डॉ. रेबेका ली क्रुम्प्लेर मेडिकल डिग्री हासिल करने वाली पहली अफ्रीकी अमरीकी महिला थी। फिर भी उसके जीवनभर में (1831-95) वह खुद को “त्यागी, तिरस्कृत और महत्वहीन होने” के रूप में स्मरण करती है। हालाँकि, वह उपचार और अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए समर्पित रही। क्रुम्प्लेर ने कहा की भले ही लोग उसे उसके जाति और लिंग के अनुसार उसका न्याय करना चुने, फिर भी उसके पास हमेशा एक नवीनीकृत और साहसी तत्परता होती “जब भी और जहाँ भी ड्यूटी हो वहाँ जाने के लिए” और वह उसे करती। उसने विश्वास किया की महिलओं और बच्चों का इलाज करना और मुक्त दासों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना परमेश्वर की सेवा करने का एक तरीका था। अफसोस की बात है कि लगभग एक सदी बाद तक उन्हें अपनी उपलब्धियों के लिए औपचारिक मान्यता नहीं मिली।

कई बार हम अपने आस-पास के लोगों द्वारा अनदेखे, अवमूल्यन, या नाचीज होंगे। हालाँकि, बाइबल का ज्ञान हमें याद दिलाता है कि जब परमेश्वर ने हमें किसी कार्य के लिए बुलाया है, हमें सांसारिक स्वीकृति और मान्यता प्राप्त करने पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि हमें “तन मन से, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते है;” करना चाहिए। (कुलुस्सियों 3:23)। जब हम परमेश्वर की सेवा करने पर ध्यान देते है तो हम उनके सामर्थ्य और अगुआई में सबसे कठिन कार्यों को भी उत्साह और प्रसन्नता के साथ पूरा कर सकते हैं। तब हम सांसारिक मान्यता प्राप्त करने को कम चिंतित और उस इनाम को पाने के लिए जो केवल वह प्रदान कर सकते है, अधिक उत्सुक हो सकते है (24)।