एक रहस्यमय उपन्यास के अंतिम अध्याय को पहले पढ़ना उन लोगों के लिए एक बुरे विचार की तरह लग सकता है जो एक अच्छी कहानी के रहस्य को पसंद करते हैं l लेकिन कुछ लोगों को पुस्तक पढ़ने में अधिक आनंद आता है अगर वे जानते हैं कि इसका अंत कैसे होता है l 

रीडिंग बैकवर्ड्स(Reading Backwards) पुस्तक में, लेखक रिचर्ड हेज़ बताते हैं कि हमारी समझ के लिए यह अभ्यास कितना महत्वपूर्ण है l यह बताते हुए कि कैसे पवित्रशास्त्र के खुलनेवाले शब्द और घटनाएं बताती हैं, प्रतिध्वनित होती हैं, और एक दूसरे पर प्रकाश डालती हैं, प्रोफ़ेसर हेज़ हमें अपनी बाइबल को आगे और पीछे पढ़ने का कारण देते हैं l 

हेज़ पाठकों को स्मरण कराते हैं कि यीशु के पुनरुत्थान के बाद ही उनके शिष्यों ने तीन दिनों में एक विध्वस्त  मंदिर के पुनर्निर्माण के उसके दावे को समझा l प्रेरित यूहन्ना हमें बताता है, “मंदिर जिसकी चर्चा उसने की थी वह उसकी देह थी” (यूहन्ना 2:21) l केवल तभी वे अपने फसह के पर्व का अर्थ समझ सकते थे जिसे पहले कभी नहीं समझा गया था (देखें मत्ती:26:17-29) l केवल पुनरवलोकन में ही वे इस बात पर विचार कर सकते थे कि कैसे यीशु ने परमेश्वर के मंदिर के लिए एक प्राचीन राजा की गहरी भावनाओं को अर्थ की परिपूर्णता दी (भजन 69:9; यूहन्ना 2:16-17) l केवल परमेश्वर के सच्चे मंदिर (स्वयं यीशु) के प्रकाश में अपने धर्मग्रंथों को फिर से पढ़ने से ही शिष्य समझ सकते थे कि कैसे इस्राएल के धर्म की क्रियापद्धति और मसीह(Messiah एक दूसरे पर प्रकाश डालेंगे l 

और अब, केवल उन्हीं शास्त्रों को पीछे और आगे पढ़कर, हम यीशु में वह सब कुछ देख सकते हैं जिसकी हममें से किसी को कभी आवश्यकता या लालसा थी l