भलाई के लिए परमेश्वर की सेवा
मितुल एक नए शहर में गया और उसे तुरंत एक चर्च मिल गया जहाँ वह आराधना कर सकता था l वह कुछ सप्ताहों तक आराधनाओं में गया, और फिर एक रविवार को उसने पास्टर से किसी भी तरह से आवश्यक सेवा करने की अपनी इच्छा के बारे में बात की l उसने कहा, “मुझे केवल “झाड़ू चाहिए l” उसने उपासना के लिए कुर्सियां लगाने और शौचालय की सफाई में सहायता करके आरम्भ की l चर्च परिवार को बाद में पता चला कि मितुल की प्रतिभा शिक्षण में थी, लेकिन वह कुछ भी करने को तैयार था l
यीशु ने अपने दो शिष्यों, याकूब और यूहन्ना और उनकी माँ को दास की तरह सेवा करने का पाठ पढ़ाया l उनकी माँ ने अनुरोध किया कि जब मसीह अपने राज्य में आए तो उनके बेटों को उनके दोनों तरफ सम्मान का स्थान मिले(मत्ती 20:20-21) l अन्य शिष्य सुनकर उन पर क्रोधित हो गए l शायद वे ये पद अपने लिए चाहते थे? यीशु ने उन्हें बताया कि दूसरों पर अधिकार जताना जीने का तरीका नहीं है(पद.25-26), बल्कि सेवा करना सबसे महत्वपूर्ण है l “जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने”(पद.26) l
मितुल के शब्द “मुझे झाड़ू चाहिए” एक व्यवहारिक तस्वीर है कि हममें से प्रत्येक अपने समुदायों और कलीसियाओं में मसीह की सेवा करने के लिए क्या कर सकता है l मितुल ने परमेश्वर के प्रति अपने जीवन की लालसा का वर्णन इस प्रकार किया : “मैं परमेश्वर की महिमा के लिए, संसार की भलाई के लिए और अपनी ख़ुशी के लिए सेवा करना चाहता हूँ l” जब परमेश्वर हमारी अगुवाई करता है तो आप और मैं “सेवक की तरह कैसे सेवा करेंगे?”
अच्छी तरह से खर्च किया गया समय
14 मार्च, 2019 को, नासा(NASA) के रॉकेट भेजे गए, जिससे अन्तरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच(Christina Koch) अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर गयी l कोच 328 दिनों तक पृथ्वी पर नहीं लौटने वाली थी, जिससे उन्हें एक महिला द्वारा सबसे लम्बे समय तक लगातार अन्तरिक्ष उड़ान का रिकॉर्ड मिल गया l हर दिन, पृथ्वी से लगभग 254 मील ऊपर रहते हुए, एक स्क्रीन(screen) पांच मिनट की वृद्धि में अन्तरिक्ष यात्री के समय का हिसाब/track रखती थी l उसे अनगिनत दैनिक कार्य पूरे करने थे(भोजन से लेकर प्रयोग/experiments तक), और—घंटे दर घंटे—डिसप्ले/display पर एक लाल रेखा बढ़ती थी, जो लगातार दिखाती थी कि कोच निर्धारित समय से आगे है या पीछे l बर्बाद करने के लिए एक भी क्षण नहीं था l
हालाँकि, निश्चित रूप से हमारे जीवन पर शासन करने वाली लाल रेखा जैसी किसी भी चीज़ की सिफारिश नहीं करते हुए, प्रेरित पौलुस ने हमें हमारे समय का बहुमूल्य, सीमित संसाधन का सावधानीपूर्वक उपयोग करने के लिए उत्साहित किया l उसने लिखा, “इसलिए ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो : निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो l अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं”(इफिसियों 5:15-16) l परमेश्वर की बुद्धि हमें अपने दिनों को उद्देश्य और देखभाल से भरने, उन्हें उसकी आज्ञाकारिता का अभ्यास करने, अपने पड़ोसियों से प्यार करने और संसार में यीशु का जारी उद्धार में भाग लेने के लिए नियोजित करने का निर्देश देती है l अफ़सोस की बात है कि बुद्धिमत्ता के निर्देशों की उपेक्षा करना और इसके बजाय अपने समय को मूर्खतापूर्ण तरीके से उपयोग करना(पद.17), अपने वर्षों को स्वार्थी या विनाशकारी कार्यों में बर्बाद करना पूरी तरह से संभव है l
बात समय के बारे में जुनूनी रूप से चिंता करने की नहीं हैं बल्कि आज्ञाकारिता और विश्वास के साथ परमेश्वर का अनुसरण करने की है l वह हमें अपने दिनों का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करेगा l