एक बड़े शहर के पास मेरे नए स्कूल में, मार्गदर्शन परामर्शदाता ने मुझ पर एक नज़र डाली और मुझे सबसे कम प्रदर्शन करने वाली अंग्रेजी लेखन कक्षा में रखा l मैं अपने पिछले स्कूल से उत्कृष्ट इम्तहान प्राप्तांक, उत्कृष्ट अंक और यहाँ तक कि अपने लेखन के लिए श्रेष्ठ पुरूस्कार के साथ पहुंची थी l मेरे नए स्कूल में “सर्वश्रेष्ठ” लेखन कक्षा का दरवाज़ा मेरे लिए बंद था, हालाँकि, जब परामर्शदाता ने निर्णय लिया कि मैं सही या तैयार नहीं हूँ l
प्राचीन फिलदिलफिया की कलीसिया को ऐसे मनमाने झटके समझ में आए होंगे l एक छोटा और साधारण कलीसिया, इसके शहर को हाल के वर्षों में भूकंप का सामना करना पड़ा जिससे स्थायी क्षति हुयी l इसके अतिरिक्त, उन्हें शैतानी विरोध का सामना करना पड़ा (प्रकाशितवाक्य 3:9) l इस तरह के उपेक्षित कलीसिया में “फिर भी थोड़ी ताकत थी,” जैसा कि पुनरुत्थित यीशु ने कहा, “तू ने मेरे वचन का पालन किया है और मेरे नाम का इनकार नहीं किया” (पद.8) l इसलिए, परमेश्वर ने उनके सामने “एक द्वार खोल रखा है, जिसे कोई बंद नहीं कर सकता” (पद.8) l वास्तव में, “[उसके] खोले हुए को कोई बंद नहीं कर सकता और बंद किये हुए को कोई खोल नहीं सकता” (पद.7) l
यह हमारी सेवा के प्रयासों के लिए सच है l कुछ दरवाजे नहीं खुलते l हालाँकि, ईश्वर के लिए मेरे लेखन के साथ, उसने वास्तव में दरवाजे खोले हैं, जिससे इसे एक परामर्शदाता के बंद रवैये की परवाह किये बिना वैश्विक दर्शकों तक पहुँचने की अनुमति मिली है l बंद दरवाजे आपके लिए भी बाधा नहीं बनेंगे l “द्वार मैं हूँ,” यीशु ने कहा (यूहन्ना 10:9) l आइए उसके द्वारा खोले गए द्वारों में प्रवेश करें और उसका अनुसरण करें l
परमेश्वर ने आपके लिए कौन से दरवाजे खोले हैं? जब आप उसके खुलने की प्रतीक्षा करते हैं तो आपकी सेवा और जीवन कैसे संवरता है?
प्रिय परमेश्वर, जब दरवाजे मेरे लिए बंद होते हैं, मैं आपकी ओर, पवित्र द्वार की ओर मुड़ जाऊं, और आप जहाँ और जिस तरह जाने के लिए कहते हैं, वहां जा सकूँ l