मैं एक कार्यदिवस के अंत की शांति में बैठी थी, मेरा लैपटॉप मेरे सामने था l उस दिन के काम से मुझे खुश होना चाहिए था, लेकिन मैं थक गयी थी l काम पर एक समस्या की चिंता से मेरे कन्धों में दर्द था, और एक परेशान रिश्ते से मेरा दिमाग थका हुआ था l उस रात इन सबसे बचने के लिए मैं टीवी देखने लगी l  

लेकिन “प्रभु,” मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं l मैं अत्यधिक थकान से और अधिक नहीं कह पायी l मेरी सारी थकान उस एक शब्द में समा गयी l और किसी तरह, मैं जान गयी कि मुझे कहाँ जाना चाहिए l

यीशु हमसे कहता है, “मेरे पास आओ,” जो थके हुए और बोझ से दबे हुए हुए हो, “मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती 11:28) l रात की अच्छी नींद से, टेलीविजन द्वारा प्रदान की जाने वाली वास्तविकता से विश्राम नहीं l समस्या समाधान से भी राहत नहीं मिलती l हालाँकि ये आराम के अच्छे श्रोत हो सकते हैं, लेकिन ये अल्पकालिक हैं और हमारी परिस्थितयों पर निर्भर करती हैं l

इसके विपरीत, यीशु द्वारा प्रदत्त विश्राम उसके अपरिवर्तनीय चरित्र द्वारा स्थायी और निश्चित है l वह हमेशा अच्छा है l वह हमें हमारी आत्मा के लिए सच्चा विश्राम देता है क्योंकि सब कुछ उसके वश में है l हम उस पर भरोसा कर सकते हैं और उसके प्रति समर्पित हो सकते हैं, सहन कर सकते हैं और यहाँ तक कि कठिन स्थितियों में भी बढ़ सकते हैं क्योंकि वही सामर्थ्य और पुनर्स्थापन दे सकता है l

“मेरे पास आओ,” यीशु हमसे कहता है l “मेरे पास आओ l”