प्रतिदिन कई घंटों तक टीवी पर समाचार देखने के बाद, वह बुज़ुर्ग व्यक्ति घबरा गया और चिंतित हो गया—चिंतित इसलिए कि दुनिया बिखर रही है और उसे अपने साथ ले जा रही है l “कृपया टीवी बंद कर दें,” उसकी व्यस्क बेटी ने उनसे आग्रह किया l “सुनना तुरंत बंद कर दीजिए l” लेकिन वह व्यक्ति सोशल मीडिया और दूसरे समाचार स्त्रोतों में अधिकाधिक समय बिताता रहा l 

जो हम सुनते हैं वह गहराई से मायने रखता है l हम इसे यीशु का पिलातुस के साथ सामना करने में देखते हैं l धार्मिक अगुओं द्वारा उसके विरुद्ध अपराधिक अभियोग का उत्तर देते हुए, पिलातुस ने उसे बुलवाकर उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” (यूहन्ना 18:33) l यीशु ने हक्का-बक्काकर देनेवाला (चौकाने वाले) प्रश्न के साथ उत्तर दिया : “क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या दूसरों ने मेरे विषय में तुझ से यह कहा है?” (पद.34) l 

वही प्रश्न हमें भी जाँचता हैl घबराहट के संसार में, हम अव्यवस्था या अराजकता को सुन रहे हैं या मसीह को? निश्चित रूप से,उसने कहा “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं,” l “मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” (10:27) l यीशु ने उस पर संदेह करनेवाले धार्मिक अगुओं को समझाने के लिए “यह दृष्टान्त कहा” (पद.6) l उसने कहा कि एक अच्छे चरवाहे की तरह, उसकी “भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं, क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं l परन्तु वे पराए के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उससे भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानतीं” (पद.4-5) l 

 

अच्छे चरवाहे के रूप में, यीशु हमें सभी बातों के ऊपर उसे सुनने के लिए कहता है l संभवतः हम उसे अच्छी तरह से सुने और उसकी शांति पाए l