Month: जून 2024

एक दूसरे से सीखना

ज़ूम(Zoom) के एक सुलभ संचार उपकरण होने से कई साल पहले, एक मित्र ने मुझसे एक प्रोजेक्ट पर चर्चा करने के लिए विडियो कॉल पर शामिल होने के लिए कही थी l मेरे ईमेल के लहजे से, वह बता सकती थी कि मैं भ्रमित हूँ, इसलिए उसने सुझाव दिया कि मैं एक किशोर को ढूँढूँ जो मुझे वीडियो कॉल सेट करने का तरीका जानने में सहायता करेगा l 

उनका सुझाव पीढ़ियों के बीच घटित संबंधों के मूल्य की ओर इशारा करता है l यह रूत और नाओमी की कहानी में देखा गया कुछ है l रूत को अक्सर एक वफादार बहु होने के लिए स्वीकारा जाता है, जिसने नाओमी के साथ बैतलहम वापस जाने के लिए अपनी भूमि छोड़ने का फैसला किया(रूत 1:6-17) l जब वे नगर में पहुँचे, तो उम्र में छोटी स्त्री ने नाओमी से कहा, “मुझे किसी खेत में जाने दे . . . कि मैं सिला बीनती जाऊं” (2:2) l उसने बड़ी उम्र की स्त्री की मदद की, जिसने छोटी स्त्री की बोअज से विवाह करने में मदद की l रूत के लिए नाओमी की सलाह ने बोअज को उसके मृत ससुराल वालों की संपत्ति खरीदने और उसे “अपनी पत्नी के रूप में” लेने के लिए कार्यवाई करने के लिए प्रेरित किया (4:9-10) l 

हम निश्चित रूप से उन लोगों की सलाह का सम्मान करते हैं जो युवा पीढ़ी के साथ अपने अनुभवी ज्ञान को साझा करते हैं l लेकिन रूत और नाओमी हमें याद दिलाती हैं कि आदान-प्रदान दोनों तरीकों से हो सकता है l अपने से छोटे लोगों के साथ-साथ बड़े लोगों से भी कुछ न कुछ सीखा जा सकता है l आइये प्रेमपूर्ण और विश्वासयोग्य अंतर-पीढ़ीगत संबंधों को विकसित करने का प्रयास करें l यह हमें और दूसरों को आशीष देगा और हमें कुछ सीखने में मदद करेगा जो हम नहीं जानते हैं l 

 

नम्र जोर्न(Jorn)

उन्होंने नहीं सोचा था कि भूमि पर खेती करने वाले काश्तकार/पट्टेदार जोर्न का महत्व इतना अधिक होगा l फिर भी अपनी कमजोर दृष्टि और अन्य शारीरिक सीमाओं के बावजूद, उसने नॉर्वे में अपने गाँव के लोगों के लिए खुद को समर्पित कर दिया, और कई रातों तक प्रार्थना की जब उनके दर्द ने उन्हें जगाए रखा l प्रार्थना में वह एक घर से दूसरे घर जाते थे, प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग नाम लेते थे, यहाँ तक कि उन बच्चों का भी, जिनसे वह तब नहीं मिले थे l लोग उनकी दयालु भावना को पसंद करते थे और उनकी बुद्धिमत्ता और सलाह लेते थे l यदि वह व्यवहारिक रूप से उनकी सहायता नहीं कर सका, तो उनकी जाने के बाद भी वे उसका प्यार पाकर धन्य महसूस करेगे l और जब जोर्न की मृत्यु हुयी, तो उसका अंतिम संस्कार उस समुदाय में अब तक का सबसे बड़ा अंतिम संस्कार था, भले ही उसका कोई परिवार नहीं था l उसकी प्रार्थनाएं फलीभूत हुयी और उसकी कल्पना से भी परे फल प्राप्त हुआ l 

इस विनम्र व्यक्ति ने प्रेरित पौलुस के उदाहरण का अनुसरण किया, जो उन लोगों से प्यार करता था जिनकी वह सेवा करता था और कैद में रहते हुए उनके लिए प्रार्थना करता था l जब वह संभवतः रोम में कैद था तब उसने इफिसुस के लोगों को लिखा, प्रार्थना करते हुए कि परमेश्वर उन्हें “ज्ञान और प्रकाश की आत्मा दे, और [उनके] मन की आँखें ज्योतिर्मय हो [जाएँ]” (इफिसियों 1:17-18) l उसकी इच्छा थी कि वे यीशु को जाने और आत्मा की शक्ति के द्वारा प्रेम और एकता के साथ रहें l 

जोर्न और प्रेरित पौलुस ने खुद को ईश्वर के सामने समर्पित कर दिया l क्या हम आज उनके उदाहरणों पर विचार कर सकते हैं कि हम किस प्रकार दूसरों से प्रेम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं l 

 

परमेश्वर के भय में

फ़ोबिया/phobia(डर) को कुछ चीज़ों या स्थितियों के “तर्कहीन डर” के रूप में परिभाषित किया गया है l एराकोनोफ़ोबिया(Arachnophobia) मकड़ियों का डर है (हालाँकि कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि इससे डरना बिलकुल तर्कसंगत बात है!) फिर ग्लोबोफोबिया(globophobia) और ज़ोकोलेटोफ़ोबिया(xocolatophobia) है l यह और लगभग चार सौ अन्य फ़ोबिया(प्रकार के डर/भय) वास्तविक हैं और जिनका लिखित प्रमाण हैं l ऐसा लगता है कि हम किसी भी चीज़ से डर सकते हैं l 

बाइबल दस आज्ञाएँ प्राप्त करने के बाद इस्राएलियों के डर के बारे में बताती है : “सब लोग गर्जन और बिजली . . . के शब्द सुनते . . . [तो] कांपकर दूर खड़े हो [जाते थे]” (निर्गमन 20:18) l मूसा ने उन्हें यह सबसे दिलचस्प कथन देते हुए सांत्वना दी : “डरो मत; क्योंकि परमेश्वर इसलिए आया है कि तुम्हारी परीक्षा करे, और उसका भय तुम्हारे मन में बना रहे” (पद.20) l ऐसा प्रतीत होता है कि मूसा स्वयं का खंडन कर रहा है : “डरो मत . . . [परन्तु] उसका भय तुम्हारे मन में बना रहे l” वास्तव में, “भय” के लिए इब्रानी शब्द में कम से कम दो अर्थ हैं—किसी चीज़ का कांपता हुआ भय या परमेश्वर के प्रति श्रद्धापूर्ण/भक्तियुक्त विस्मय l 

हमें यह जानकार हंसी आ सकती है कि ग्लोबोफोबिया(globophobia) बैलून का डर है और ज़ोकोलेटोफ़ोबिया(xocolatophobia) चॉकलेट का डर है l फ़ोबिया के बारे में अधिक गंभीर बात यह है कि हम हर तरह की चीज़ों से डर सकते हैं l डर हमारे जीवन में मकड़ियों की तरह रेंगता है, और संसार एक डरावनी जगह हो सकती है l जब हम फ़ोबिया और भय से जूझते हैं, तो अपने को याद दिलाना अच्छा होता है कि हमारा ईश्वर एक अद्भुत ईश्वर है, जो हमें अँधेरे के बीच में अपना प्रस्तुत/विद्यमान आराम प्रदान करता है l 

 

भले कामों में धनी

एक धोबिन के रूप में सात दशकों की कड़ी मेहनत——हाथ से कपड़े साफ़ करना, सुखाना और प्रेस करना——के बाद, ओसियोला मैक्कार्टी अंततः छियासी वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार थी l उन्होंने इतने वर्षों में ईमानदारी से अपनी अल्प कमाई बचाई थी, और अपने समुदाय को आश्चर्यचकित करते हुए, उन्होंने ज़रूरतमंद छात्रों के लिए छात्रवृत्ति कोष बनाने के लिए पास के विश्वविद्यालय को $150,000(लगभग 1.24 करोड़) का दान दिया l उनके निस्वार्थ उपहार से प्रेरित होकर, सैकड़ों लोगों ने उनकी निधि को तीन गुना करने के लिए पर्याप्त दान दिया l 

ओसियोला समझ गयी कि उसकी संपत्ति का असली मूल्य उसे अपने लाभ के लिए उपयोग करने में नहीं, बल्कि दूसरों को आशीर्वाद देने में है l प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को उत्साहित किया कि वह उन लोगों को आज्ञा दे जो इस वर्तमान संसार में धनी हैं, “भले कामों में धनी बने”(1 तीमुथियुस 6:18) l हममें से प्रत्येक को प्रबंधन के लिए धन दिया गया है, चाहे वह वित्तीय साधनों के रूप में हो या अन्य संसाधनों के रूप में l अपने संसाधनों पर भरोसा करने के बजाय, पौलुस हमें केवल परमेश्वर पर आशा रखने (पद.17) और “उदार और सहायता देने में तत्पर” (पद.18) बनकर स्वर्ग में धन इकठ्ठा करने की चेतावनी देता है l 

परमेश्वर की अर्थव्यवस्था में, रोक के रखना और उदार न होना केवल खालीपन की ओर ले जाता है l प्रेम से दूसरों को देना पूर्णता का मार्ग है l अधिक के लिए प्रयास करने के बजाय, हमारे पास जो कुछ है उसमें भक्ति और संतुष्टि दोनों रखना, महान लाभ है (पद.6) l ओसियोला की तरह अपने संसाधनों के प्रति उदार होना हमारे लिए कैसा रहेगा? आइये आज हम अच्छे कामों से समृद्ध होने का प्रयास करें क्योंकि परमेश्वर हमारी अगुआई करता है l 

 

उपासना स्थल

जब द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स/लोकसभा(House of Commons) पर बमबारी की गयी, तो प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल ने संसद से कहा कि उन्हें इसके मूल डिज़ाइन के अनुसार इसका पुनर्निर्माण करना चाहिए l यह छोटा होना चाहिए, इसलिए बहसें आमने-सामने रहेंगी l यह अर्धवृत्ताकार के बजाय आयताकार(oblong) होना चाहिए, जिससे राजनेताओं को “केंद्र के चारों ओर घूमने” की अनुमति मिल सके l इसने ब्रिटेन की पार्टी प्रणाली को संरक्षित रखा, जहाँ वामपंथी(Left) और दक्षिणपंथी(Right) पूरे कमरे में एक-दूसरे का सामना करते थे, जिससे पक्ष बदलने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होती थी l चर्चिल ने निष्कर्ष निकाला, “हम अपने इमारतों को आकार देते हैं और उसके बाद हमारी इमारतें हमें आकार देती हैं l”

परमेश्वर सहमत प्रतीत होते हैं l निर्गमन के आठ अध्याय (अध्याय 24-31) तम्बू के निर्माण सम्बंधित निर्देश देते हैं, और छह और (अध्याय 35-40) वर्णन करते हैं कि इस्राएल ने यह कैसे किया l परमेश्वर उनकी आराधना की परवाह करता था l जब लोग आँगन में दाखिल हुए, तो चमचमाते सोने और तम्बू के रंगीन पर्दों ने उन्हें चकाचौंध कर दिया (26:1, 31-37) l होमबली की वेदी (27:1-8) और जल पात्र (30:17-21) ने उन्हें उनकी क्षमा की कीमत की याद दिलाई l तम्बू में एक दीवट (25:31-40), रोटी की मेज़ (25:23-30), धूप की वेदी (30:1-6), और वाचा का संदूक (25:10-22) था l प्रत्येक वस्तु का बहुत महत्व था l 

परमेश्वर हमें हमारे उपासना स्थल के लिए विस्तृत निर्देश नहीं देते हैं जैसा उसने इस्राएल के साथ किया था, फिर भी हमारी उपासना कम महत्वपूर्ण नहीं है l हमारा असली अस्तित्व उसके रहने के लिए अलग रखा गया एक तम्बू/उपासना स्थल होना है l हम जो कुछ भी करें वह हमें याद दिलाए कि वह कौन है और क्या करता है l