मैंने हाल ही में एथेंस, ग्रीस का दौरा किया। जब मैं वहां ऐतिहासिक इमारतों के मध्य से होकर जा रहा था—यह वही स्थान था जहां पर बाजारों में बड़े दार्शनिकों ने लोगों को शिक्षित किया और एथेनिया के लोग आराधना भी किया करते थे—मुझे अपोलो और ज़ीउस की वेदियाँ मिलीं, यह सब एक्रोपोलिस जगह में स्थापित है जहां एक समय पर एथेना देवी की मूर्ति खड़ी होती  थी ।

आजकल हम अपोलो और ज़ीउस  देवताओं के सामने नतमस्तक ना हो फिर भी हमारा समाज आज भी धार्मिक है। “प्रत्येक जन आराधना करता है”, लेखक डेविड फोस्टर वालेस एक चेतावनी के साथ कहते हैं यदि तुम पैसे और वस्तुओं की आराधना करोगे… तो आप कभी संतुष्ट नहीं होंगे … यदि तुम अपनी सुंदरता और शरीर की आराधना करोगे… तो तुम सदैव कुरूप बने रहोगे… और यदि तुम अपनी बुद्धि की आराधना करोगे… आप अंतत: मूर्खतापूर्ण महसूस करने लगेंगे।” हमारे धर्मनिरपेक्ष युग के अपने देवता हैं, और वे अच्छे नहीं हैं । 

“एथेंस के निवासियों!” पौलुस ने अगोरा का दौरा करते हुए कहा, मैं देखता हूँ कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े माननेवाले हो (प्रेरितों 17:22)। प्रेरित ने सच्चे परमेश्वर को एक सृष्टिकर्ता परमेश्वर के रूप में बताया है(पद 24-26) जो अपने आप को प्रकट करना चाहता है (पद 27) और उसने यीशु मसीह के पुनरुत्थान द्वारा स्वयं को प्रकट किया(पद 31), यह परमेश्वर अपोलो और ज़ीउस  की तरह मानव रचित नहीं है । पैसे, सुंदरता या बुद्धि के विपरीत, उसकी आराधना करने से हम बर्बाद नहीं होंगे।

हमारा “परमेश्वर” वह है जिस पर हम हमेशा उद्देश्य और सुरक्षा देने के लिए भरोसा रखते हैं। शुक्र है, जब हर सांसारिक परमेश्वर हमें विफल कर देता है, एकमात्र सच्चा परमेश्वर हमें मिलने के लिए तैयार होता है। (पद 27)