अपनी पत्नी, पुत्र और पुत्री को खोने की त्रासदियों की एक श्रृंखला के बाद, 89 की उम्र में फौजा सिंह ने दौड़ने के अपने जूनून पर ध्यान केन्द्रित करने का फैसला किया l सिंह, पंजाबी भारतीय मूल के ब्रिटेन के सौ वर्ष के इस व्यक्ति ने, टोरंटो वाटरफ्रंट लम्बी दौड़(मैराथन) खत्म करने वाले पहले 100 वर्षीय व्यक्ति बने l शायद उनके स्वस्थ आहार, और शारीरिक और मानसिक अनुशासन ने उन्हें अपने प्रतिस्पर्धा में बढ़त हासिल करने में सक्षम बनाया l सिंह अपने कमज़ोर पैरों के कारण 5 साल की उम्र तक चलने में असमर्थ थे l हालाँकि उन्हें अक्सर चिढ़ाया जाता था और उन्हें “छड़ी” कह कर पुकारा जाता था, सिंह अपनी उपलब्धियों के कारण अब “पगड़ी वाला तूफ़ान” /(Turbaned Tornedo/ टरबंड टोरनाडो) के रूप में लोकप्रिय हैंl 

प्रेरित पौलुस ने अपने दिनों में उसी प्रकार का अनुशासन प्रदर्शित करनेवाले एथलीटों को मान्यता दी (1 कुरिन्थियों 9:24) l  लेकिन उसने यह भी माना कि चाहे उन्होंने कितना भी प्रशिक्षण लिया हो, अंततः उनका वैभव फीका पड़ जाता है l इसके विपरीत, उसने कहा, हमारे पास यीशु के लिए इस तरह जीने का अवसर है जो अनंतकाल को प्रभावित करता है l “एक मुकुट तो हमेशा के लिए रहेगा” (पद.25) पौलुस का तात्पर्य है,यदि क्षणिक वैभव के लिए प्रयास करनेवाले एथलीट इसके लिए इतना परिश्रम कर सकते हैं, तो एक मुकुट तो हमेशा के लिए रहेगाके लिए जीने वालों का कितना अधिक होना चाहिए l 

हम उद्धार कमाने के लिए प्रशिक्षण नहीं लेते हैं l बल्कि, इसके बिलकुल विपरीत; जब हम मानते हैं कि हमारा उद्धार वास्तव में कितना अद्भुत है, वह हमारी प्राथमिकताओं, हमारे दृष्टिकोण, और वे चीजें जिनके लिए हम जीते हैं उनको पुनः आकार देता है जब हम परमेश्वर की सामर्थ्य में विश्वासयोग्यता से अपने विश्वास की दौड़ दौड़ते हैं l