हमारे तहखाने से उठने वाली उल्लासपूर्ण चीखें मेरी पत्नी शर्ली की आई थीं। घंटों तक उसने एक न्यूज़लेटर प्रोजेक्ट के साथ संघर्ष करा, और अब वह उसे लगभग समाप्त ही करने वाली थी। आगे बढ़ने की अपनी चिंता और अनिश्चितता में, उसने परमेश्वर की मदद के लिए प्रार्थना की थी। उसने फेसबुक दोस्तों से भी संपर्क किया था और जल्द ही यह प्रोजेक्ट पूरा हो गया था- एक टीम प्रयास।

जबकि एक समाचार पत्र प्रोजेक्ट जीवन में एक छोटी सी चीज है, छोटी (या कम छोटी) चीजें चिंता या व्याकुलता पैदा कर सकती हैं। शायद आप नए-नए माता-पिता बने है और बच्चे को पालने के अनुभव से गुज़र रहे है; या एक छात्र हो सकते है जो नए शैक्षिक चुनौतियों का सामना कर रहे हो; या ऐसा व्यक्ति जो अपने किसी प्रियजन को खोने का शोक मना रहे हो; या ऐसा कोई व्यक्ति जो घर, काम, या अपनी सेवकाई में चुनौती का अनुभव कर रहा हो। कभी-कभी हम अनावश्यक रूप से ऐसे कगार पर होते हैं क्योंकि हम परमेश्वर से सहायता नहीं मांगते हैं (याकूब ४:२)।

पौलुस ने फिलिप्पी में यीशु के अनुयायियों और हमें आवश्यकता के समय हमारी रक्षा का सबसे पहले हथियार केंद्रित करते हुए कहा: “किसी बात की चिन्ता न करना, परन्तु हर बात में प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपनी बिनती प्रस्तुत करना” (फिलिप्पियों ४:६)। जब जीवन जटिल हो जाता है, तो हमें इस भजन जैसे अनुस्मारक की आवश्यकता होती है “यीशु कैसा दोस्त प्यारा..” :”ओह क्या शांति हम अक्सर खोते, / ओह क्या नाहक गम उठाते हैं, / यह ही बाइस है यकीनन, / बाप के पास न जाते हैं। ”

और शायद हमारे परमेश्वर से सहायता माँगने में, वह हमें ऐसे लोगों से पूछने के लिए प्रेरित करेगा जो हमारी सहायता कर सकते हैं।