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Articles by आदम अर होल्ज़

हमारे सभी दिनों का परमेश्वर

एक असफल सर्जरी के बाद, जोन के डॉक्टर ने कहा कि पांच हफ़्तों के अन्दर उसकी एक और सर्जरी होगी l समय के साथ, घबराहट बढ़ती गयी l जोन और उसका पति वरिष्ठ नागरिक थे, और उनके परिजन दूर रहते थे l उनको एक अपरिचित शहर तक ड्राइव करना था और एक जटिल हॉस्पिटल प्रणाली से जूझना था, और एक नए विशेषज्ञ के साथ काम करना था l

यद्यपि ये परिस्थितियाँ अपरिहार्य लग रही थी, परमेश्वर ने उनकी परवाह की l इस यात्रा में, उनकी कार का नेवीगेशन प्रणाली खराब हो गया, लेकिन वे समय पर पहुँच गए क्योंकि उनके पास कागज़ का एक नक्शा था l परमेश्वर ने बुद्धि दी l हॉस्पिटल में, एक मसीही पास्टर ने उनके साथ प्रार्थना की और बाद में उस दिन सहायता करने की पेशकश की l परमेश्वर ने सहायता किया l ऑपरेशन के बाद, जोन को सफल सर्जरी की ख़ुशी का समाचार मिला l

जबकि हम हमेशा चंगाई या बचाव का अनुभव नहीं करेंगे, परमेश्वर विश्वासयोग्य है और संवेदनशील लोगों के निकट रहता है—चाहे युवा, वृद्ध, या अन्यथा वंचित l शताब्दियों पूर्व, जब बेबीलोन की बंधुवाई ने इस्राएलियों को कमज़ोर कर दिया था, यशायाह ने उन्हें स्मरण दिलाया कि परमेश्वर ने उनको जन्म ही से संभाला था और निरंतर उनकी देखभाल करनेवाला था l नबी द्वारा, परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारे बाल पकने समय तक तुम्हें उठाए” (यशायाह 46:4) l

परमेश्वर हमें तब नहीं छोड़ेगा जब हमें उसकी सबसे अधिक आवश्यकता होगी l वह हमारी ज़रूरतों को पूरा कर सकता है और हमें याद दिलाता है कि वह हमारे जीवन के हर मोड़ पर हमारे साथ है l वह हमारे सभी दिनों का परमेश्वर है l

यीशु के साथ में भिन्न

व्यापार विश्लेषक फ्रांसिस इवांस 125 बीमा सेल्समैनों का अध्ययन किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें क्या सफलता मिली l आश्चर्यजनक रूप से, योग्यता प्रमुख कारक नहीं थी l इसके बजाय, इवांस ने पाया कि ग्राहक समान राजनीति, शिक्षा और यहाँ तक कि ऊँचाई वाले सेल्समैन से खरीददारी करने की अधिक सम्भावना रखते हैं l विद्वान इसे होमोफिली(homophily) कहते हैं : अपने जैसे लोगों को पसंद करने की प्रवृति l

होमोफिली जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम कर रही है, शादी करने और अपने जैसे लोगों से दोस्ती करने की प्रवृत्ति हमारे साथ है l जबकि स्वाभाविक रूप से, अनियंत्रित रहने पर होमोफिली विनाशकारी हो सकती है l जब हम केवल “अपनी तरह” के लोगों को पसंद करते हैं, तो समाज नस्लीय, राजनीतिक और आर्थिक रेखाओं के साथ बट सकता है l

पहली शताब्दी में, यहूदी यहूदियों के, यूनानी यूनानियों के साथ रहे, और अमीर और गरीब कभी भी घुलमिल नहीं पाए l और फिर भी, रोमियों 16:1-16 में, पौलुस रोम की कलीसिया के वर्णन में,  प्रिस्किल्ला और अक्विला(यहूदी), इपैनितुस(यूनानी) फीबे(बहुतों का उपकार करनेवाली”, इसलिए शायद धनवान), और फिलुलुगुस (दासों के लिए सामान्य नाम) को शामिल कर सकता था l ऐसे अलग-अलग लोगों को एक साथ क्या लाया था? यीशु—जिसमें “न तो यहूदी है और न अन्यजाति, न दास और न स्वतंत्र” (गलातियों 3:28) l 

अपने जैसे लोगों के साथ रहना, काम करना और चर्च जाना स्वाभाविक है l यीशु हमें उससे आगे ले जाता है l इस संसार में जो विभिन्न रेखाओं से बटी हुयी है, वह हमें एक ऐसे लोग बना रहा है जो एक साथ हैं पर अलग हैं—एक परिवार के रूप में एक हैं l

हम उसके हैं

ले ही आपको लगता है कि गोद लेना आपकी कहानी का हिस्सा नहीं है, यह सच है। क्योंकि एक तरह से हममें से प्रत्येक अनाथ हो गया है।

जैसे कि लॉरीली क्रैकर ने गोद लेने की अपनी अत्यंत व्यक्तिगत कहानी साझा की है, प्रत्येक के लिए हम आश्चर्यजनक रूप से व्यावहारिक उपयोगिता पाते हैं। खुद गोद ली हुई, वह दो बच्चों…

दासत्व से मुक्ति

“आप मूसा के समान हैं, हमें दासत्व से छुड़ानेवाले!” जमीला चिल्लाई l पाकिस्तान में एक बंधुआ ईंट-भट्ठा मजदूर के रूप में, उसे और उसके परिवार को भट्ठा मालिक की अत्यधिक बकाया राशि के कारण कष्ट उठाना पड़ा l उन्होंने अपनी कमाई का अधिकतम हिस्सा केवल ब्याज चुकाने में किया l लेकिन एक गैर-लाभकारी एंजेंसी से उपहार द्वारा कर्ज मुक्ति के बाद, उन्हें जबस्दस्त राहत महसूस हुयी l एजेंसी के प्रतिनिधि को उनकी आजादी के लिए धन्यवाद देते हुए, यीशु में विश्वासी, जमीला ने परमेश्वर द्वारा मूसा और इस्राएलियों को गुलामी से छुड़ाने के उदाहरण की ओर इशारा किया l

कठोर परिस्थितियों में काम करते हुए, सैकड़ों वर्षों से इस्राएलियों को मिस्रियों द्वारा सताया गया था l उन्होंने मदद के लिए परमेश्वर को पुकारा (निर्गमन 2:23) l लेकिन उनके काम का बोझ बढ़ गया, क्योंकि फिरौन ने उन्हें ईंटें बनाने के साथ-साथ पुआल भी इकठ्ठा करने का आदेश दिया (5:6-8) l जब इस्राएलियों ने उत्पीड़न के विरुद्ध रोना जारी रखा, तो परमेश्वर ने उनके परमेश्वर होने की अपनी प्रतिज्ञा दोहरायी (6:7) l वे अब और दास नहीं रहेंगे, क्योंकि वह उन्हें “अपनी भुजा बढ़ाकर” छुड़ा लेगा (पद.6) l

परमेश्वर के निर्देशन में, मूसा इस्राएलियों को मिस्र से बाहर ले गया (अध्याय 14 देखें) l आज भी परमेश्वर हमें क्रूस पर अपने पुत्र, यीशु की फैली हुयी भुजाओं द्वारा छुड़ाता है l हम उस पाप के बहुत बड़े दासत्व से मुक्त हैं जिसने कभी हमें नियंत्रित किया था l हम अब गुलाम नहीं, स्वतंत्र हैं!

बच्चे के समान विश्वास

जब हमारी दत्तक नानी कई आघात(stroke) झेलने के बाद अस्पताल के अपने बिस्तर पर लेती थी, उनके डॉक्टर इस को लेकर अनिश्चित थे कि उन्हें कितनी मस्तिष्क क्षति हुयी है l उन्हें उनके मस्तिष्क के कार्य का परिक्षण करने के लिए उनके थोड़ा बेहतर होने तक प्रतीक्षा करना था l वह बहुत कम शब्द बोलती थी और उससे भी कम शब्द समझ में आते थे l लेकिन जब छियासी वर्ष की वह स्त्री जिसने 12 वर्ष मेरी बेटी की देखभाल की थी ने मुझे देखा, तो उसने अपना सूखा मुँह खोलकर पूछा : कैला कैसी है?” उसने मुझसे जो पहले शब्द कहे, वे मेरे बच्चे के बारे में थे, जिसे उसने इतनी अधिकता और पूरी तरह से प्यार किया था l

यीशु भी बच्चों से प्यार करता था और उन्हें आगे रखता था भले ही उसके शिष्यों ने उन्हें अस्वीकार किया l कुछ माता-पिता मसीह को ढूँढकर अपने बच्चों को उसके पास लाते थे l उसने बच्चों को आशीष देते हुए “उन पर हाथ रखे” (लूका 18:15) l लेकिन सब इस बात से प्रसन्न नहीं थे कि वह छोटों को आशीष दे रहा था l चेलों ने माता-पिता को डांटा और उनसे यीशु को परेशान करना बंद करने को कहा l लेकिन उसने हसक्षेप किया और कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो” (पद.16) l उसने उन्हें एक उदाहरण बताया कि हमें कैसे परमेश्वर के राज्य को स्वीकार करना चाहिए—सरल भरोसा, विश्वास और सच्चाई के साथ l

छोटे बच्चों के पास संभवतः ही कोई छिपी हुयी कार्य-सूची होती है l आप जो देख रहे हैं वही आपको मिलेगा l जैसा कि हमारा स्वर्गीय पिया हमें बच्चों के समान विश्वास प्राप्त करने में सहायता करता है, काश हमारा विश्वास और उस पर भरोसा एक बच्चे की तरह खुली हो l

मित्रता दिवस मुबारक हो!

भगवान के साथ गहरी दोस्ती कैसे बढ़ाएं!

हमें अपने दिल की हर बात यीशु को बताने, हमारे बोझ में किसी को शामिल करने या जब हम अकेले होते हैं तो हमें सांत्वना देने का विचार अच्छा लगता है। लेकिन हम कितनी बार सोचते हैं कि हम यीशु के मित्र कैसे बन रहे हैं? और हम उससे केवल प्राप्त करने के…

धीमी-चाल वाला पाप दरवाजे के बाहर

विंस्टन जानता है की उसे चबाना नहीं है। इसलिए उसने एक धूर्त रणनीति अपनाया। हम इसे धीमी-चाल कहते हैं। यदि विंस्टन एक फेंके हुए, बिना सुरक्षा वाला जूता देखता है, वह लापरवाही से उस दिशा में घूमेगा, उसे पकड़ लेगा, और बस चलता रहेगा। धीरे से। कुछ दिखेगा नहीं। अगर किसी ने नहीं देखा तो सीधे दरवाजे से बाहर। "माँ, विंस्टन ने धीरे-धीरे आपका जूता दरवाजे से बाहर ले गया। 

यह स्पष्ट है कि कभी-कभी हम सोचते हैं कि हम अपने पापों को परमेश्वर के आगे "धीमी-चाल" चल सकते हैं। हमें यह सोचने की परीक्षा होती है कि वह ध्यान नहीं देगा। यह कोई बड़ी बात नहीं है, हम सोचते हैं — जो भी "यह" है। लेकिन, विंस्टन की तरह, हम बेहतर जानते हैं। हम जानते हैं कि वह काम परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करता हैं। 

वाटिका में आदम और हव्वा के तरह, हम अपने पाप के लज्जा के कारण छुपने का कोशिश कर सकते हैं (उत्पति 3:10) या ऐसा व्यवहार कर सकते हैं की हुआ ही नहीं है। लेकिन पवित्रशास्त्र हमें कुछ अलग करने को आमंत्रित करता है: परमेश्वर की कृपा और क्षमा के तरफ दौड़ने के लिए। नीतिवचन 28:13 हमें कहता है, “जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जाएगी।” 

जरूरी नहीं है अपने पाप को धीमी-चाल चलना और आशा रखना की कोई देखा तो नहीं । जब हम खुद को, परमेश्वर को, एक भरोसेमंद मित्र को--अपने विकल्पों के बारे में सत्य बोलते हैं—गुप्त पापों को ढ़ोने के दोष और शर्म से आज़ादी पा सकते हैं (1 यूहन्ना 1:9)।

परमेश्वर निकट है

मारे इस तीव्रता और सदैव परिवर्तनशील संसार में, अगुवाई (मार्गदर्शन) और उद्देश्य को खोजना कभी कभी कठिन हो जाता है। इस गड़बड़ी के बीच हमें यीशु पर विश्वास में ही आशा दिखाई देती है। क्योंकि विश्वासी होने के कारण, हमें हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू में पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलना है। बाइबल हमें सिखाती है कि पवित्र आत्मा को…

एक परेशान दुनियां में शांति प्राप्ति

स परेशान दुनिया में शांति कहां से प्राप्त करें? कुछ का मानना की हिंसा का जवाब उग्रता से देकर शांति को स्थापित किया जा सकता है। अन्य लोगों का "मानना" है कि “जियो और जीने दो।” और अन्यों का माना है की “ प्रेम ही इसका उत्तर है।” फिर भी ऐसा लगता है जिनके पास अधिकार हैं वह इसका प्रयोग…