Month: अगस्त 2024

जेल के सलाखों के पीछे

एक प्रसिद्ध खिलाड़ी/athlete ने ऐसे मंच पर कदम रखा जो कोई खेल स्टेडियम नहीं था l उसने जेल सुविधा में तीन सौ कैदियों से बात की और उन्हें यशायाह के शब्दों को साझा किया l 

हालाँकि, यह क्षण किसी प्रसिद्ध खिलाड़ी के तमाशे के बारे में नहीं था, बल्कि टूटी हुयी और आहात आत्माओं के समुद्र के बारे में था l इस विशेष समय में, परमेश्वर सलाखों के पीछे दिखायी हुए l एक पर्यवेक्षक ने ट्वीट/tweet किया कि “छोटे चर्च/chapel में आराधना और प्रशंसा का दौर आरम्भ हो गया l” पुरुष एक साथ रो रहे थे और प्रार्थना कर रहे थे l अंत में, लगभग सत्ताईस कैदियों ने मसीह को अपना जीवन दिया l 

एक तरह से, हम सभी अपनी ही बनायी जेलों में हैं, अपने लालच, स्वार्थ और लत की सलाखों के पीछे फंसे हुए हैं l लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ईश्वर प्रकट होता है l उस सुबह जेल में मुख्य पद था, “देखो, मैं एक नयी बात करता हूँ; वह अभी प्रगट होगी, क्या तुम उससे अनजान रहोगे?” (यशायाह 43:19) l यह अनुच्छेद हमें “बीती हुयी घटनाओं का स्मरण [नहीं करने] के लिए प्रोत्साहित करता है (पद.18) क्योंकि ईश्वर कहता है, “मैं वही हूँ जो . . . तेरे पापों को स्मरण न करूँगा” (पद.25) l 

फिर भी परमेश्वर यह स्पष्ट करता है : “मैं ही यहोवा हूँ और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं” (पद.11) l केवल मसीह को अपने जीवन देखर ही हम स्वतंत्र हुए हैं l हममें से कुछ को ऐसा करने की जरूरत है; हममें से कुछ लोगों ने ऐसा किया है, लेकिन हमें यह याद दिलाने की जरुरत है कि वास्तव में हमारे जीवन का ईश्वर कौन है l हमें निश्चय दिया गया है कि, मसीह के द्वारा, परमेश्वर वास्तव में “एक नया काम” करेगा l तो आइये देखें क्या होता है!

स्वागत चटाई/Mat

अपने स्थानीय सुपरमार्केट में प्रदर्शित चटाई/doormat को देखते हुए, मैंने उनकी सतहों पर अंकित संदेशों को देखा l “हेलो!/Hello!” “ओ/O के साथ “घर/Home” l और जो अधिक परिचित था, मैंने उसे चुना, “स्वागत है/Welcome l” इसे घर पर रखकर मैंने अपने हृदय की जांच की l क्या मेरा घर वास्तव में उस तरह का स्वागत कर रहा था जैसा ईश्वर चाहता है? संकट या पारिवारिक अशांति में फंसे बच्चे का? आवश्यकतामंद पड़ोसी शहर के बाहर से परिवार का कोई सदस्य जिसने अचानक ही फोन कर दिया? 

मरकुस 9 में, यीशु रूपांतरण के पर्वत से आगे बढ़ता है जहां पतरस, याकूब और यूहन्ना उसकी पवित्र उपस्थिति में विस्मय में खड़े थे (पद.1-13), एक पिता के साथ एक दुष्टात्माग्रस्त लड़के को ठीक करने के लिए जो आशा खो चुका था (पद.14-29) l तब यीशु ने अपने शिष्यों को अपने आने वाली मृत्यु के विषय में व्यक्तिगत शिक्षा दी (पद.30-३२) l वे उसकी बात से बूरी तरह चूक गए (पद.33-34) l जबाब में, यीशु ने एक बच्चे को अपने गोद में उठाया और कहा, “जो कोई मेरे नाम से ऐसे बालकों में से किसी एक को भी ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता, वह मुझे नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है” (पद.37) l यहाँ स्वागत शब्द का अर्थ अतिथि के रूप में स्वागत करना और स्वीकार करना है l यीशु चाहते हैं कि उनके शिष्य सभी का स्वागत करें, यहाँ तक कि कम महत्व वाले और असुविधाजनक लोगों का भी, मानो हम उनका स्वागत कर रहे हों l 

मैंने अपने स्वागत चटाई/mat के बारे में सोचा और विचारा कि मैं दूसरों तक उसका प्रेम कैसे बढ़ाती हूँ l इसका आरम्भ यीशु को एक बहुमूल्य अतिथि के रूप में स्वागत करने से होता है l क्या मैं उसे अपने नेतृत्व करने की अनुमति दूंगी, दूसरों का उस तरह से स्वागत करते हुए जिस तरह वह चाहता है?

परमेश्वर के वचन के प्रेमी

खूबसूरत दुल्हन, अपने स्वाभिमानी पिता की बाँह पकड़कर, वेदी की ओर जाने के लिए तैयार थी l लेकिन उसके तेरह महीने के भतीजे के प्रवेश से पहले नहीं l अधिक सामान्य “अंगूठी” ले जाने के बजाय—वह “बाइबल वाहक” था l इस तरह, दूल्हा और दुल्हन, यीशु में वचनबद्ध विश्वासियों के रूप में, पवित्रशास्त्र के प्रति अपने प्रेम की गवाही देना चाहते थे l न्यूनतम मनबहलाव के साथ, बच्चे ने चर्च के सामने अपना रास्ता खोज लिया l यह कितना दृष्टान्त रूप था कि बाइबल के चमड़े के कवर पर बच्चे के दाँतों के निशान पाए गए l गतिविधि की यह कैसी तस्वीर है जो मसीह में विश्वास करने वालों या उसे जानने की इच्छा रखने वालों के लिए उप्युक्त है—पवित्रशास्त्र का स्वाद चखने और ग्रहण करने के लिए l 

भजन 119 पवित्रशास्त्र के व्यापक महत्व का जश्न मनाता है l ईश्वर के नियम(पद.1) के अनुसार जीने वालों के परम सुख की घोषणा करने के बाद लेखक ने काव्यात्मक ढंग से इसके प्रति अपने प्रेम सहित, इसके बारे में प्रशंसा की l “देख, मैं तेरे नियमों से कैसी प्रीति रखता हूँ”(पद.159); “झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूँ, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ”(पद.163); “मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूँ, और उनसे बहुत प्रीति रखता आया हूँ” (पद.167) l 

हम अपने जीवन के द्वारा ईश्वर और उसके वचन के प्रति अपने प्रेम के बारे में क्या बयान देते हैं? उसके प्रति हमारे प्रेम को परखने का एक तरिका यह पूछना है, मैं किस में भाग ले रहा हूँ? क्या मैं पवित्रशास्त्र के मीठे शब्दों को “चबा रहा” हूँ? और फिर इस निमंत्रण को स्वीकार करें, “परखकर(चखकर) देखो कि यहोवा कैसा भला है” (34:8) l 

परमेश्वर से चिपके रहना

जब जॉनी एरिक्सन टाडा राइका के बारे में बात करती है, तो वह अपने दोस्त की “ईश्वर में गहरी, समय-परीक्षणिक आस्था” और एक दुर्बल पुरानी स्थिति के साथ रहते हुए उसके द्वारा विकसित किए गए धैर्य पर प्रकाश डालती है l राइका पिछले पंद्रह वर्षों से भी अधिक समय से बिस्तर पर पड़ी है और अपने कमरे की छोटी सी खिड़की से चाँद को देखने में भी असमर्थ है l लेकिन उसने उम्मीद नहीं खोई है; वह ईश्वर पर भरोसा करती है, बाइबल पढ़ती है और उसका अध्ययन करती है, और जैसा कि जॉनी इसका वर्णन करती है, वह “जानती है कि निराशा के विरुद्ध भयंकर लड़ाई के दौरान कैसे दृढ रहना है l” 

जॉनी ने राइका की दृढ़ता की तुलना एलीआज़र से की, जो राजा दाऊद के समय का एक सैनिक था, जिसने पलिश्तियों से भागने से इनकार कर दिया था l भागने वाले सैनिकों में शामिल होने के बजाय, एलीआज़र अपनी बात पर अड़ा रहा “जब तक उसका(एलीआज़र) [का] हाथ थक न गया, और तलवार हाथ से चिपट न गयी” (2 शमूएल 23:10) l परमेश्वर की सामर्थ के द्वारा, “यहोवा ने बड़ी विजय कराई(प्राप्त की)” (पद.10) l जैसा कि जॉनी ने देखा, जैसे एलीआज़र ने दृढ संकल्प के साथ तलवार को पकड़ लिया, वैसे ही राइका भी “आत्मा की तलवार, जो परमेश्वर का वचन है” से चिपक गयी (इफिसियों 6:17) l और वहाँ, ईश्वर में वह अपनी शक्ति पाती है l 

चाहे चमकता हुआ अच्छा स्वास्थ्य हो या पुरानी स्थिति से निराशा से जूझना हो, हम भी अपनी आशा के भण्डार को गहरा करने और हम सहन करने में मदद करने के लिए ईश्वर की ओर देख सकते हैं l मसीह में हम अपनी शक्ति पाते हैं l