निगल जाना चाहता है और हमें बढ़ने से रोकना चाहता है। परन्तु यीशु का “हर एक सामर्थ” पर प्रभुत्व है और वह हमें “पूर्णता” तक पहुंचा सकता है (कुलुस्सियों 2:10) जिसका अर्थ है कि वह हमें पूर्ण बनाता है। क्रूस पर मसीह की जीत हमें उन खूबसूरत फूलों की तरह दुनिया में सबसे अलग दिखाई देने की अनुमति देती है।
जब यीशु ने “हमारे खिलाफ आरोपों का रिकॉर्ड” (मारे पापों के लिए दंड)को सूली पर चढ़ा दिया (पद 14) तो उसने हमें नियंत्रित करने वाली शक्तियों को नष्ट कर दिया। हम उसमें जड़ पकड़ते गये और दृढ़ होते गये (पद 7) और मसीह के साथ जीवित हुये (पद 13)। उसमें हमारे पास शत्रु के आत्मिक आक्रमणों का विरोध करने और यीशु में फलने–फूलने की शक्ति (पद 10) है—सच्ची सुंदरता का जीवन प्रदर्शित करना।
हमारा परमेश्वर कितना महान है!
लोगों को पहचानने के लिए उंगलियों के निशान लम्बे समय से इस्तेमाल किये गये है, पर उनके प्रतियां बनाकर धोखा दिया जा सकता है। उसी प्रकार से, मनुष्य की आंख की पुतली का पैटर्न आईडी के लिए एक विश्वसनीय स्रोत है, जब तक कोई परिणाम गलत करने के लिए कांटेक्टलेंस पहन कर पैटर्न बदल नहीं देता। किसी व्यक्ति को पहचानने के लिए बॉयोमीट्रिक (शारीरिक चिन्ह) के उपयोग को असफल किया जा सकता है। तो, एक विशिष्ट पहचान के लक्षणों का कैसे पता चलता है? सबकी रक्त–वाहिकाओं का पैटर्न अद्वितीय है और नकल के लिए लगभग असम्भव। आपका अपना निजी नसों का नक्शा एक खास तरह की आपकी पहचान है जो आपको सब से अलग करता है।
मनुष्य की ऐसी जटिलताओं पर विचार करने से उस सृष्टिकर्ता के लिए आराधना और आश्चर्य की भावना पैदा होनी चाहिए जिसने हमें बनाया है। दाउद ने हमें याद दिलाया कि “हम भयभीत और अद्भुत तरीके से बनाए गए हैं” भजनसंहिता 139:14, और यह निश्चित रूप से जश्न मनाने लायक है। वास्तव में भजन संहिता 111:2 हमें स्मरण दिलाता है: “यहोवा के काम महान हैं जो उन से प्रसन्न होते हैं वे उन पर विचार करते हैं।”
हमारे ध्यान के और भी अधिक योग्य स्वयं दिव्य निर्माता हैं। परमेश्वर के महान कार्यों का जश्न मनाते हुए, हमें उसके लिये भी जश्न मनाना चाहिए! उसके काम महान हैं लेकिन वह उससे भी बड़ा है जिससे भजनकार को प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया, “क्योंकि तू महान है और अद्भुत काम करता है केवल तू ही परमेश्वर है” ( 86:10)।
आज जैसे हम परमेश्वर के कार्य की महानता पर विचार करते है, हम इस बात पर भी अचम्भा करें कि वह कौन है।
माँ की तरह प्यार
मालिनी ने अपने पोते को 1943 के बंगाल अकाल के दौरान बड़े होने के बारे में बताया। उसके गरीब परिवार को खाने के लिए सिर्फ चावल दलिया था, और अधिकांश समय वे भूखे ही रहें। उसके पिता शायद ही कभी कुछ मछलियां घर लाते जो वह रात के खाने के लिए पकड़ते थे, और उसकी माँ कहती “मुझे वह मछली का सिर देना। मुझे सिर्फ वही खाना है। वह सबसे अच्छा टुकड़ा है।” वर्षों बाद मालिनी ने एहसास किया की मछली के सिर में शायद ही कोई मांस था, उसकी माँ वास्तव में उसे नहीं खाती थी। वह सिर्फ दिखावा करती थी कि वह स्वादिष्ट था ताकि हम बच्चों को खाने के लिए ज्यादा मिलता और हम उसके बारे में चिंता नहीं करते।
कल जब हम मातृत्व दिवस मनाये, तो हम भी हमारे माँ के प्रेम और निष्ठा की कहानियों को याद करें। हम परमेश्वर को उनके लिए धन्यवाद दे और उनके जैसे और अधिक प्यार करने का प्रयास करें।
पौलुस ने “जिस तरह माता अपने बालकों का पालन–पोषण करती है” (1 थिस्सलुनीकियों 2:7) उस तरह थिस्सलुनीकियों की कलीसिया की सेवा की। उसने उससे अत्याधिक प्रेम किया उन्हें यीशु के बारे में बताने और अपने जीवन को उनके साथ बाँटने के लिए कठोर विरोधियों से लड़ा (पद 2:8)। “हम ने इसलिये रात दिन काम धन्धा करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार किया कि तुम में से किसी पर भार न हों।” (पद 9)। बिल्कुल माँ की तरह।
कुछ ही माँ के प्यार का विरोध कर सकते हैं, पौलुस ने कहा कि उसके प्रयास “बिना परिणाम के नहीं थे” (पद् 1) । दूसरे प्रतिक्रिया कैसे करते हैं हम उसे नियंत्रित नहीं कर सकते, पर हम एच्छिक रूप से दिन प्रति दिन उनकी सेवा करना चुन सकते हैं । माँ को इस पर गर्व होगा, और हमारे स्वर्गीय पिता को भी होगा।
वह जानता है
यमुना नर्स के रूप में मुम्बई में एक नौकरी शुरू करने वाली थी। वह अपने परिवार के लिए गाँव से ज्यादा कमा सकती थी, जहाँ नौकरी के अवसर सीमित थे। उसने जाने से पहले रात को अपनी बहन को निर्देश दिया जो उसकी 5 साल की बेटी का ध्यान रखती। “यदि तुम उसे एक चम्मच चीनी दो, तो वह अपनी दवाइयां पी लेगी” यमुना ने समझाया और, याद रखो वह शर्मीली है। वह अपने चचेरे भाई–बहनों के साथ अंततः खेलेगी। और वह अँधेरे से डरती है।
अगले दिन ट्रेन की खिड़की से बाहर देखते हुए यमुना ने प्रार्थना की प्रभु मेरी बेटी को मेरे जैसे कोई नहीं जानता। मैं उसके साथ नहीं रह सकती, पर आप रह सकते हैं।
जिनसे हम प्रेम करते हैं हम उन्हें जानते हैं, और हम उनकी सारी बातों पर पर ध्यान देते हैं क्योंकि वह हमारे लिए अनमोल है। जब हम विभिन्न परिस्थितियों के कारण उनके साथ नहीं रह सकते, तो हम अक्सर चिंतित रहते हैं क्योंकि जितना हम उन्हें जानते है उतना कोई नहीं जानता, वे नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
भजन 139 में दाऊद हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमें किसी और से ज्यादा जानता है। उसी तरह वह हमारे प्रियजनों को घनिष्टता से जानता है (पद1–4)।वह उनका सृष्टिकर्ता है (पद13–15) इसलिए वह उनकी जरूरतों को समझता है। वह जानता है कि प्रतिदिन उनकी जिंदगियों में क्या होगा।(पद16) और वह उनके साथ है और उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा (5: 7–10)
जब आप दूसरों के लिए चिंतित है, तो उन्हें परमेश्वर को सौंपे क्योंकि वह उन्हें सबसे अच्छे से जानता और सबसे ज्यादा प्यार करता।
हमारे पिता
ज्यादातर सुबह मैं प्रभु की प्रार्थना कहता हूँ। मैं नये दिन के अधिक योग्य नहीं होता जब तक मैं अपने आप को इन शब्दों में मजबूत नहीं कर लेता। अभी मैंने सिर्फ पहले तीन शब्द बोले थे “हे हमारे पिता” जब मेरे फोन की घंटी बजी। मैं चौंक गया क्योंकि सुबह के 5:43 बजे थे। सोचिय कौन हो सकता है? फ़ोन के डिस्प्ले पर डैड दिखाई दिया, इससे पहले मैं उत्तर देता कॉल कट गया। मैंने सोचा कि मेरे पिता ने गलती से फोन लगाया था। यकीन से, उन्होंने वैसे ही किया था। जान बूझकर या संयोग? हो सकता है, पर मैं विश्वास करता हूँ की हम सब परमेश्वर के दया से डूबे हुए संसार में रहते है। उस विशेष दिन मुझे हमारे पिता की उपस्थिति का आश्वासन चाहिए था।
उसके बारे में एक मिनट के लिए सोचे। उन सब तरीकों से जिससे यीशु ने अपने चेलों को उनकी प्रार्थना शुरू करना सिखाया, उन्होंने इन तीन शब्दों “हे हमारे पिता” (मत्ती6:9) से शुरू किया। क्या यह बिना सोचे समझे था? नहीं, यीशु अपने शब्दों को हमेशा विचारपूर्वक कहते थे। हम सब का अपने अपने सांसारिक पिता के साथ हमारा अलग—अलग रिश्ता है..कुछ अच्छा, कुछ उस से कम। जिस तरीके से हमें प्रार्थना करना चाहिए “मेरा” पिता या “तुम्हारा” पिता संबोधित करते हुए नहीं, परन्तु “हमारे पिता” जो हमें देखता है और हमारी सुनता है और जो हमारे मांगने से पहले जानता है की हमें क्या चाहिए। (पद8)
क्या ही अद्भुत आश्वासन है, खासतौर से उन दिनों में जब हम भूले हुए, अकेला, त्यागे हुए, या बस ज्यादा योग्य नहीं महसूस करते है। याद रखें, हम जहाँ भी हो और दिन या रात का कोई भी समय हो स्वर्ग में हमारा पिता हमेशा हमारे नजदीक है।