बुद्धिमान चुनाव करना
क्या मैं अपनी दिवंगत माँ का घर बेच दूँ? मेरी प्यारी, विधवा माँ के निधन के बाद उस फैसले ने मेरे हृदय को बोझिल किया l भावुकता ने मेरे अहसासों को प्रेरित किया l फिर भी, मेरी बहन और मैंने ने उनके खाली घर की सफाई और मरम्मत में दो साल बिताएं, और उसे बेचना चाहा l यह 2008 की बात है, और विश्विक मंदी(global recession) के कारण हमारे पास कोई खरीददार नहीं था l हम कीमत कम करते रहे लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला l फिर, एक सुबह अपनी बाइबल पढ़ते समय इस अंश पर मेरी नज़र पड़ी : “जहाँ बैल नहीं, वहाँ गौशाला स्वच्छ तो रहता है, परन्तु बैल के बल से अनाज की बढ़ती होती है”(नीतिवचन 14:4) l
कहावत में खेती की बात की गयी थी, लेकिन मैं इसके सन्देश से चकित थी l एक खाली स्टॉल साफ़-सुथरा रहता है, लेकिन केवल निवासियों के रहने से ही फसल की पैदावार हो सकती है l या, हमारे लिए, उपयोगिता और पारिवारिक विरासत की फसल l मैंने अपनी बहन को फोन करके पूछा, “अगर हम माँ का घर रखेंगे तो कैसा रहेगा? हम इसे किराए पर दे सकते हैं l”
चुनाव ने हमें आश्चर्यचकित कर दिया l माँ के घर को निवेश में बदलने की हमारी कोई योजना नहीं थी l लेकिन बाइबल, एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में व्यवहारिक बुद्धिमत्ता भी देती है l जैसा कि दाऊद ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, अपने मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे”(भजन संहिता 25:4) l
हमारे चुनाव से, मुझे और मेरी बहन को कई प्यारे परिवारों को माँ का घर किराये पर देने का सौभाग्य मिला है l हमने यह जीवन बदल देनेवाला सत्य भी सीखा : “पवित्रशास्त्र हमारे निर्णयों का मार्गदर्शन करने में मदद करता है l भजनकार ने लिखा, “तेरा वचन मेरे पावों के लिए दीपक है, और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है”(भजन सहिंता 119:105) l
नियोजित भेंट/नियुक्ति
22 नवम्बर, 1963 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी, दार्शनिक और लेखक ऑल्ड्स हक्सले, और मसीही प्रचारक/पक्षसमर्थक(apologist) सी.एस. ल्युईस सभी की मृत्यु हो गयी l मौलिक रूप से भिन्न विश्वदृष्टिकोण वाले तीन प्रसिद्ध व्यक्ति l हक्सले, अज्ञेयवादी/अनीश्वरवादी(agnostic), अभी भी पूर्वी रहस्यवाद(Eastern mysticism) में डूबा हुआ था l कैनेडी, हालाँकि एक रोमन कैथोलिक थे, मानवतावादी दर्शन(humanistic philosophy) पर कायम थे l और ल्युईस एक पूर्व नास्तिक थे जो एक एंग्लिकन/इंग्लैंड के चर्च से सम्बंधित या सदस्य(Anglican) के रूप में यीशु में एक मुखर विश्वासी बन गया l मृत्यु किसी व्यक्ति का सम्मान नहीं करती क्योंकि इन तीनों प्रसिद्ध व्यक्तियों को एक ही दिन मृत्यु का सामना करना पड़ा l
बाइबल कहती है कि मृत्यु मानव अनुभव में तब आई जब आदम और हव्वा ने अदन के बगीचे में अनाज्ञाकारी हुए(उत्पत्ति 3)—एक दुखद सच्चाई जिसने मानव इतिहास को चिन्हित किया है l मृत्यु महान समकारी/बराबर करनेवाला(equalizer) है या, जैसा कि एक व्यक्ति ने कहा है, वह नियुक्ति(appointment) जिसे कोई भी टाल नहीं सकता है l यह इब्रानियों 9:27 का मुद्दा है, जहां हम पढ़ते हैं, “मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है l”
हमें अपनी मृत्यु के बारे में आशा कहाँ से मिलती है और उसके बाद क्या होता है? मसीह में l रोमियों 6:23 इस सत्य को पूरी तरह से दर्शाता है : “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनंत जीवन है l” परमेश्वर का यह उपहार कैसे उपलब्ध हुआ? यीशु, परमेश्वर का पुत्र, मृत्यु को नष्ट करने के लिए मर गया और हमें हमेशा के लिए जीवन प्रदान करने के लिए कब्र से जी उठा(2 तीमुथियुस 1:10) l
लोगों से यीशु के बारे में बताएं
पौलुस यहूदी शुद्धिकरण समारोह में मंदिर में गया था(प्रेरितों 21:26) l लेकिन कुछ उपद्रवियों ने सोचा कि वह क़ानून के विरुद्ध शिक्षा दे रहा था, इसलिए उन्होंने उसे मार डालना चाहा(पद.31) l रोमी सैनिक तुरंत हस्तक्षेप कर पौलुस को गिरफ्तार कर लिये, उसे बाँध दिया, और भीड़ के चिल्लाते हुए, “उसका अंत कर दो!”(पद.36) उसे मंदिर क्षेत्र से बाहर ले गए l
प्रेरित ने इस धमकी पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त दी? उसने पलटन के सरदार से पुछा कि क्या वह “लोगों से बात [कर सकता है]”(पद.39) l जब रोमी सरदार ने अनुमति दी, तो पौलुस, जिसका खून बह रहा था, और घायल था, क्रोधित भीड़ की ओर मुड़ा और यीशु में अपना विश्वास साझा किया(22:1-16) l
यह दो हज़ार साल से भी पहले की बात है—बाइबल की एक पुरानी कहानी जिससे हमें जुड़ना मुश्किल हो सकता है l ऐसे देश में जहां विश्वासियों पर नियमित रूप से अत्याचार किया जाता है, अभी हाल ही में, पीटर नाम के एक व्यक्ति को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह जेल में बन्द अपने एक मित्र से मिलने गया था जो यीशु में विश्वास करता था l पीटर को जेल की एक अँधेरी कोठरी में डाल दिया गया और पूछताछ के दौरान उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी गयी l जब आँखों से पट्टी हटाई गयी तो उसने चार सैनिकों को बंदूकें ताने हुए देखा l पीटर की प्रतिक्रिया? उसने इसे अपना विश्वास साझा करने के “एक उत्तम अवसर के रूप में देखा l”
पौलुस और एक आधुनिक/modern-day पीटर एक कठिन, महत्वपूर्ण सत्य की ओर इशारा करते हैं l भले ही परमेश्वर हमें कठिन समय का अनुभव करने की अनुमति देता है—यहाँ तक कि सताव भी—हमारा कार्य एक ही है : “सुसमाचार प्रचार [करें]”(मरकुस 16:15) l वह हमारे साथ रहेगा और हमें अपना विश्वास साझा करने के लिए बुद्धि और सामर्थ्य देगा l
मसीह में मजबूत समर्थन
लन्दन मैराथन(लम्बी दौड़) में एक धावक ने अनुभव किया कि बड़ी/लम्बी दौड़ में अकेले दौड़ना क्यों महत्वपूर्ण नहीं है l महीनों की कठिन तैयारी के बाद, वह आदमी जोरदार अंत करना चाहता था l लेकिन जैसे ही वह समापन रेखा की ओर लड़खड़ाने लगा, उसने खुद को दोगुना थका हुआ और गिरने की कगार पर पाया l इससे पहले कि वह भूमि पर गिरता, दो साथी मैराथन धावकों ने उसकी बाँहें पकड़ लीं—एक बायीं ओर से और एक दायीं ओर से—और संघर्षरत धावक को दौड़ पूरी करने में मदद की l
उस धावक की तरह, सभोपदेशक का लेखक हमें कई महत्वपूर्ण फायदों की याद दिलाता है जो दूसरों को हमारे साथ जीवन की दौड़ में दौड़ने से मिलते हैं l सुलैमान ने यह सिद्धांत निर्धारित किया कि “एक से दो अच्छे हैं”(सभोपदेशक 4:9) l उसने संयुक्त प्रयासों और आपसी परिश्रम के फायदों पर प्रकाश डाला l उसने यह भी लिखा कि साझेदारी से “उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है”(पद.9) l कठिनाई के समय में, एक साथी “[दूसरे को उठाने]” के लिए उपस्थित रहता है(पद.10) l जब रातें अँधेरी और ठंडी होती हैं, तो मित्र “गर्म [रहने]” के लिए इकठ्ठा हो सकते हैं(पद.11) l और, खतरे के मध्य, दो लोग एक हमलावर का “सामना कर [सकते हैं]”(पद.12) l जिनका जीवन एक साथ बुना हुआ है, उनमें अत्यधिक शक्ति हो सकती है l
हमारी सभी कमजोरियों और निर्बलताओं के बावजूद, हमें यीशु में विश्वास करने वाले समुदाय के मजबूत समर्थन और सुरक्षा की ज़रूरत है l आइये एक साथ आगे बढ़ें क्योंकि वह हमारा नेतृत्व करता है l