वर्जीनिया में हमारे भूतपूर्व चर्च ने रिवन्ना नदी में बपतिस्मा आयोजित किया था, जहां अक्सर धूप गर्म होती है, लेकिन पानी ठंडा होता है। हमारी रविवार की आराधना सभा के बाद हम सब अपनी अपनी कारों में बैठते और काफिला बनाकर  शहर के एक पार्क में जाते थे, जहां पडौसी फ्रिसबीस (एक हल्की प्लास्टिक डिस्क , जिसे मनोरंजन या प्रतियोगिता के लिए घुमाकर फेंका जाता है) खेलते थे और बच्चे खेल के मैदान  मे अपना मनोरंजन करते थे।  यह देखने वाला दृश्य होता था। हम धीरे धीरे चलकर नदी के किनारे जाते थे। फिर मैं ठंडे पानी में खडा होता और पवि़त्रशास्त्र को पढ़ता और बपतिस्मा लेने वालों को परमेश्वर के इस वास्तविक  प्रेम की अभिव्यक्ति में डुबो देताथा। जब वे पूरे भीगे हुये पानी से बाहर आते और नदी के किनारे से चढकर बाहर निकलते तो तालियों से उनका स्वागत किया जाता था। परिवार और दोस्त  नये बपतिस्मा लिये लोगों को गले लगाते और सब भीग जाते थे।   हमारे पास केक, पेय और स्नैक्स थे। देखने वाले पड़ोसियों को हमेशा समझ नहीं आता था कि क्या हो रहा है, लेकिन उन्हें पता था कि यह एक उत्सव है। 

लूका 15 में, यीशु की उड़ाऊ पुत्र की कहानी (पद . 11-32) से पता चलता है कि जब भी कोई परमेश्वर के पास घर लौटता है तो यह उत्सव का कारण होता है। जब भी कोई परमेश्वर के निमंत्रण के लिए हाँ कहता है, तो यह आनन्द करने  का समय है। जब वह बेटा जिसने अपने पिता को छोड़ दिया था, वापस लौटा, तो पिता ने तुरंत उसे एक ख़ूबसूरत वस्त्र, एक चमकदार अंगूठी और नए जूते देने पर जोर दिया। “ पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनायें।,” (पद 23)। एक विशाल, उत्साहपूर्ण पार्टी जिसमें कोई भी शामिल हो, “जश्न मनाने” का एक उपयुक्त तरीका था (व.24)।