Month: दिसम्बर 2024

जिन्दगी का मतलब

मेरी हाई स्कूल वार्षिकी(year book) को देखते हुए, मेरे पोते-पोतियों को तस्वीरों में पुराने हेयर स्टाइल, कपड़े और “पुराने ज़माने” की कारों को देखकर आश्चर्य हुआ l मैंने कुछ अलग देखा—पहले लम्बे समय के मित्रों की मुस्कुराहट, कुछ जो अभी भी मित्र हैं l हालाँकि, इससे भी अधिक, मैंने परमेश्वर की धारण (सुरक्षित रखनेवाली) शक्ति को देखा l उसकी सौम्य उपस्थिति मेरे चारोंओर थी जब मैं स्कूल में अनुकूल(adjust) होने में संघर्ष कर रही थी l उसकी सुरक्षित रखने वाली दयालुता मुझ पर नज़र रखती थी—वह दयालुता जो वह उन सभी को देता है उस उसे खोजते हैं l 

दानिय्येल परमेश्वर की उपस्थिति जानता था l बेबीलोन में अपने निर्वासन के दौरान, दानिय्येल राजा की निषेधाज्ञा(पद.7-9) के बावजूद “अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियाँ यरूशलेम की ओर खुली रहती थीं”(दानिय्येल 6:10) और “प्रार्थना” की l अपने प्रार्थनापूर्ण दृष्टिकोण से, दानिय्येल परमेश्वर को याद करता था जिसकी निरंतर उपस्थिति ने उसे सहारा दिया—उसकी प्रार्थनाओं को सुनना और उत्तर देना l इस प्रकार, परमेश्वर उसे फिर से सुनेगा, उत्तर देगा और उसे बनाए रखेगा l 

फिर भी, नए क़ानून के बावजूद, दानिय्येल अभी भी परमेश्वर की उपस्थिति की तलाश करनेवाला था  चाहे उसके साथ कुछ भी हो जाए l और इसलिए उसने जैसे पहले भी कई बार की थी प्रार्थना की (पद.10) l शेरों के मांद में रहते हुए, प्रभु के एक दूत ने दानिय्येल को सुरक्षित रखा क्योंकि उसके विश्वासयोग्य परमेश्वर ने उसे बचाया था(पद.22) l 

वर्तमान आजमाइशों के दौरान अपने अतीत को देखने से हमें परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को याद करने में मदद मिल सकती है l जैसा कि राजा दारा ने भी परमेश्वर के बारे में कहा, “वही बचाने और छुड़ानेवाला है; और स्वर्ग में और पृथ्वी पर चिन्हों और चमत्कारों का प्रगट करनेवाला है”(पद.27) l परमेश्वर तब भी अच्छा था, और अब भी अच्छा है l उसकी उपस्थिति आपको बनाए रखेगी l 

मैंने घंटियाँ सुनी

मुझे पोंडिचेरी में अपना सप्ताहांत बहुत पसंद आया—फ्रेंच क्वार्टर(French Quarter) में परेड पर जाना, संग्रहालय का दौरा करना और ग्रिल्ड(भुनी हुयी) मछली का स्वाद लेना l लेकिन जब मैं अपने मित्र के खाली कमरे में सोया, तो मुझे अपनी पत्नी और बच्चों की याद आने लगी l मैं अन्य शहरों में प्रचार करने के अवसरों का आनंद लेता हूँ, लेकिन मुझे सबसे अधिक आनंद घर पर रहने में आता है l 

यीशु के जीवन का एक पहलु जिसे कभी-कभी अनदेखा कर दिया जाता है वह यह है कि उसकी कई विशेष घटनाएं सड़क/मार्ग पर घटित हुयीं l परमेश्वर के पुत्र ने बैतलहम में हमारे संसार में प्रवेश किया, जो उनके स्वर्गिक घर से बहुत दूर और उनके परिवार के गृहनगर नासरत से बहुत दूर था l जनगणना के लिए बैतलहम शहर में बड़ी संख्या में विस्तृत परिवार उमड़ रहे थे, इसलिए लूका का कहना है कि वहाँ एक भी अतिरिक्त कटैलिमा(katalyma), या “अतिथि कक्ष” उपलब्ध नहीं था (लूका 2:7) l 

यीशु के जन्म के समय जो कमी थी वह उनकी मृत्यु पर दिखायी दी l जब यीशु अपने शिष्यों को यरूशलेम में ले गया, तो उसने पतरस और यूहन्ना से कहा कि वे उनके फसह के भोज की तैयारी करें l उसे घड़ा ले जाने वाले व्यक्ति का उसके घर तक पीछा करना था और मालिक से थेकटालिमा(thekatalyma)—अतिथि कक्ष, जहाँ यीशु मसीह और उनके शिष्य अंतिम भोज खा सकते थे, के लिए पूछना था(22:10-12) l वहाँ, उधार लिए गए स्थान में यीशु ने जिसे आज प्रभु भोज (Communion) कहा जाता है उसे स्थापित किया, जिसने उसके आसन्न क्रूसीकरण का पूर्वाभास दिया (पद.17-20) l 

हम घर से प्यार करते हैं, लेकिन अगर हम यीशु की आत्मा के साथ यात्रा करते हैं, तो एक अतिथि कक्ष भी उसके साथ सहभागिता का स्थान हो सकता है l 

जो अच्छा है उससे जुड़े रहो

जब पास्टर तिमोथी यात्रा के दौरान अपना उपदेशक कालर/पट्टा(preacher collar) पहनते हैं, तो उन्हें अक्सर अजनबियों द्वारा रोका जाता है l हवाई अड्डे पर लोग जब याजकीय/पुरोहिती पट्टी को उनके साधारण गहरे रंग के सूट के ऊपर देखते हैं तो कहते हैं, “कृपया मेरे लिए प्रार्थना कीजिये l” हाल ही की एक उड़ान में, एक महिला ने उन्हें देखकर उनकी सीट के निकट घुटनों के बल झुक गयी और विनती करते हुए बोली : “क्या आप पास्टर हैं? क्या आप मेरे लिए प्रार्थना करेंगे?’ और पास्टर टिमोथी ने प्रार्थना की l 

यिर्मयाह का एक अंश इस बात पर प्रकाश डालता है कि हम क्यों मानते हैं कि परमेश्वर प्रार्थना सुनता है और उसका उत्तर देता है : परमेश्वर परवाह करता है! उन्होंने अपने प्रिय लेकिन पापी, निर्वासित लोगों को निश्चित किया, “जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन् कुशल ही की हैं, और अंत में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा”(29:11) l परमेश्वर ने ऐसे समय की आशा की थी जब वे उसके पास लौटेंगे l उसने कहा, “तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझसे प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूँगा l तुम मुझे ढूँढोगे और पाओगे भी”(पद.12-13) l 

नबी ने बंदीगृह में रहते हुए प्रार्थना के बारे में यह और बहुत कुछ सीखा l परमेश्वर ने उसे निश्चय दिया, “मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुनकर तुझे बड़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता”(33:3) l 

यीशु हमसे प्रार्थना करने का भी आग्रह करता है l उसने कहा, “तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहले ही जानता है कि तुम्हारी क्या-क्या आवश्यकताएं हैं”(मत्ती 6:8) l इसलिए प्रार्थना में “मांगो,” ढूंढो,” और खटखटाओ”(7:7) l हमारे हर एक निवेदन हमें उत्तर देने वाले के निकट ले जाती है l हमें प्रार्थना में परमेश्वर के लिए अजनबी नहीं बनना है l वह हमें जानता है और हमसे सुनना चाहता है l हम अभी अपनी चिंताओं को उसके पास ले जा सकते हैं l 

अपने शरणस्थान की ओर दौड़ना

जब मैं पेरू की एक अल्पकालिक मिशन यात्रा के दौरान सुसमाचार प्रचार कार्य पर थी, एक युवा ने मुझसे पैसे मांगे l सुरक्षा कारणों से, मेरी टीम को पैसे नहीं देने का निर्देश दिया गया था, तो मैं उसकी मदद कैसे कर सकती थी? तब मुझे प्रेरितों के काम 3 में लंगड़े आदमी के प्रति प्रेरित पतरस और यूहन्ना की प्रतिक्रिया याद आई l मैंने उसे समझाया कि मैं उसे पैसे नहीं दे सकती, लेकिन मैं उसके साथ परमेश्वर के प्रेम का सुसमाचार साझा कर सकती हूँ l जब उसने कहा कि वह एक अनाथ है, तो मैंने उससे कहा कि परमेश्वर उसका पिता बनना चाहता है l इससे उसकी आँखों में आंसू आ गए l मैंने सहायता करने के लिए उसे हमारे मेजबान(host) चर्च के एक सदस्य के साथ जोड़ा l 

कभी-कभी हमारे शब्द अपर्याप्त लग सकते हैं, लेकिन जब हम दूसरों के साथ यीशु को साझा करते हैं तो पवित्र आत्मा हमें सशक्त बना सकता है l 

जब पतरस और यूहन्ना मंदिर के प्रांगन में उस व्यक्ति से मिले, तो उन्हें पता चला कि मसीह को साझा करना अब तक का सबसे बड़ा उपहार था l “तब पतरस ने कहा, “चाँदी और सोना तो मेरे पास है नहीं, परन्तु जो मेरे पास है वह तुझे देता हूँ; यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर”(पद.6) l उस दिन उस व्यक्ति को उद्धार और चंगाई मिली l परमेश्वर खोए हुए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हमारा उपयोग करता रहता है l 

जब हम इस क्रिसमस पर देने के लिए सही उपहार खोज रहे हैं, आइये याद रखें कि सच्चा उपहार यीशु को जानना और उसके द्वारा प्रदान किये जाने वाला शाश्वत उद्धार है l आइये हम लोगों को उद्धारकर्ता की ओर ले जाने के लिए परमेश्वर द्वारा उपयोग किये जाने का प्रयास जारी रखें l