इस वसंत में, जंगली घास ने हमारे पीछे के आँगन में ऐसे हमला किया जैसे कुछ जुरासिक पार्क जैसा हो। एक इतनी बड़ी होगयी कि जब मैंने उसे बाहर निकालने की कोशिश की, तो मुझे डर लगा कि कहीं मैं खुद को चोट न पहुँचा दूँ। इससे पहले कि मैं उसे कुदाल से मारता, मैंने देखा कि मेरी बेटी वास्तव में उस पर पानी डाल रही थी। “तुम जंगली घास को पानी क्यों दे रही हो?” मैंने कहा। “मैं देखना चाहती हूं कि यह कितना बड़ा हो जाएगा!” उसने एक उग्र मुस्कराहट के साथ उत्तर दिया।
जंगली घास कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम जानबूझकर पोषित करते हैं। लेकिन जैसा कि मैंने इसके बारे में सोचा, मुझे एहसास हुआ कि कभी-कभी हम अपने आत्मिक जीवन में “जंगली घास” को पानी देते हैं, इच्छाओं को खिलाते हैं जो हमारे विकास को रोकती हैं।
पौलुस इसके बारे में गलातियों 5:13-26 में लिखता है, जहाँ वह शरीर के द्वारा जीने और आत्मा के द्वारा जीने का अंतर बताता है। वह कहता है कि अकेले नियमों का पालन करने की कोशिश करने से हम “जंगली घास -मुक्त” जीवन की स्थापना नहीं कर पाएंगे। इसके बजाय, जंगली पौधों को सींचने से बचने के लिए, वह हमें “आत्मा के अनुसार चलने” का निर्देश देता है। वह आगे कहते हैं कि परमेश्वर के साथ प्रतिदिन चलना ही हमें “शरीर की लालसाओं को तृप्त करने” के आवेग से मुक्त करता है (पद. 16)।
पौलुस की शिक्षा को पूरी तरह से समझने की यह एक आजीवन प्रक्रिया है। लेकिन मुझे उनके मार्गदर्शन की सरलता पसंद है: अपनी आत्म-केंद्रित इच्छाओं को पोषित करके कुछ अवांछित बढ़ने के बजाय, जब हम परमेश्वर के साथ अपने संबंध विकसित कर रहे होते हैं, हम फल उगाते हैं और एक ईश्वरीय जीवन की फसल काटते हैं (पद. 22-25) ।
आपके आध्यात्मिक जीवन के किन क्षेत्रों में कुछ "छटाई" की आवश्यकता है? आप कैसे परमेश्वर को समर्पण कर सकते हैं और उसके साथ चल सकते हैं?
पिता, कभी-कभी मैं अपने जीवन में जंगली पौधों को सींचता हूँ। इसके बजाय मुझे आपके साथ चलने का अनुभव करने में मदद करें जैसे जैसे आप मेरे जीवन में आत्मिक फल पैदा करते हैं।