Month: अप्रैल 2025

परमेश्वर का हमसे बोलना

मुझे एक अनजान नंबर से फोन आया। अक्सर,  मैं उन कॉल्स को वायसमेलपर (voicemail – इलेक्‍ट्रॉनिक प्रणाली जिसकी सहायता से संदेशों को बाद में सुना जा सकता है) जाने देता था,  लेकिन इस बार मैंने फोन उठाया। अनजान फोन करने वाले ने विनम्रता से पूछा कि क्या मेरे पास उनके द्वारा बाइबल का एक छोटा अंश साझा करने के लिए सिर्फ एक मिनट का समय है। उसने प्रकाशितवाक्य 21:3-5 को उद्धृत किया कि कैसे परमेश्वर “उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा ।“ उसने यीशु के बारे में बात की,  कैसे वह हमारा आश्वासन और आशा है। मैंने उससे कहा कि मैं पहले से ही यीशु को अपने व्यक्तिगत उद्धारकर्ता के रूप में जानता हूं। लेकिन फोन करने वाले का लक्ष्य मुझे “साक्षी” देना नहीं था। इसके बजाय, उसने बस पूछा कि क्या वह मेरे साथ प्रार्थना कर सकता है। और उसने परमेश्वर से मुझे प्रोत्साहन और शक्ति देने के लिए प्रार्थना करी।   
उस कॉल ने मुझे पवित्रशास्त्र में एक और “पुकार (कॉल)” की याद दिला दी—परमेश्वर ने युवा लड़के शमूएल को आधी रात में बुलाया (1 शमूएल 3:4-10)। शमूएल ने तीन बार आवाज सुनी, यह सोचकर कि यह बुजुर्ग याजक एली है। अंतिम बार, एली के निर्देश का पालन करते हुए, शमूएल ने महसूस किया कि परमेश्वर उसे बुला रहा था : “कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है” (पद.10) l उसी तरह,  हमारे दिनों और रातों में, परमेश्वर हमसे भी बात कर रहा हो। हमें परमेश्वर की “पुकार सुनने” की जरूरत है ,  जिसका अर्थ उसकी उपस्थिति में अधिक समय व्यतीत करना और उसकी आवाज़ सुनना हो सकता है ।  
मैंने फिर “कॉल (पुकार) ” के बारे में दूसरे तरीके से सोचा। क्या होगा यदि हम कभी-कभी किसी और के लिए परमेश्वर के वचनों के संदेशवाहक होते हैं?  हमें लग सकता है कि हमारे पास दूसरों की मदद करने का कोई तरीका नहीं है। लेकिन जैसा कि परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है,  हम एक मित्र को फोन कर सकते हैं और पूछ सकते हैं,  “क्या यह ठीक होगा यदि मैं आज आपके साथ प्रार्थना करूं?” 

मौके का लाभ उठाएं

विश्वविद्यालय में प्रवेश की प्रतीक्षा करते हुए,  बीस वर्षीय शिन यी ने एक युवा मिशन संगठन में सेवा करने के लिए अपनी तीन महीने के अंतराल (ब्रेक) समर्पित करने का फैसला किया। यह एक अजीब समय लग रहा था, क्योंकि कोविड प्रतिबंधों ने आमने-सामने की बैठकों को रोक दिया था।  लेकिन शिन यी को जल्द ही एक रास्ता मिल गया। उसने बताया “हम छात्रों के साथ सड़कों पर, शॉपिंग मॉल, या फास्ट-फूड केंद्रों में नहीं मिल सकते थे, जैसा कि हम आमतौर पर करते थे l” लेकिन हम एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करने के लिए ज़ूम के माध्यम से मसीही छात्रों के साथ, और फोन कॉल के माध्यम से गैर-विश्वासियों के साथ संपर्क में रहे।”  
शिन यी ने वही किया जो प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को करने के लिए प्रोत्साहित किया था : “सुसमाचार प्रचार का काम कर” (2 तीमुथियुस 4:5)। पौलुस ने चेतावनी दी थी कि लोगों को ऐसे शिक्षक मिलेंगे जो उन्हें वही बताएंगे जो वे सुनना चाहते थे न कि वह जो उन्हें सुनने की जरूरत थी (पद. 3-4) । फिर भी तीमुथियुस को साहस रखने और “समय और असमय तैयार रहने” के लिए बुलाया गया था। उसे “सब प्रकार की सहनशीलता और शिक्षा के साथ उलाहना देना और डांटना और समझाना था” (पद. 2)।  
यद्यपि हम सभी को सुसमाचार प्रचारक या शिक्षक होने के लिए नहीं बुलाया गया है, हम में से प्रत्येक अपने आस-पास के लोगों के साथ अपने विश्वास को साझा करने में एक भूमिका निभा सकते हैं । अविश्वासी मसीह के बिना नाश हो रहे हैं। विश्वासियों को मजबूती और प्रोत्साहन की आवश्यकता है। परमेश्वर की सहायता से, आइए जब भी और जहाँ भी हम कर सकते हैं,  उसके सुसमाचार को बांटे। 

कमजोरी में ताकत

जब मेरा बेटा लगभग तीन वर्ष का था, तो मुझे एक ऑपरेशन की आवश्यकता थी जिससे ठीक होने में एक महीने या उससे अधिक की आवश्यकता थी  । प्रक्रिया से पहले,  मैंने कल्पना की कि मैं  बिस्तर में हूँ,  जबकि सिंक (हौदी) में गंदे बर्तनों का ढेर जमा हो गया है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं एक भागते-दौड़ते नन्हे बच्चे की देखभाल कैसे करुँगी, और खुद को भोजन पकाने के लिए चूल्हे के सामने खड़े होने की कल्पना नहीं कर पा रही थी। मुझे डर था कि मेरी कमजोरी का हमारे जीवन शैली पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 
 
इससे पहले कि गिदोन की सेना मिद्यानियों का सामना करे, परमेश्वर ने जानबूझकर गिदोन की सेना को कमजोर कर दिया। पहिले, जो डर गए थे उन्हें जाने दिया गया—बाईस हजार पुरूष अपने घर चले गए (न्यायियों 7:3)। तब जो दस हजार रह गए थे, उन में से केवल वही रह सके, जो पीने के लिये हाथ में जल भरते थे। सिर्फ तीन सौ आदमी बचे थे, लेकिन इस नुकसान ने इस्राएलियों को खुद पर भरोसा करने से रोक दिया (पद. 5-6)। वे यह नहीं कह सकते थे, “कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं” (पद.2) l  
 
हम में से कई ऐसे समय का अनुभव करते हैं जब हम थका हुआ और शक्तिहीन महसूस करते हैं। जब मेरे साथ ऐसा होता है, तो मुझे एहसास होता है कि मुझे परमेश्वर की कितनी जरूरत है। उसने मुझे भीतरी रूप से अपनी आत्मा के द्वारा और बाहरी रूप से दोस्तों और परिवार की मदद के द्वारा प्रोत्साहित किया। मुझे कुछ समय के लिए स्वयं पर निर्भरता को छोड़ना पड़ा, लेकिन इसने मुझे सिखाया कि कैसे पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर रहना है। क्योंकि “उसकी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (2 कुरिन्थियों 12:9),  हम तब आशा रख सकते हैं जब हम अपनी आवश्यकताओं को अपने दम पर पूरा नहीं कर सकते। 

यीशु में आगे बढ़ना

जंगल में दौड़ते समय,  मैंने एक छोटा मार्ग(shortcut) खोजने की कोशिश की और एक अपरिचित रास्ते पर चला गया। सोच रहा था कि कहीं मैं खो तो नहीं गया,  मैंने दूसरे रास्ते से आ रहे एक धावक से पूछा कि क्या मैं सही रास्ते पर हूं। “हाँ,”  उसने आत्मविश्वास से उत्तर दिया । मेरे संदेहपूर्ण रूप को देखते हुए,  उन्होंने जल्दी से कहा : “चिंता मत करो,  मैंने सभी गलत रास्ते आज़मा लिए हैं! लेकिन यह ठीक है,  यह सब दौड़ का हिस्सा है। 
मेरी आत्मिक यात्रा का कितना उपयुक्त वर्णन है! कितनी बार मैं परमेश्वर से भटका हूँ,  प्रलोभन में पड़ गया हूँ,  और जीवन की बातों से विचलित हुआ हूँ?  फिर भी परमेश्वर ने हर बार मुझे माफ़ किया है और आगे बढ़ने में मेरी मदद की है—यह जानते हुए कि मैं निश्चित रूप से फिर से ठोकर खाऊँगा । परमेश्वर गलत रास्ते पर जाने की हमारी प्रवृत्ति को जानता है । लेकिन वह बार-बार क्षमा करने के लिए हमेशा तैयार रहता है,  यदि हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं और उसकी आत्मा को हमें बदलने की अनुमति देते हैं । 
पौलुस भी जानता था कि यह सब विश्वास की यात्रा का हिस्सा है। अपने पापपूर्ण अतीत और वर्तमान कमजोरियों के बारे में पूरी तरह से अवगत होने के कारण, वह जानता था कि अभी उसे  मसीह जैसी सिद्धता को प्राप्त करना बाकी है जिसे वह चाहता था (फिलिप्पियों 3:12)। "परन्तु मैं एक काम करता हूं," उसने आगे कहा, "जो पीछे रह गया है उसे भूल कर, जो आगे है उस की ओर बढ़ता हुआ, मैं दौड़ा चला जाता हूं" (पद. 13-14)। ठोकरें खाना परमेश्वर के साथ हमारे चलने का हिस्सा है: यह हमारी गलतियों के माध्यम से है कि वह हमें शुद्ध करता है। उनका अनुग्रह हमें क्षमा किए गए बच्चों के रूप में आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है।