जब ऐलेन को विकसित कैंसर का पता चला, तो वह और उसके पति चक जानते थे कि उसे यीशु के पास जाने में देर नहीं लगेगा। उन दोनों ने भजन 23 की प्रतिज्ञा को संजोया कि जब वे अपने चौवन वर्षों के साथ की सबसे गहरी और सबसे कठिन घाटी से यात्रा करेंगे तब परमेश्वर उनके साथ रहेगा। उन्होंने उस तथ्य पर आशा किया कि ऐलेन यीशु से मिलने के लिए तैयार थी, क्योंकि उसने दशकों पहले यीशु में अपना विश्वास रखी थी।

अपने पत्नी के स्मारक सभा में, चक ने साझा किया कि वह अभी भी “घोर अंधकार से भरी हुई तराई में” यात्रा कर रहा था (भजन 23:4)। उसकी पत्नी का जीवन स्वर्ग में पहले ही शुरू हो गया था। लेकिन

“घोर अंधकार” अभी भी उसके और अन्य लोगों के साथ था जो ऐलेन से बहुत प्यार करते थे।

जब हम “घोर अंधकार से भरी हुई तराई में” यात्रा करते हैं, तो हम अपने प्रकाश के स्रोत को कहाँ ढूँढ़ सकते हैं? प्रेरित यूहन्ना ने घोषणा किया की कि “परमेश्‍वर ज्योति है और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं” (1 यूहन्ना 1:5)। और यूहन्ना 8:12 में, यीशु ने घोषणा की : “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”

 यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम (उसकी) उपस्थिति के प्रकाश में चलते हैं” (भजन संहिता 89:15)। हमारे परमेश्वर ने हमारे साथ रहने और हमारे प्रकाश का स्रोत बनने का वादा किया है, भले ही हम घोर अंधकार में से होकर गुज़रें।