
मिलकर पर्वतों पर विजय
आपने इस कहावत का कुछ रूप देखा या सुना होगा : “यदि आप तेजी से जाना चाहते हैं, तो अकेले जाएं l लेकिन यदि आप दूर जाना चाहते हैं, तो साथ जाएं l” यह एक नेक विचार है, है न? लेकिन क्या हमें निश्चित करने के लिए कोई ठोस शोध है कि ये शब्द न सिर्फ नेक हैं, बल्कि सच भी हैं?
हाँ! वास्तव में, ब्रिटिश और अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किये गए ऐसे एक अध्ययन से पता चला है कि अगर लोग अकेले खड़े होते हैं तो उन्हें किसी और के साथ खड़े होने पर पहाड़ों का आकार काफी छोटा लगता है l दूसरे शब्दों में, “सामजिक समर्थन” मायने रखता है—इतना कि यह हमारे दिमाग में पहाड़ों के आकार को भी छोटा कर देता है l
दाऊद को योनातान के साथ अपनी मित्रता में उस तरह का प्रोत्साहन प्यारा और सच्चा दोनों लगा l राजा शाऊल का ईर्ष्यालु क्रोध दाऊद की कहानी में एक दुर्गम पहाड़ की तरह था, जिससे उसे अपने जीवन के लिए डर सता रहा था(देखें 1 शमूएल 19:9-18) l किसी तरह के समर्शन के बिना—इस मामले में उसका सबसे निकट का मित्र—यह कहानी काफी अलग हो सकती थी l लेकिन योनातान, अपने पिता के शर्मनाक व्यवहार से “बहुत खेदित था”(20:34), और पुछा, “वह क्यों मारा जाए?”(पद.20) l उनकी ईश्वर-निर्धारित(God ordained) मित्रता ने दाऊद को सहारा दिया, जिससे वह इस्राएल का राजा बन सका l

हानि के मार्ग में
सुबह की सैर के दौरान मैंने देखा कि एक वाहन गलत दिशा में सड़क पर खड़ा था l ड्राइवर को खुद और दूसरों के लिए खतरे का अंदाज़ा नहीं था क्योंकि वह सो रही थी और शराब के नशे में लग रह थी l स्थिति खतरनाक थी और मुझे कार्य करना पड़ा l उसे काफी सचेत करके मैंने उसे कार के यात्री हिस्से में बैठाया और ड्राईवर की सीट पर बैठ कर, उसे एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया l
शारीरिक खतरा ही एकमात्र हानि नहीं है जिसका हम सामना करते हैं l जब पौलुस ने एथेंस में सांसारिक रूप से बुद्धिमान, चतुर लोगों को आत्मिक संकट में देखा, क्योंकि . . . नगर मूरतों से भरा हुआ [था]” तो “उसका जी जल गया”(प्रेरितों 17:16) l उन लोगों के प्रति प्रेरित की सहज प्रतिक्रिया जो मसीह पर विचार करने में विफल रहने वाले विचारों से खिलवाड़ करते थे, यीशु में और उसके द्वारा परमेश्वर के उद्देश्यों के बार में साझा करना था (पद.18,30-31) l और सुनने वालों में से कुछ ने विश्वास किया(पद.34) l
मसीह में विश्वास के आलावा परम अर्थ की तलाश करना खतरनाक है l जिन लोगों ने यीशु में क्षमा और सच्ची पूर्णता पायी है उन्हें गतिरोध वाली गतिविधियों से बचाया गया है और उन्हें मेल-मिलाप का सन्देश दिया गया है (देखें 2 कुरिन्थियों 5:18-21) l इस जीवन के नशे के प्रभाव में रहने वाले लोगों के साथ यीशु के सुसमाचार को साझा करना अभी भी वह साधन है जिसका उपयोग परमेश्वर लोगों को हानि के रास्ते से बचाने के लिए करता है l

निरंतर प्रार्थना करें
मुझे परीक्षा में 84 अंक मिले!
जब मैंने अपने फोन पर उसका सन्देश पढ़ा तो मुझे अपने किशोरावस्था का उत्साह महसूस हुआ l उसने हाल ही में एक हाई स्कूल की कक्षाओं में भाग लेना शुरू किया था और दोपहर के भोजन के दौरान अपने फोन का उपयोग कर रही थी l मेरी माँ का हृदय अत्यंत प्रसन्नता से भर गया, सिर्फ इसलिए नहीं कि मेरी बेटी ने एक चुनौतीपूर्ण परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया था, बल्कि इसलिए कि वह यह बात मुझे बताना चाह रही थी l वह अपनी खुशखबरी मेरे साथ साझा करना चाहती थी!
यह महसूस करते हुए कि उसके सन्देश ने मेरा दिन बना दिया था, मैंने बाद में सोचा कि जब मैं परमेश्वर के पास पहुँचता हूँ तो उसे कैसा महसूस होता होगा l जब मैं उससे बात करता हूँ तो क्या वह उतना ही प्रसन्न होता है? प्रार्थना वह तरीका है जिससे हम परमेश्वर के साथ संवाद करते हैं और प्रार्थना “निरंतर” करने के लिए कहा गया है(1 थिस्सलुनीकियों 5:17) l उसके साथ बात करना हमें याद दिलाता है कि वह हर अच्छे और बुरे समय में हमारे साथ है l परमेश्वर के साथ अपनी खबरें साझा करना, भले ही वह पहले से ही हमारे बारे में सब कुछ जानता हो, सहायक है क्योंकि यह हमारा ध्यान केन्द्रित करता है और हमें उसके बारे में सोचने में सहायता करता है l यशायाह 26:3 कहता है, “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है l” जब हम अपना ध्यान परमेश्वर की ओर लगाते हैं तो शांति हमारा इंतज़ार कर रही होती है l
चाहे हम किसी भी स्थिति का सामना करें, हम लगातार परमेश्वर से बात करते रहें और अपने सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता के संपर्क में रहें l धीरे से प्रार्थना करें और आनंद मानना और “धन्यवाद देना” याद रखें l आखिरकार, पौलुस कहता है, हमारे लिए “परमेश्वर की यही इच्छा है”(1 थिस्सलुनीकियों 5:18) l

असीमित प्यार
“परमेश्वर हमारे प्रति बहुत भला रहा है! मैं हमारी वर्षगाँठ के लिए उसको धन्यवाद देना चाहती हूँ l टेरी(Terry) की आवाज़ स्थिर थी, और उसकी आँखों में आंसू उसकी ईमानदारी को दर्शा रहे थे l हमारे छोटे समूह के लोग बहुत प्रभावित हुए l हम जानते थे कि टेरी और उसके पति पर पिछले वर्षों में क्या बीता था l विश्वासी होने के बावजूद, रॉबर्ट अचानक गंभीर मानसिक बिमारी से पीड़ित हो गया और उसने अपनी चार साल की बेटी की जान ले ली l उसे मानसिक रूप से देखभाल करने वाली संस्था में दशकों तक रखा जाएगा, लेकिन टेरी ने उससे मुलाकात की, और ईश्वर ने उसे माफ़ करने में मदद करते हुए एक सुंदर चंगाई का कार्य किया l अत्यधिक हृदय वेदना के बावजूद, उसका एक-दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ता गया l
ऐसा प्रेम और क्षमा केवल एक ही श्रोत से आ सकते हैं l दाऊद परमेश्वर के बारे में इस तरह लिखता है, “उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया . . . उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है”(भजन 103:10,12) l
परमेश्वर हम पर जो करुणा दिखाता है वह उसके व्यापक प्रेम के द्वारा आता है : “जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करुणा[उसका प्यार] उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है”(पद.11) l इतने गहरे प्यार ने उसे हमारे पापों को दूर करने के लिए क्रूस और कब्र की गहराई तक जाने के लिए मजबूर किया ताकि वह उन सभी को अपने पास ला सके जो “उसे ग्रहण [करते हैं]”(यूहन्ना 1:12) l
टेरी सही थी l “परमेश्वर हमारे लिए बहुत अच्छा रहा है!” उसका प्रेम और क्षमा अकल्पनीय सीमाओं से परे तक पहुंचता है और हमें ऐसा जीवन प्रदान करता है जो कभी समाप्त नहीं होता l
