अगर परमेश्वर मेरे साथ है, तो मैं खिन्न क्यों महसूस करता हूं?
खिन्नता एक मानसिक बीमारी है जिसके साथ मैं हर दिन रहती हूं। मुझे आधिकारिक तौर पर तीन साल पहले एक शिक्षक के रूप में मेरे काम से अधीक थकान होने के बाद खिन्नता (खिन्नता) का निदान किया गया था।
यहां बताया गया है कि मैं अपने खिन्नताग्रस्त घटना का वर्णन कैसे करूंगी: मेरा दिमाग ऐसा महसूस करता है कि यह नकारात्मक…
जब भावनाएं व्याकुल होती हैं
इस वैश्विक महामारी के दौरान भावनात्मक स्वास्थ्य निश्चित रूप से भारी पड़ रहा है। अगर हम अपने भावनात्मक स्वास्थ्य को बैंक खाते के रूप में और हमारी भावनाओं को मुद्रा के रूप में सोचें, तो जमा हैं और निकासी हैं। वैश्विक महामारी, लॉकडाउन, आर्थिक तबाही, अनिश्चित भविष्य और महामारी के आसपास के कई अन्य मुद्दे हमारे भावनात्मक बैंकों से बड़े…
परमेश्वर को अपना भविष्य सौंपना
2010 में, लाज़लो हान्याज़(Laszlo Hanyecz) ने बिटकॉइन के साथ पहली खरीददारी की (एक डिजिटल मुद्रा जो तब एक पैसे के एक अंश के बराबर मूल्य की थी), दो पिज़्ज़ा के लिए 10,000 बिटकॉइन का भुगतान किया ($25 – तब लगभग 1,125 रुपये थे) l 2021 में, वर्ष के दौरान अपने उच्चतम मूल्य पर, उन बिटकॉइन की कीमत (लगभग 3,900 करोड़ रुपये) से अधिक होती l मूल्य के आसमान छूने से पहले, वह सिक्कों के साथ पिज़्ज़ा के लिए भुगतान करता रहा, उसने कुल 100,000 बिटकॉइन खर्च कियेl यदि वह उन बिटकॉइन को रखा होता, तो उनका मूल्य उसे अड़सठ गुना से अधिक मिला होता जो उसे अरबपति बना देता और उसे फ़ोर्ब्स की “दुनिया के सबसे अमीर लोगों” की सूची में डाल देता l यदि केवल उसे पता होता कि भविष्य में क्या आ रहा है l
बेशक, होन्याज़ संभवतः नहीं जान सकता था l हममें से कोई नहीं जान सकता था l भविष्य को समझने और नियंत्रित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद, सभोपदेशक सच कहता है : “कोई मनुष्य नहीं जानता कि क्या होगा l (सभोपदेशक 10:14) l हममें से कुछ लोग खुद को यह सोचकर भ्रमित करते हैं कि हमें जितना जानना चाहिए हैं उससे अधिक जानते हैं, या इससे भी बदतर, कि हमारे पास किसी अन्य व्यक्ति के जीवन या भविष्य के बारे में कुछ विशेष अंतर्दृष्टि है l लेकिन जैसा सभोपदेशक स्पष्ट रूप से पूछता है : “कौन बता सकता है कि उसके बाद क्या होनेवाला है?” (पद.14) l कोई नहीं l
बाइबल एक बुद्धिमान और मूर्ख व्यक्ति की तुलना करती है, और दोनों के बीच कई विशिष्टताओं में से एक भविष्य के बारे में दीनता है (नीतिवचन 27:1) l एक बुद्धिमान व्यक्ति यह पहचानता है कि केवल परमेश्वर ही वास्तव में जानता है कि क्षितिज के पार क्या है जब वे निर्णय लेते हैं l लेकिन मूर्ख लोग उस ज्ञान का अनुमान लगाते हैं जो उनका है ही नहीं l हमें बुद्धि होनी चाहिए, कि हम अपना भविष्य उसे सौंप दें जो वास्तव में इसे जानता है l
कर्म द्वारा विश्वास प्रकट करना
2021 में जून की एक शाम को एक चक्रवात ने एक समुदाय में से होकर गुज़रते हुए, एक परिवार के खलिहान को नष्ट कर दिया l यह एक दुखद हानि थी क्योंकि 1800 के दशक के उत्तरार्ध से खलिहान पारिवारिक संपत्ति थी l जब जॉन और उसकी पत्नी गाड़ी से उसी रास्ते चर्च जा रहे थे, तो उन्होंने वहाँ हुए नुक्सान को देखा और सोचा कि वे कैसे सहायता कर सकते हैं l इसलिए वे ठहर गए और जब उन्हें पता चला कि परिवार को सफाई में मदद की जरुरत है l वे अपनी कार को तेजी से घुमाते हुए,कपड़े बदलने के लिए घर चले गए और लौट कर प्रचंड हवाओं द्वारा उत्पन्न गंदगी को साफ़ करने के लिए दिन भर रुके l उन्होंने उस परिवार की सेवा करते हुए अपने विश्वास को अमल में लाया l
याकूब ने कहा कि “विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है” (याकूब 2:26) l वह अब्राहम का उदाहरण देता है, जिसने आज्ञाकारिता में परमेश्वर का अनुसरण किया जब वह नहीं जानता था कि वह कहाँ जा रहा है (पद..23; देखें उत्पत्ति 12:1-4; 15:6; इब्रानियों 11:8) l याकूब ने राहाब का भी उल्लेख किया, जिसने इस्राएल के परमेश्वर में अपना विश्वास दिखाया जब उसने उन भेदियों को छिपा दिया जो यरीहो शहर की पड़ताल करने आए थे (याकूब 2:25; यहोशु 2;6:17 देखें l
“यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो इससे क्या लाभ?” (याकूब 2:14) l मैथ्यू हेनरी टिप्पणी करता है, “विश्वास जड़ है, तो अच्छे काम फल हैं, और हमें यह देखना चाहिए कि हमारे पास दोनों हो l” परमेश्वर को हमारे अच्छे कर्मों की आवश्यकता नहीं है,लेकिन हमारा विश्वास हमारे कार्यों से सिद्ध होता है l
पीछे की ओर से पढ़ना
एक रहस्यमय उपन्यास के अंतिम अध्याय को पहले पढ़ना उन लोगों के लिए एक बुरे विचार की तरह लग सकता है जो एक अच्छी कहानी के रहस्य को पसंद करते हैं l लेकिन कुछ लोगों को पुस्तक पढ़ने में अधिक आनंद आता है अगर वे जानते हैं कि इसका अंत कैसे होता है l
रीडिंग बैकवर्ड्स(Reading Backwards) पुस्तक में, लेखक रिचर्ड हेज़ बताते हैं कि हमारी समझ के लिए यह अभ्यास कितना महत्वपूर्ण है l यह बताते हुए कि कैसे पवित्रशास्त्र के खुलनेवाले शब्द और घटनाएं बताती हैं, प्रतिध्वनित होती हैं, और एक दूसरे पर प्रकाश डालती हैं, प्रोफ़ेसर हेज़ हमें अपनी बाइबल को आगे और पीछे पढ़ने का कारण देते हैं l
हेज़ पाठकों को स्मरण कराते हैं कि यीशु के पुनरुत्थान के बाद ही उनके शिष्यों ने तीन दिनों में एक विध्वस्त मंदिर के पुनर्निर्माण के उसके दावे को समझा l प्रेरित यूहन्ना हमें बताता है, “मंदिर जिसकी चर्चा उसने की थी वह उसकी देह थी” (यूहन्ना 2:21) l केवल तभी वे अपने फसह के पर्व का अर्थ समझ सकते थे जिसे पहले कभी नहीं समझा गया था (देखें मत्ती:26:17-29) l केवल पुनरवलोकन में ही वे इस बात पर विचार कर सकते थे कि कैसे यीशु ने परमेश्वर के मंदिर के लिए एक प्राचीन राजा की गहरी भावनाओं को अर्थ की परिपूर्णता दी (भजन 69:9; यूहन्ना 2:16-17) l केवल परमेश्वर के सच्चे मंदिर (स्वयं यीशु) के प्रकाश में अपने धर्मग्रंथों को फिर से पढ़ने से ही शिष्य समझ सकते थे कि कैसे इस्राएल के धर्म की क्रियापद्धति और मसीह(Messiah एक दूसरे पर प्रकाश डालेंगे l
और अब, केवल उन्हीं शास्त्रों को पीछे और आगे पढ़कर, हम यीशु में वह सब कुछ देख सकते हैं जिसकी हममें से किसी को कभी आवश्यकता या लालसा थी l