उदार विश्वास
कुछ साल पहले, हमारे चर्च को राजनितिक नेतृत्व में उथल-पुथल भरे बदलाव के बाद अपने देश से भाग रहे शरणार्थियों के अतिथि-सत्कार के लिए आमंत्रित किया गया था l कई परिवार केवल उतना ही लेकर आए जितना वे एक छोटे बैग में रख सकते थे l हमारे कई चर्च परिवारों ने उनके लिए अपने घर दिए, जिनमें कुछ ऐसे भी थे जिनके पास बहुत कम जगह थी l
जब वे प्रतिज्ञात देश में प्रवेश किये तो उनका दयालु आतिथ्य इस्राएलियों को दिए गए परमेश्वर के तिगुना आदेश को दर्शाता है (व्यवस्थाविवरण 24:19-21) l एक कृषक समाज के रूप में, वे फसल का महत्व समझते थे l अगले वर्ष तक के लिए फसलें प्राप्त करना आवश्यक था l यह परमेश्वर की आज्ञा को “परदेशी, अनाथ, और विधवा” के लिए [कुछ] छोड़ने” (पद.19) को उस पर भरोसा करने का एक अनुरोध भी बनाता है l इस्राएलियों को उदारता का अभ्यास न केवल तब देना था जब वे जानते थे कि उनके पास पर्याप्त है, बल्कि ऐसे हृदय से देना जो परमेश्वर के प्रबंध पर भरोसा करता हो l ऐसा आतिथ्य एक अनुस्मारक भी था “कि [वे] मिस्र में दास थे” (पद.18,22) l वे एक समय उत्पीडित और निराश्रित थे l उनकी उदारता उन्हें बंधन से मुक्त करने में परमेश्वर की दयालुता की याद दिलाती थी l
यीशु में विश्वास करने वालों से भी इसी तरह उदार होने का आग्रह किया जाता है l पौलुस हमें याद दिलाता है, “वह [मसीह]धनी होकर भी तुम्हारे लिए कंगाल बन गया, ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ” (2 कुरिन्थियों 8:9) l हम देते हैं क्योंकि उसने हमें दिया है l
चंगाई की आशा
रीढ़ की हड्डी की चोट से लकवाग्रस्त लोगों के लिए आशा का एक नया कारण सामने आया है l जर्मन शोधकर्ताओं ने मांसपेशियों और मस्तिष्क के बीच तंत्रिका मार्गों(neural pathways) को फिर से जोड़ने के लिए तंत्रिका विकास को प्रोत्साहित करने का एक तरीका खोजा है l पुनर्विकास ने लकवाग्रस्त चूहों को फिर से चलने में सक्षम बना दिया है, और यह निर्धारित करने के लिए परीक्षण जारी रहेगा कि यह चिकित्सा मनुष्यों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं l
जो लोग पक्षाघात से पीड़ित हैं उनके लिए विज्ञान जो हासिल करना चाहता है, यीशु ने चमत्कारों के द्वारा किया l जब वह बैतहसदा के कुण्ड पर गया, एक ऐसा स्थान जहाँ बहुत से बीमार लोग चंगाई की आशा में ठहरे रहते थे, तो यीशु ने उनमें से एक ऐसे व्यक्ति को देखा “अड़तीस वर्ष से बीमारी में पड़ा था” (यूहन्ना 5:5) l यह पुष्टि करने के बाद कि वह मनुष्य वास्तव में ठीक होना चाहता था, मसीह ने उसे खड़े होने और चलने की आज्ञा दी l “वह मनुष्य तुरंत चंगा हो, और अपनी खाट उठाकर चलने फिरने लगा” (पद.9) l
हमसे यह प्रतिज्ञा नहीं की गयी है कि हमारी सभी शारीरिक बीमारियाँ ठीक कर दी जाएंगी—कुण्ड में अन्य लोग भी थे जिन्हें उस दिन यीशु द्वारा ठीक नहीं किया गया था l लेकिन जो लोग उस पर भरोसा करते हैं, वे उसके द्वारा दी गयी चंगाई का अनुभव कर सकते हैं—निराशा से आशा तक, कड़वाहट से अनुग्रह तक, घृणा से प्रेम तक, आरोप से क्षमा करने की इच्छा तक l कोई भी वैज्ञानिक खोज (या पानी का कुण्ड) हमें ऐसी चंगाई नहीं दे सकती; यह केवल विश्वास से संभव है l
सेवा का हृदय
जब मेरे “चाचा” एमरी का निधन हुआ, तो श्रद्धांजलियां अनेक और विविध थीं l फिर भी उन सभी सम्मानों का एक अनुकूल विषय था—एमरी ने दूसरों की सेवा करके परमेश्वर के प्रति अपना प्यार दिखाया था l इसका उदाहरण उनकी द्वितीय विश्व युद्ध की सैन्य सेवा के दौरान प्रकट था, जहाँ उन्होंने एक कॉर्प्समैन(corpsman) के रूप में कार्य किया था—एक चिकित्सक जो बिना हथियार के युद्ध में गया था l उनकी बहादुरी के लिए उन्हें उच्च सैन्य सम्मान मिला, लेकिन एमरी को युद्ध के दौरान और उसके बाद उनकी दयालु सेवा के लिए सबसे अधिक याद किया गया l
एमरी की निस्वार्थता गलातियों के प्रति पौलुस की चुनौती के अनुरूप थी l उसने लिखा, “हे भाइयों (और बहनों), तुम स्वतंत्र होने के लिए बुलाए गए हो; परन्तु ऐसा न हो कि यह स्वतंत्रता शारीरिक कामों के लिए अवसर बने, वरन् प्रेम से एक दूसरे के दास बनो” (गलातियों 5:13) l आखिर कैसे? हमारे टूटेपन में, हम दूसरों के बजाय स्वयं को पहले रखने के लिए दृढ़ हैं तो यह अप्राकृतिक निस्वार्थता कहाँ से आती है?
फिलिप्पियों 2:5 में, पौलुस यह प्रोत्साहन देता है : “जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो l” पौलुस हमारे प्रति अपने महान प्रेम के कारण क्रूस पर मृत्यु का अनुभव करने की मसीह की इच्छा का वर्णन करता है l जैसे ही उसकी आत्मा हमें मसीह के मन को उत्पन्न करती है, तभी हम अलग होते हैं और दूसरों के लिए बलिदान देने में सक्षम होते हैं—यीशु द्वारा किए गए अंतिम बलिदान को दर्शाते हुए जब उसने हमारे लिए खुद को दे दिया l क्या हम अपने भीतर आत्मा के कार्य के प्रति समर्पण कर सकते हैं l
दुविधा और गहरा विश्वास
शनिवार की सुबह बाइबल अध्ययन के दौरान, एक पिता हैरान था क्योंकि उसकी प्यारी, मनमौजी बेटी शहर लौट आई थी, लेकिन अपने घर में उसके व्यवहार के कारण वह उससे असहज था l एक अन्य सहभागी अस्वस्थ थी क्योंकि लम्बे समय की बिमारी और उम्र बढ़ने के शारीरिक प्रभावों ने उस पर असर डाला था l कई डॉक्टरों के पास बार-बार जाने से कम से कम प्रगति हुयी l वह हतोत्साहित थी l ईश्वरीय योजना के अनुसार, मरकुस अध्याय 5 बाइबल का वह अंश था जिसका उसने उस दिन अध्ययन किया था l और जब अध्ययन समाप्त हुआ, तो आशा और ख़ुशी स्पष्ट थी l
मरकुस 5:23 में, याईर, एक बीमार का पिता, चिल्लाकर बोला, “मेरी छोटी बेटी मरने पर है l” लड़की से मिलने के लिए जाते समय, यीशु ने एक अनाम स्त्री को उसकी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या से ठीक करते हुए कहा, “पुत्री, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है” (पद.34) l यीशु में विश्वास से मजबूर होकर याईर और स्त्री ने उसे खोजा और वे निराश नहीं हुए l लेकिन दोनों ही मामलों में, यीशु से मिलने से पहले, चीज़ें बहतर होने से पहले “बुरी से बद्तर” की ओर बढ़ चुकी थीं l
जीवन की दुविधाएं भेदभाव नहीं करती l लिंग या उम्र, नस्ल या वर्ग की परवाह किए बिना, हम सभी ऐसी स्थितियों का सामना करते हैं जो हमें भ्रमित कर देती हैं और हमें उत्तर खोजने के लिए प्रेरित करती हैं l चुनौतियों को हमें यीशु से दूर रखने की अनुमति देने के बजाय, आइये हम उन्हें उस व्यक्ति में गहरे विश्वास के लिए प्रेरित करने का प्रयास करें जो इसे महसूस करता है जब हम उसे छूते हैं(पद.30) और जो हमें ठीक कर सकता है l
यीशु की आशा करना
मेरा मित्र पॉल अपने रेफ्रीजरेटर के मरम्मत के लिए तकनीशियन के आने का इंतजार कर रहा था जब उसने अपने फोन पर उपकरण कम्पनी से एक सन्देश देखा l इसमें लिखा था : “जीसस अपने रास्ते पर हैं और लगभग 11.35 बजे उनके पहुँचने की उम्मीद है l” पॉल को जल्द ही पता चला कि तकनीशियन का नाम वास्तव में जीसस(hay-SOOS) था l
लेकिन हम परमेश्वर के पुत्र यीशु के आने की उम्मीद कब कर सकते हैं? जब वह दो हज़ार वर्ष पहले एक मनुष्य के रूप में आया और हमारे पापों का दण्ड भुगता, तो उसने कहा कि वह वापस आएगा—लेकिन केवल पिता ही उसकी वापसी का सटीक “दिन या घड़ी” जानता था (मत्ती 24:36) l यदि हमें पता चल जाए कि हमारा उद्धारकर्ता पृथ्वी पर वापस आ रहा है तो इससे हमारी दिन-प्रतिदिन की प्राथमिकताओं में क्या अंतर आ सकता है? (यूहन्ना 14:1-3)
यीशु हमें उसकी वापसी के लिए तैयार रहने के लिए आगाह किया : “जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा l उसने हमें याद दिलाया कि “जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा” (पद.42) l
यीशु मसीह की वापसी के दिन, हमें सचेत करने के लिए हमारे फोन पर कोई अलर्ट नहीं मिलेगा l तो, हमारे भीतर काम करने वाली आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा, आइये प्रत्येक दिन को अनंत काल के सन्दर्भ में जीएं, परमेश्वर की सेवा करें और उसके प्यार और आशा के सन्देश को दूसरों के साथ साझा करने के अवसर का हम लाभ उठाएं l