जिम और लेनिडा कॉलेज के दिनों से एक दूसरे से प्रेम करते थे l उनका विवाह हो चुका था और कई वर्षों तक जीवन सुखमय रहा l फिर लेनिडा ने अजीब व्यवहार करना आरम्भ कर दी, खोयी हुए लगने लगी और नियत कार्य भूलने लगी l सैंतालिस वर्ष की उम्र में ही पता चला कि उसे अल्जाइमर/Alzheimer disease(मानसिक बिमारी) हो गया है l एक दशक तक उसकी प्राथमिक देखभाल के बाद, जिम यह कह सका, “अल्जाइमर ने मुझे अपनी पत्नी को उन तरीकों से प्यार करने और सेवा करने का अवसर दिया है जो अकल्पनीय थे जब मैंने कहा, “मैं करता हूँ l’ ”

पवित्र आत्मा के वरदानों की व्याख्या करते हुए, प्रेरित पौलुस ने प्रेम के गुण पर विस्तार से लिखा (1 कुरिन्थियों 13) l उसने सेवा के रटे-रटाए कार्यों की तुलना प्रेमपूर्ण हृदय से उमड़ने वाले कार्यों से की l प्रभावशाली बोलना अच्छा है, पौलुस ने लिखा, लेकिन प्रेम के यह अर्थहीन शोर की तरह है (पद.1) l “यदि मैं . . . अपनी देह जलाने के लिए दे दूँ, और प्रेम न रखूँ, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं” (पद.3) l पौलुस ने अंततः लिखा, “सबसे बड़ा(उपहार) प्रेम है”(पद.13) l 

अपनी पत्नी की देखभाल करने के कारण जिम की प्रेम और सेवा के विषय समझ गहरी हो गयी l केवल गहरा और स्थायी प्यार ही उसे प्रतिदिन उसका समर्थन करने की शक्ति दे सकता था l अंततः, एकमात्र स्थान जहाँ हम इस बलिदानी प्रेम को पूरी तरह से प्रतिरूपित देखते हैं, वह हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम है, जिसके कारण उसने यीशु को हमारे पापों के लिए मरने के लिए भेजा (यूहन्ना 3:16) l प्रेम से प्रेरित, बलिदान के उस कार्य ने हमारे संसार को हमेशा के लिए बदल दिया है l