परमेश्वर के लिए अच्छा करना
हालाँकि वह आम तौर पर अपने साथ पैसे नहीं रखता था, लेकिन पैट्रिक को महसूस हुआ कि परमेश्वर घर से बाहर निकलने से पहले उसे जेब में पाँच डॉलर (लगभग ₹400) रखने के लिए प्रेरित कर रहे है। उसे समझ आया कि जिस स्कूल में वह काम करता था, वहाँ दोपहर के भोजन के दौरान कैसे परमेश्वर ने उसे एक बेहद ज़रुरी काम को पूरा करने के लिए तैयार किया है। लंचरूम की चहलपहल के बीच, उसने ये शब्द सुने: "स्कॉटी [एक जरूरतमंद बच्चे] को अपने खाते में 5 डॉलर डालने की जरूरत है ताकि वह सप्ताह के बाकी दिनों में दोपहर का खाना खा सके।" कल्पना कीजिए कि पैट्रिक ने स्कॉटी की मदद के लिए अपना पैसा देते समय क्या भावनाएँ अनुभव की होंगी!
तीतुस में, पौलुस ने यीशु में विश्वासियों को याद दिलाया कि वे “अपने धर्म के कामों के कारण उद्धार नहीं पाए थे” (3:5) “जिन्हों ने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले- भले कामों मे लगे लगे रहना सीखें ” (पद- 8; पद- 14) जीवन भरा हुआ, अत्यधिक व्यस्त और चहल-पहल भरा हो सकता है। अपने हित का ख्याल रखना पराजित कर सकता है; और फिर भी, यीशु में विश्वासियों के रूप में, हमें "अच्छे कामों के लिए तैयार" रहना है। जो हमारे पास नहीं है और जो हम नहीं कर सकते उससे अभिभूत होने के बजाय, आइए इस बारे में सोचें कि हमारे पास क्या है और हम क्या कर सकते हैं क्योंकि परमेश्वर हमारी मदद करते हैं। ऐसा करने से, हम दूसरों की ज़रूरत के समय में उनकी मदद कर सकते है, और परमेश्वर का आदर होता है। "तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके, कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें" (मत्ती 5:16)।
परमेश्वर की महान सामर्थ्य (शक्ति)
मार्च 1945 में, "घोस्ट आर्मी" (Ghost Army) ने अमेरिकी सेना को राइन नदी पार करने में मदद की - जिससे सहयोगियों को द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार मिला। सैनिक निश्चित रूप से मनुष्य थे, कोई भूत नहीं, वे सभी 23वें हेड क्वार्टर स्पेशल ट्रूप (फौजी टुकड़ी) का हिस्सा थे। इस अवसर पर, 1,100 लोगों की टीम ने इन्फ्लेटेबल डिकॉय टैंक (युद्ध के मैदान में असली दिखने वाले नकली टैंक), ब्लास्टिंग सेना, और स्पीकर पर वाहन ध्वनि प्रभाव, और बहुत कुछ का उपयोग करके 30,000 पुरुषों की नकल की। घोस्ट आर्मी के सदस्यों की अपेक्षाकृत कम संख्या के कारण दुश्मन को डर लगने लगा क्योंकि वह कहीं अधिक बड़ी ताकत प्रतीत हो रही है।
मिद्यानी और उनके सहयोगी भी छोटी सेना के सामने काँपे थें जो रात में बड़ी दिखाई दे रही थी (न्यायियों 7:8-22)। गिदोन को, जो एक न्यायाधीश, भविष्यवक्ता और इस्राएल का सैन्य नेता था, परमेश्वर ने उसकी छोटी सेना को दुश्मन के लिए आतंक का स्रोत बनाने के लिए इस्तेमाल किया था। जिन्होंने ध्वनि प्रभाव (नरसिंगे फूँक कर, , और ललकार कर टूटे हुए मिट्टी के घड़े, चिल्ला चिल्लाकर ) और दिखाई देने वाली वस्तुओं (चमकती मशालें) का भी उपयोग किया ताकि उनकी सेना "टिड्डियों के घने झुंड के सामान फैली" नज़र आये (पद- 12) और शत्रु सेना को यह विश्वास हो जाए कि वे एक विशाल शत्रु का सामना कर रहे हैं। इस्राएल ने उस रात अपने दुश्मन को परमेश्वर की आज्ञा से 32,000 लोगों से घटाकर केवल 300 की सेना के साथ हरा दिया (पद 2-8)। क्यों? क्योंकि इससे यह स्पष्ट हो जाए कि वास्तव में लड़ाई किसने जीती। जैसा कि परमेश्वर ने गिदोन से कहा, "मैंने तुम्हें उन पर विजय दिलाई है (मैं उसे तेरे हाथ कर देता हूं)।" (पद- 9 NLT)।
जब हम कमज़ोर और हीन महसूस करते हैं, तो आइए परमेश्वर की तलाश करें और केवल उनकी शक्ति में आराम करें। क्योंकि उनकी "सामर्थ्य [हमारी] निर्बलता में सिद्ध होती है" (2 कुरिन्थियों 12:9)।
यीशु हमारे भीतर रहते हैं
जैसे ही पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में मेरे राज्य पर बर्फ़ीला तूफ़ान प्रबल हुआ, मेरी विधवा माँ तूफ़ान से "निपटने" के लिए मेरे परिवार के साथ रहने के लिए सहमत हो गई। हालाँकि, बर्फ़ीले तूफ़ान के बाद, वह कभी अपने घर वापस नहीं लौटी। वह जीवन भर के लिए हमारे पास आकर हमारे साथ रहने लगी। उनकी उपस्थिति ने हमारे घर को कई सकारात्मक तरीकों से बदल दिया। वह परिवार के सदस्यों को ज्ञान प्रदान करने, सलाह देने और पैतृक (बाप दादो का) कहानियाँ साझा करने के लिए प्रतिदिन मौजूद रहती थीं। वह और मेरे पति सबसे अच्छे दोस्त बन गए, क्योंकि वे खेलों के लिये हास्य और प्रेम की समान भावना साझा करते थे। वह अब कोई मेहमान नहीं थीं। वह एक स्थायी और महत्वपूर्ण निवासी थी- जो अपनी मृत्यु के बाद भी हमारे ह्रदयों को बदल रही थी।
यह अनुभव यहुन्ना के यीशु के वर्णन को याद दिलाता है - कि वह "हमारे बीच में रहता था" (यहुन्ना 1:14 KJV)। यह एक प्रबल प्रेरक (दमदार)वर्णन है क्योंकि मूल ग्रीक में डेल्ट शब्द का अर्थ है "तम्बू (डेरा) गाड़ना।" एक अन्य अनुवाद कहता है — “उसने हमारे बीच निवास किया।” "हमारे बीच अपना घर बनाया" (NLT)।
विश्वास के द्वारा, हम यीशु को भी अपने हृदय में वास करने वाले के रूप में प्राप्त करते हैं। जैसा कि पौलुस ने लिखा, "कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ। और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डाल कर सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ । (इफ़िसियो 3:16-17 NLT)।
यीशु, समान्य तौर पर कभी-कभार आने वाला मेहमान नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए एक सशक्त स्थायी निवासी है जो उसका अनुसरण करते हैं। क्या हम अपने हृदय के द्वार खोलकर उसका स्वागत कर सकते हैं।
मसीह के लिए हृदय
मैंने खुद से कहा, जब तक मैं अपना मुंह बंद रखूंगी, मैं कुछ भी गलत नहीं करूंगी। एक सहकर्मी द्वारा कही गई बातों की गलत व्याख्या करने के बाद मैं बाहरी तौर पर उसके प्रति अपना गुस्सा दबा रहा थी । चूँकि हमें हर दिन एक-दूसरे से मिलना होता था, इसलिए मैंने अपनी बातचीत को केवल उसी तक सीमित रखने का निर्णय लिया जो आवश्यक था (और अपने मौन व्यवहार से प्रतिशोध लेता थी)। शांत आचरण गलत कैसे हो सकता है?
यीशु ने कहा कि पाप हृदय से शुरू होता है (मत्ती 15:18−20)। मेरी चुप्पी ने लोगों को मूर्ख बनाया होगा कि सब कुछ ठीक है, परन्तु परमेश्वर मूर्ख नहीं बने। वह जानते थे । कि मैं क्रोध से भरा हृदय छिपा रही हूँ। मैं उन फरीसियों के समान थी जो होठों से तो परमेश्वर का आदर करते थे, परन्तु उनके हृदय परमेश्वर से दूर थे (पद 8)। भले ही मेरा बाहरी रूप मेरी सच्ची भावनाओं को नहीं दर्शाता था, लेकिन मेरे अंदर कड़वाहट पनप रही थी। अपने स्वर्गीय पिता के साथ जो आनंद और निकटता मुझे हमेशा महसूस होती थी, वह ख़त्म हो गई। पाप को पालना और छुपाना यही यह सब उत्पन्न करता है।
परमेश्वर की कृपा से, मैंने अपने सहकर्मी को बताया कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं और माफी मांगी। उसने बड़ी दयालुता से मुझे माफ कर दिया और अंततः हम अच्छे मित्र बन गये। यीशु कहते हैं, "बुरे विचार मन से निकलते हैं" (पद 19)। हमारे हृदय की स्थिति मायने रखती है क्योंकि वहाँ रहने वाली बुराई हमारे जीवन में प्रवेश कर सकती है। हमारा बाहरी और आंतरिक दोनों ही मायने रखता है।