Month: जून 2025

धीरे धीरे

 
एक दर्जन टीमें, जिनमें से प्रत्येक में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े तीन लोग शामिल थे, चार पैरों वाली दौड़ के लिए तैयार थीं। प्रत्येक बाहरी व्यक्ति बीच में खड़े व्यक्ति से टखनों और घुटनों पर रंग-बिरंगे कपड़े से बंधा हुआ था, तीनों ने अपनी आँखें फिनिश लाइन (समापन रेखा) पर टिकाई हुई थीं। जब सीटी बजी, तो टीमें आगे बढ़ीं। उनमें से अधिकांश गिर गए और अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष करने लगे। कुछ समूहों ने चलने के बजाय कूदना चुना। कुछ ने हार मान ली। लेकिन एक टीम ने अपनी शुरुआत में देरी की, अपनी योजना की पुष्टि की और आगे बढ़ते हुये आपस में बातें करते रहें। वे रास्ते में लड़खड़ाए लेकिन आगे बढ़ते रहे और जल्द ही सभी टीमों से आगे निकल गए। सहयोग करने की उनकी इच्छा, कदम दर कदम, उन्हें एक साथ फिनिश लाइन पार करने में सक्षम बनाया। 
यीशु में विश्वासियों के समुदाय के भीतर परमेश्वर के लिए जीना अक्सर उतना ही निराशाजनक लगता है जितना कि चार पैरों वाली दौड़ के दौरान आगे बढ़ने की कोशिश करना। हम अक्सर उन लोगों के साथ बातचीत करते समय लड़खड़ा जाते हैं जो हमसे अलग राय रखते हैं। 
पतरस प्रार्थना, आतिथ्य और अपने उपहारों का उपयोग करके आगे के जीवन के लिए एकता में खुद को संरेखित करने की बात करता है। वह यीशु में विश्वासियों से आग्रह करता है कि वे "एक दूसरे से गहराई से प्यार करें" (1 पतरस 4:8), बिना शिकायत किए एक दूसरे का अतिथि सत्कार करें और "दूसरों की सेवा करें, और परमेश्वर के अनुग्रह के विश्वानसयोग्य भण्डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगायें (पद 10)। । जब हम ईश्वर से हमें संवाद करने और सहयोग करने में मदद करने के लिए कहते हैं, तो हम दुनिया को यह दिखाने में दौड़ का नेतृत्व कर सकते हैं कि मतभेदों का आनन्द कैसे लिया जाए और एकता में एक साथ रहा जाए। 

सच्चा धर्म

 
मेरे कॉलेज के दूसरे वर्ष के बाद की गर्मियों में, मेरे एक सहपाठी की अचानक से मृत्यु हो गई। मैंने उसे कुछ दिन पहले ही देखा था और वह ठीक लग रहा था। मेरे सहपाठी और मैं युवा थे और हमने सोचा था कि हम अपने जीवन के सबसे अच्छे और शक्तिशाली दिनों में हैं, और हमने जीवन भर के लिए बहन और भाई बनने का संकल्प लिया था। 
लेकिन मुझे अपने सहपाठी की मृत्यु के बारे में जो सबसे ज्यादा याद है वह यह था कि मैं अपने दोस्तों को उस तरह का जीवन जीते देख रहा था जिसे प्रेरित याकूब “शुद्ध और निर्मल भक्ति” कहते हैं (याकूब 1:27)। बिरादरी के पुरुष मृतक की बहन के लिए भाई की तरह बन गए। वे उसकी शादी में शामिल हुए और उसके भाई की मृत्यु के कई साल बाद उसके गोद भराई समारोह में गए। एक ने तो उसे एक सेल फोन भी उपहार में दिया ताकि जब भी उसे ज़रूरत हो, वह उससे संपर्क कर सके। 
याकूब के अनुसार, “शुद्ध और निर्मल भक्ति अनाथों और विधवाओं के संकट में उनकी सुधि लेना है”(पद 27)। जबकि मेरे दोस्त की बहन शाब्दिक अर्थों में अनाथ नहीं थी, पर अब उसका भाई नहीं था। उसके नए भाइयों ने उसके खाली स्थान को भर दिया। 
और यही वह है जो हम सभी जो यीशु में शुद्ध और निर्मल भक्ति का अभ्यास करना चाहते हैं, कर सकते हैं — “वचन पर चलने वाले बनो” (पद 22) जिसमें ज़रूरतमंदों की देखभाल करना भी शामिल है (2:14–17)। उस पर हमारा विश्वास हमें कमजोर लोगों की देखभाल करने के लिए प्रेरित करता है क्योंकि हम खुद को दुनिया के नकारात्मक प्रभावों से दूर रखते हैं, क्योंकि वह हमारी मदद करता है। आखिरकार, यही वह शुद्ध और निर्मल भक्ति है जिसे परमेश्वर स्वीकार करता है। 

IN- विश्वास के द्वारा जीना(Living by Faith)

 

 

विश्वास बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता, विशेषरूप से उस समय जब जीवन वैसा नहीं चल रहा हो जैसा हम चाहते हैं। यहाँ कुछ विशेष रूप से चुनी गई भक्ति-परक श्रृंखलाएँ दी गई हैं जो आपको विश्वास में चलने में आपकी सहायता करेंगी — चाहे आप किसी व्यक्तिगत क्षति से गुजर रहे हों, या आपके मन में अब…

स्वतंत्रता में जीना

 
टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका में जहां मैं पला–बढ़ा था, हर 19 जून को काले समुदायों में उत्सव भरी परेड और पिकनिक होती थी। किशोर होने तक मैंने जूनटीन्थ (जून और नाइनटीन को मिलाने से बना एक शब्द) समारोह का दिल तोड़ने वाला महत्व नहीं सीखा था। जूनटीन्थ उस दिन की याद में मनाया जाता है जब 1865 में टेक्सास में गुलाम लोगों को पता चला कि राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने ढाई साल पहले उनकी आजादी के उद्घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। टेक्सास में ग़ुलाम बनाए गए लोग ग़ुलामी में रहते थे क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि उन्हें आज़ाद कर दिया गया है। 
मुक्त होना और फिर भी गुलामों के रूप में रहना संभव है। गलातियों में, पौलुस ने एक अन्य प्रकार की गुलामी के बारे में लिखा: धार्मिक नियमों की कुचलने वाली माँगों के अधीन जीवन जीना। इस महत्वपूर्ण वचन में, पौलुस ने अपने पाठकों को प्रोत्साहित किया कि “मसीह ने हमें स्वतंत्रता के लिये स्वतंत्र किया है। इसलिये इसी में स्थिर रहो (डटे रहो), और दासत्व के जूए से फिर से न जुतो” (गलातियों 5:1)। यीशु के विश्वासियों को बाहरी नियमों से मुक्त कर दिया गया था, जिसमें क्या खाना चाहिए और किससे मित्रता करनी चाहिए शामिल थे। फिर भी बहुत से लोग अभी भी ऐसे रहते थे जैसे कि गुलाम हों। 
दुख की बात है कि आज हम वही काम कर सकते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि जिस क्षण हमने उस पर भरोसा किया, यीशु ने हमें मनुष्यों के बनाये धार्मिक मानकों के डर में जीने से मुक्त कर दिया। आजादी का ऐलान किया गया है। आइए इसे उसकी शक्ति में जीएं। 

गो–कार्ट ठीक करना

 
मेरे बचपन के घर का गैरेज कई यादें समेटे हुए है। हर शनिवार की सुबह, मेरे पिताजी हमारी कार को गैरेज़ से निकालकर ड्राइववे में पार्क कर देते थे, ताकि हमारे पास काम करने के लिए जगह हो जाये — मेरी पसंदीदा एक टूटी हुई गो–कार्ट(एक छोटी रेसिंग कार) को ठीक करने के लिये, जो हमें कहीं से मिली थी। उस गैराज में, हमने उसमें नए पहिए लगाये, प्लास्टिक की एक अच्छी विंडशील्ड लगाई, और जब मेरे पिताजी सड़क पर ट्रैफिक को देख रहे होते थे तो मैं ड्राइववे पर उत्तेजना के साथ दौड़ाता था! पीछे मुड़कर देखता हूं, तो उस गैरेज में केवल गो–कार्ट को ठीक करने के अलावा कहीं ज़्यादा कुछ चल रहा था। एक छोटे लड़के को उसके पिता द्वारा आकार दिया जा रहा था - और इस प्रक्रिया में उसे परमेश्वर की एक झलक मिल रही थी।  
मनुष्यों को परमेश्वर के अपने स्वभाव के अनुरूप बनाया गया है (उत्पत्ति 1:27–28)। मानव पालन पोषण का मूल परमेश्वर में भी है, क्योंकि “वह पिता है, जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर हर एक घराने का नाम रखा जाता है” (इफिसियों 3:14–15)। जिस तरह माता पिता बच्चों को दुनिया में लाकर परमेश्वर की जीवन देने वाली क्षमताओं का अनुकरण करते हैं, जब वे अपने बच्चों का पालन–पोषण और सुरक्षा करते हैं, तो वे अपने आप में नहीं बल्कि पिता परमेश्वर के गुणों को व्यक्त करते हैं। वह एक ऐसा नमूना (मॉडल) है जिस पर सभी परवरिश (पेरेंटिंग) आधारित हैं। 
मेरे पिता पूरी तरह से निपुण तो नहीं थे। हर पिता और माता की तरह उनका पालन–पोषण कभी कभी स्वर्ग की नकल करने में विफल रहा। लेकिन जब अक्सर परमेश्वर की नकल की, तो इसने मुझे परमेश्वर के अपने पालन–पोषण और सुरक्षा की एक झलक दिखाई — ठीक वहीं पर जहां हमने गैराज के फर्श पर गो–कार्ट ठीक करी।