जब ज़ेवियर प्राथमिक विद्यार्थी था, मैं उसे स्कूल पहुँचाने और लाने जाती थी l एक दिन, मैं उसे लेने देर से पहुंची l मैं कार पार्क करके व्यग्रतापूर्वक प्रार्थना करते हुए उसकी कक्षा की ओर भागी l मैंने उसे अपने बैग को गले लगाए हुए बेंच पर अपने टीचर के बगल में बैठा पायी l “मिजो, मुझे खेद है l क्या तुम ठीक हो?” उसने लम्बी सांस ली l “मैं ठीक हूँ, लेकिन आपके विलम्ब से मैं नाराज़ हूँ l” मैं उसे कैसे दोष दे सकती हूँ? मैं खुद पर भी क्रोधित थी l मैं अपने बेटा से प्यार करती थी लेकिन मैं जानती थी कि ऐसा कई बार होगा जब मैं उसे निराश करुँगी l मैं यह भी जानती थी कि किसी दिन वह परमेश्वर से निराश हो सकता था l इसलिए मैंने उसे कड़ी मेहनत से सिखाया कि परमेश्वर ने कभी भी अपनी प्रतिज्ञा नहीं थोड़ी और न ही तोड़ेगा l
भजन 33 हमें आनंदित प्रशंसा के साथ परमेश्वर की विश्वासयोग्यता का उत्सव मनाने के लिए उत्साहित करता है (पद.1-3) क्योंकि “यहोवा का वचन सीधा है; और उसका सब काम सच्चाई से होता है” (पद. 4) l परमेश्वर द्वारा रचित संसार को उसकी शक्ति और निर्भरता के मूर्त प्रमाण के रूप में उपयोग करते हुए (पद.5-7), भजनकार “सारी पृथ्वी के [लोगों को]” परमेश्वर की आराधना के लिए बुलाता है (पद.8) l
जब योजनाएँ विफल हो जाएँ या लोग हमें निराश करें, तो हम परमेश्वर में निराश होने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं l हालाँकि, हम परमेश्वर की विश्वसनीयता पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि उसकी योजनाएँ “सर्वदा स्थिर” रहती हैं (पद.11) l हम परमेश्वर की प्रशंसा कर सकते हैं, भले ही चीजें गलत हो क्योंकि हमारा प्रेमी सृष्टिकर्ता सब कुछ और सबका पालन-पोषण करता है l परमेश्वर हमेशा विश्वासयोग्य है l
जब आपकी योजनाएँ विफल होती हैं या लोग आपको निराश करते हैं तब परमेश्वर की प्रशंसा करना कठिन क्यों होता है? किस प्रकार परमेश्वर ने अपने बनाएँ हुए संसार का उपयोग अपने स्थायी विश्वसनियता को प्रमाणित करने के लिए किया है?
प्रिय परमेश्वर, जब मैं आज विश्वास से चलता हूँ तो कृपया मुझे अपनी अतीत की विश्वासयोग्यता का स्मरण कराएँ l