विक्टोरियन इंग्लैंड की फ़ैक्टरियाँ अँधेरे स्थान थे। जहाँ कई जाने जाती थी, और मज़दूर अक्सर गरीबी में रहते थे। जॉर्ज कैडबरी ने पूछा, “एक काम करने वाला आदमी एक आदर्श चीज़ को कैसे विकसित कर सकता है, जब उसका खुद का घर एक झुग्गी हो?” और इसलिए उन्होंने अपने विस्तारित चॉकलेट व्यवसाय के लिए एक नई तरह की फैक्ट्री बनाई, जिससे उनके मज़दूरों को लाभ हुआ। इसका नतीजा था बॉर्नविले – एक गांव जहाँ तीन सौ से अधिक घर थे जिसमें कैडबरी के मज़दूरों और उनके परिवारों के लिए खेल के मैदान, स्कूल और चर्च थे। मज़दूरों को अच्छा वेतन दिया गया और चिकित्सा स्थलों की सुविधा भी दी गयी, यह सब इसलिए था क्योंकि कैडबरी का विश्वास यीशु मसीह पर था।

यीशु हमें परमेश्वर की इच्छा “जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे पृथ्वी पर” पूरी करने के लिए प्रार्थना करना सिखाते हैं (मत्ती 6:10)। यह प्रार्थना हमें कल्पना करने में मदद कर सकती है, जैसा कि कैडबरी की, कि परमेश्वर के राज्य में हमारे कार्यस्थल कैसे होंगे, जहां हमारी “प्रतिदिन की रोटी” कमाई जाती है और हमारे “कर्ज़दारों” को माफ कर दिया जाता है (पद 11-12)। एक काम करनेवाले के रूप में, इसका अर्थ है “पूरे मन से काम करना . . प्रभु के लिये” (कुलुस्सियों 3:23)। एक स्वामी के रूप में, इसका अर्थ है कर्मचारियों को वह देना जो “सही और निष्पक्ष” हो (4:1)। हमारी भूमिका जो भी हो, चाहे वेतन कमाने वाले हो या स्वयंसेवी हो, इसका मतलब उन लोगों की भलाई के लिए प्रयास करना है जिनकी हम सेवा करते हैं।

जॉर्ज कैडबरी की तरह, आइए कल्पना करें कि अगर परमेश्वर हमारे पड़ोस और कार्यस्थलों को चलाने वाला हो तो चीजें कैसे भिन्न होंगी। क्योंकि जहाँ वो होता है, वहाँ लोग फलते-फूलते हैं।