भार हल्का करें
अस्पताल में यह एक लंबा दिन था l अभी भी उस बिमारी का कोई जवाब नहीं है जिसने एक प्रतिभाशाली उन्नीस वर्षीय युवक को पीड़ित किया l घर पहुँचकर परिवार को निराशा हुयी l उन्हें आश्चर्य हुआ, जब सीढ़ी पर एक अच्छी तरह से सजाया हुआ बक्सा रखा हुआ था, जिसके सामने यशायाह 43:2 छपा हुआ था l अन्दर, विभिन्न उत्साहजनक बाइबल पद थे जो मित्रों ने हाथ से लिखे थे l अगला एक घंटा पवित्रशास्त्र और परिवार के दोस्तों के विचार शील भाव से प्रोत्साहित करने में व्यतीत हुआ l
कठिन समय या पारिवारिक चुनौतियों से गुजर रहे लोग हमेशा हृदय को छू जाने वाले प्रोत्साहन का उपयोग कर सकते हैं l पवित्रशास्त्र(बाइबल)—या तो एक बड़ा भाग या सिर्फ एक पद—आपको, किसी मित्र या परिवार के सदस्य को प्रोत्साहित कर सकता है l यशायाह 43 छोटे-छोटे प्रोत्साहनों से भरा है—जो या तो व्यक्तिगत रूप से या पूर्णरूपेण प्राप्त हुआ हो l कुछ चुनिन्दा विचारों पर विचार करें : परमेश्वर तेरा “रचनेवाला,” “सृजनहार,” “तुझे छुड़ा लिया है,” और तुम्हें “नाम लेकर बुलाया है”(पद.1) l परमेश्वर तेरे “संग” रहेगा(पद.2), वह “इस्राएल का पवित्र [है]” और वह हमारा “उद्धारकर्ता” है(पद.3) l
जब आप परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विचार करते हैं, वे आपको प्रोत्साहित करें l और चूँकि वह आपको वह देता है जिसकी आपको ज़रूरत है, आप किसी और को प्रोत्साहित कर सकते हैं l पद का डिब्बा(verse box) की कीमत बहुत अधिक नहीं थी, लेकिन इसका प्रभाव अमूल्य था l पांच साल बाद भी, उनमें से कुछ पद कार्ड(verse cards) अभी भी उस परिवार द्वारा संजोए हुए हैं l
फास्ट-फूड प्रोत्साहन
मध्य एशिया में एक साथ पले-बढ़े बहीर(Baheer) और मेडेट(Medet) सबसे अच्छे मित्र थे l लेकिन जब बहीर यीशु में विश्वास करने लगा, तो सब कुछ बदल गया l मेडेट द्वारा सरकारी अधिकारियों को इसकी सूचना देने के बाद, बहीर को असहनीय यातना सहनी पड़ी l गार्ड गुर्राया, “यह मुँह फिर कभी यीशु का नाम नहीं बोलेगा l” बूरी तरह लहूलुहान होने के बावजूद, बहीर यह कहने में सफल रहा कि वे उसे मसीह के बारे में बोलना बन्द करवा सकते हैं, लेकिन वे “उसने मेरे दिल में जो किया है उसे कभी नहीं बदल सकते l”
वे शब्द मेडेट के मन में बने रहे l कुछ महीनों बाद, बीमारी और हानि का सामना करने के बाद, मेडेट बहीर को खोजने निकला, जो जेल से रिहा हो गया था l अपने घमण्ड से हटकर उसने अपने मित्र से उसे अपने यीशु से मिलवाने के लिए कहा l
मेडेट ने पवित्र आत्मा के दृढ़ विश्वास पर उसी तरह कार्य किया जैसे कि जो लोग पिन्तेकुस्त के पर्व पर पतरस के आसपास एकत्र हुए थे, जब उन्होंने परमेश्वर के अनुग्रह का प्रवाह देखा और मसीह के बारे में पतरस की साक्षी सुने तो उनके “हृदय छिद [गए थे]”(प्रेरितों के काम 2:37) l पतरस ने लोगों को मन फिराने और यीशु के नाम से बप्तिस्मा लेने के लिए बुलाया, और लगभग तीन हज़ार लोगों ने ऐसा किया l जिस प्रकार उन्होंने जीवन के अपने पुराने तरीकों को पीछे छोड़ दिया, उसी प्रकार मेडेट ने भी मन फिराया और उद्धारकर्ता का अनुसरण किया l
यीशु में नए जीवन का उपहार उन सभी के लिए उपलब्ध है जो उस पर विश्वास करते हैं l हमने जो कुछ भी किया है, जब हम उस पर भरोसा करते हैं तो हम अपने पापों की क्षमा का आनंद ले सकते हैं l
परमेश्वर द्वारा निश्चित पीछा
स्टैनली को वह स्वतंत्रता और लचीलापन पसंद है जो एक निजी किराए के ड्राईवर के रूप में उसकी नौकरी उसे देती है l अन्य बातों के आलावा, वह कभी भी काम आरम्भ और बन्द कर सकता है, और उसे अपने समय और गतिविधियों का हिसाब किसी को नहीं देना पड़ता है l फिर भी, उसने कहा, “यह प्रतिकूल तरीके से सबसे कठिन हिस्सा है l
“इस नौकरी में, विवाह के बाहर सम्बन्ध शुरू करना बहुत आसान है,” उसने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया l “मैं सभी प्रकार के यात्रियों को ले जाता हूँ, फिर भी मेरी पत्नी सहित कोई भी नहीं जानता कि मैं हर दिन कहाँ होता हूँ l” उसने समझाया, इसका विरोध करना आसान प्रलोभन नहीं है और उसके कई साथी ड्राईवर इसके आगे झुक गए हैं l उसने कहा, “जो चीज़ मुझे इस बात पर विचार करने से रोकती है वह यह है कि परमेश्वर क्या सोचेगा और मेरी पत्नी कैसा महसूस करेगी l”
हमारा परमेश्वर, जिसने हममें से प्रत्येक का सृष्टिकर्ता है, हमारी कमजोरियों, इच्छाओं और हम कितनी सरलता से प्रलोभित हो जाते हैं, यह जानता है l लेकिन जैसे कि 1 कुरिन्थियों 10:11-13 हमें याद दिलाता है, हम उससे सहायता मांग सकते हैं l “परमेश्वर सच्चा है और वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन् परीक्षा के साथ निकास भी करेगा कि तुम सह सको”(पद.13) l वह “बाहर निकलने का रास्ता” परिणामों का स्वस्थ भय, दोषी विवेक, पवित्रशास्त्र को याद करना, ठीक समय पर ध्यान का खिंचाव या कुछ और हो सकता है l जैसे ही हम परमेश्वर से शक्ति मांगते हैं, आत्मा हमारी आँखों को उस चीज़ से मोड़ देगी जो हमें लुभा रही है और हमें उस रास्ते की ओर देखने में सहायता करेगी जो उसने हमें दिया है l
बड़ी अपेक्षाएं
अंतर्राष्ट्रीय मेहमानों की संस्कृतियों का जश्न मनाने के लिए हमारे चर्च में आयोजित क्रिसमस रात्रिभोज में, जब एक बैंड पारंपरिक मध्य पूर्व कैरोल “लैलात अल-मिलाद” बजाया तो मैंने द्र्बुका(एक प्रकार का ड्रम) और उद(गिटार जैसा एक वाद्य यंत्र) की ध्वनि पर ख़ुशी से ताली बजायी l बैंड के गायक ने बताया कि शीर्षक का अर्थ है “यीशु के जन्म की रात(Navivity Night) l” गीत श्रोताओं को स्मरण दिलाते हैं कि क्रिसमस की भावना दूसरों की सेवा करने में पायी जाती है, जैसे किसी प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाना या रोते हुए किसी को सांत्वना देना l
यह कैरोल(carol) संभवतः एक दृष्टान्त से लिया गया है जहाँ यीशु अपने अनुयायियों की उन कार्यों के लिए सराहना करते हैं जो उन्होंने उसके लिए किये थे : जब वह भूखा था तो भोजन प्रदान करना, जब वह प्यासा था तो पीना, और जब वह बीमार और अकेला था तो सहचारिता और देखभाल करना (मत्ती 25:34-36) l केवल यीशु की प्रशंसा को स्वीकार करने के बजाय, दृष्टान्त में लोग आश्चर्यचकित हैं—यह सोचकर कि उन्होंने वास्तव में मसीह के लिए ये काम नहीं किये हैं l उन्होंने उत्तर दिया, “तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों [और बहनों] में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया”(पद.40) l
छुट्टियों के मौसम के दौरान, क्रिसमस की भावना में सम्मिलित होने का प्रोत्साहन अक्सर उत्सव के दृष्टिकोण को व्यक्त करने के लिए प्रेरित होता है l “लैलात अल-मिलाद” हमें याद दिलाता है कि हम दूसरों की देखभाल करके सच्ची क्रिसमस भावना को व्यवहार में ला सकते हैं l और आश्चर्यजनक रूप से, जब हम ऐसा करते हैं, तो हम न केवल दूसरों की बल्कि यीशु की भी सेवा करते हैं l
दैनिक निर्भरता
यीशु में एक युवा विश्वासी के रूप में, मैंने अपनी नयी भक्ति बाइबल उठाकर एक परिचित पद पढ़ा : “मांगो तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ों तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा”(मत्ती 7:7) l टिप्पणी में बताया गया कि वास्तव में हमें परमेश्वर से जो माँगना चाहिए वह यह है कि हमारी इच्छा उसकी इच्छा के अनुरूप हो l उसकी इच्छा पूरी करने की चाहत करने से, हमें यह निश्चय मिलेगा कि हमने जो माँगा है वह हमें मिल गया है l यह मेरे लिए एक नया विचार था, और मैंने अपने जीवन में परमेश्वर की इच्छा पूरी होने के लिए प्रार्थना की l
बाद में उसी दिन, मैं उस नौकरी के अवसर के बारे में आश्चर्यजनक रूप से उत्साहित हो गयी जिसे मैंने पहले ही अपने मन में अस्वीकार कर दिया था, और मुझे अपनी प्रार्थना के बारे में याद दिलाया गया l शायद जो मैंने नहीं सोची थी कि मैं चाहती हूँ वह वास्तव में मेरे जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा का एक हिस्सा था l मैंने प्रार्थना करना जारी रखा और अंततः नौकरी स्वीकार कर ली l
बहुत अधिक गंभीर और अनंत रूप से महत्वपूर्ण क्षण में, यीशु ने हमारे लिए इसका नमूना दिया l अपने विश्वासघात और गिरफ्तारी से पहले, जिसके कारण उसे क्रूस पर चढ़ाया गया, उसने प्रार्थना की : “हे पिता, यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो”(लूका 22:42) l मसीह की प्रार्थना व्यथा और पीड़ा से भरी थी क्योंकि उसे शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा का सामना करना पड़ा था(पद.44) l फिर भी वह परमेश्वर की इच्छा पूरी होने के लिए “ईमानदारी से” प्रार्थना करने में सक्षम था l
मेरे जीवन में परमेश्वर की इच्छा मेरी मुख्य प्रार्थना बन गयी है l इसका मतलब यह है कि मैं उन चीज़ों की इच्छा कर सकती हूँ जिनके बारे में मुझे पता भी नहीं है कि मैं चाहती हूँ या मुझे इसकी ज़रूरत है l जो नौकरी मैं मूल रूप से नहीं चाहती थी वह मसीही प्रकाशन में मेरी यात्रा का आरम्भ बन गया l पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे विश्वास है कि परमेश्वर की इच्छा पूरी हुयी l