“जीवन भर की यात्रा” के लिए पूरे साल पैसे जुटाने के बाद, अमेरिका के ओक्लाहोमा हाई स्कूल के वरिष्ठ नागरिक हवाई अड्डे पहुँचकर यह जाने कि उनमें से कई ने एक फर्जी एयरलाइन से टिकट खरीदे थे l एक स्कूल प्रशासक ने कहा, “यह पीड़ादायक है l” फिर भी, भले ही उन्हें अपनी योजना बदलनी पड़ी विद्यार्थियों ने “इसका अधिकतम लाभ उठाने” का निर्णय लिया l उन्होंने पास के आकर्षणों में दो दिनों का आनंद लिया, जिन्होंने टिकट दान किये l

विफल या बदली हुयी योजनाओं से निपटना निराशाजनक या दिल तोड़ने वाला भी हो सकता है l खासकर जब हम योजना बनाने में समय, पैसा या भावनाओं का निवेश किया हों l राजा दाऊद की “इच्छा  तो थी कि (वह) यहोवा के वाचा के संदूक के लिए .  . एक भवन [बनाए]” ( 1 इतिहास 28:2), परन्तु परमेश्वर ने कहा : “तू मेरे नाम का भवन बनाने न पाएगा . . . तेरा पुत्र सुलैमान ही मेरे भवन . . . को बनाएगा” (पद. 3, 6) l दाऊद निराश नहीं हुआ l इस्राएल पर राजा होने के लिए उसने परमेश्वर की स्तुति की, और सुलैमान को मंदिर की योजनाओं को पूरा करने के लिए दिया (पद.11-13) l उसने उसे उत्साहित किया : “हिवाव बाँध और दृढ़ होकर इस काम में लग जा  . . . क्योंकि यहोवा परमेश्वर . . . तेरे संग है” (पद. 20) l

योजनाएँ विफल होने का, चाहे कोई भी कारण हो, हम अपनी निराशा परमेश्वर के सामने लाएँ क्योंकि उसको [हमारा] ध्यान है” (1 पतरस 5:7) l वह अनुग्रह के साथ हमारी निराशा को दूर करने में हमारी सहायता करेगा l