जब मैं दस वर्ष का था, मैं युवाओं के समूह के एक मित्र से एक कैसेट घर लाया जिसमें एक समकालीन (contemporary) मसीही बैंड का संगीत था l मेरे पिताजी, जिनका पालन-पोषण एक हिन्दू घर में हुआ था, लेकिन जिन्होंने यीशु में उद्धार प्राप्त किया था, को यह मंजूर नहीं था l वे चाहते थे कि हमारे घर में केवल आराधना संगीत बजे l मैंने समझाया कि यह एक मसीही बैंड था, लेकिन इससे उनका विचार नहीं बदला l थोड़ी देर बाद, उन्होंने सुझाव दिया कि मैं एक सप्ताह के लिए उन गीतों को सुनूँ और फिर तय करूँ कि क्या वे मुझे परमेश्वर के करीब लाए या मुझे उनसे और दूर कर दिया l उस सलाह में कुछ उपयोगी बुद्धिमता थी l

जीवन में बातें हैं जो स्पष्ट रूप से सही या गलत हैं, लेकिन कई बार हम विवादास्पद विषयों के साथ जूझते हैं (रोमियों 14:1-19) l निर्णय करने में कि क्या करना चाहिए, हम अवश्य ही पवित्र बाइबल में निहित बुद्धि ढूंढ़ते हैं l पौलुस ने इफिसुस के विश्वासियों को उत्साहित किया, “ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो : निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो” (इफिसियों 5:15) l एक अच्छे अभिभावक की तरह, पौलुस जानता था कि वह संभवतः वहां नहीं हो सकता या हर स्थिति के लिए निर्देश नहीं दे सकता था l यदि वे “अवसर को बहुमूल्य [समझेंगे], क्योंकि दिन बुरे हैं,” उन्हें स्वयं ही अपने लिए निर्णय लेना होगा और “[समझना होगा कि] प्रभु की इच्छा क्या है” (पद.16-17) l बुद्धिमत्ता का जीवन विवेक और अच्छे निर्णयों को आगे बढ़ाने के लिए एक निमंत्रण है जब परमेश्वर तब भी हमारा मार्गदर्शन करता है जब हम मतभेद या तर्क-वितर्क के साथ जूझते हैं l