श्रीदेवी बचपन से ही गर्दन से नीचे तक लकवाग्रस्त थीं। जबकि अन्य बच्चे बाहर खेलते थे, वह अपनी जरूरतों के लिए दूसरों पर, विशेष रूप से अपने पिता पर बहुत अधिक निर्भर थी। उनके गांव में मसीही फिल्म ‘करुणामूर्ति’ की स्क्रीनिंग के एक मौके ने उनके जीवन को छू लिया, और उन्होंने अपना दिल मसीह के लिए समर्पित कर दिया। उसके बाद वह अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों के लिए प्रोत्साहन की दूत बन गईं।

वह अनुभव से जानती थी कि दुख अक्सर आता है, लेकिन परमेश्वर उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा जिनसे वह प्रेम करता है। हर कोई जो उसके पास निराशा के साथ आता था, उसने वह मसीह के प्रेम को साझा करती थी। अपनी दौड़ के अंत में, वह १८० से अधिक लोगों को प्रभु में लायी और कई जिनका जीवन उन्होंने छुआ था, वे स्वयं मिशनरी और सेवक बन गए।

मूसा ने भी कष्ट सहे और संघर्षों का सामना किया, परन्तु वह जानता था कि परमेश्वर की उपस्थिति उसके साथ है। जब उसने इस्राएलियों के नेतृत्व को यहोशू को सौंप दिया, तो उसने उस जवान से कहा कि वह हियाव बान्ध और दृढ़ हो, क्योंकि “तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्वर यहोवा है” (व्यवस्थाविवरण ३१:६)। मूसा ने यह जानते हुए कि इस्राएल के लोगों को वादा किए गए देश में प्रवेश करते और उसे लेते समय दुर्जेय शत्रुओं का सामना करना पड़ेगा, यहोशू से कहता है, “उनसे न डर न भयभीत हो” (पद ८)।

इस पतित संसार में मसीह के चेले कठिनाई और संघर्ष का सामना करेंगे, लेकिन हमारे पास सांत्वना देने और प्रोत्साहित करने के लिए परमेश्वर की आत्मा है। वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा।