शांति का राजकुमार
जब जॉन की सर्दी निमोनिया में बदल गई, तो वह अस्पताल में भर्ती हो गया। उसी समय, उसकी माँ का उससे कुछ मंजिल ऊपर कैंसर का इलाज चल रहा था, और उसका मन उनके बारे में और अपने स्वयं के स्वास्थ्य के बारे में चिंताओं से भर गया। फिर क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, जब रेडियो ने "ओ होली नाइट(O Holy Night)" गीत बजाया, तो जॉन परमेश्वर की शांति की गहरी भावना से भर गया। उसने प्रिय उद्धारकर्ता के जन्म की रात होने के बारे में शब्दों को सुना : "आशा का एक रोमांच थकी हुई आत्मा को आनन्दित करता है, क्योंकि एक नयी और गौरवशाली सुबह उभर रही है!" उस पल में, उसकी और अपनी माँ की चिंताएँ गायब हो गईं।
यह "प्रिय उद्धारकर्ता" हमारे लिए पैदा हुआ, यीशु, "शान्ति का राजकुमार" है, जैसा कि यशायाह ने भविष्यवाणी की थी (यशायाह 9:6)। यीशु ने इस भविष्यवाणी को तब पूरा किया जब वह एक बच्चे के रूप में पृथ्वी पर आया, और जो "लोग अंधकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे” उनके लिए प्रकाश और उद्धार लेकर आया (मत्ती 4:16; यशायाह 9:2 देखें)। वह उन लोगों का प्रतीक है और उन्हें शांति देता है जिन्हें वह प्यार करता है, तब भी जब वे कठिनाई और मृत्यु का सामना करते हैं।
वहाँ अस्पताल में, जॉन ने उस शांति का अनुभव किया जो पूरी समझ से परे है (फिलिप्पियों 4:7) जब उसने यीशु के जन्म पर विचार किया। परमेश्वर के साथ इस मुलाकात ने उसके विश्वास और कृतज्ञता की भावना को मजबूत किया क्योंकि वह क्रिसमस पर अपने परिवार से दूर उस साफ-सुथरे कमरे में लेटा था। हम भी परमेश्वर की शांति और आशा का उपहार प्राप्त करें।
एक बड़ी भीड़
हम खुशी और अपेक्षा के साथ रविवार की सुबह की चर्च सभा के लिए एक साथ आए। हालाँकि, हम कोरोनोवायरस महामारी के कारण स्थानिक रूप से दूर थे, हमने एक युवा जोड़े की शादी का जश्न मनाने के अवसर का स्वागत किया। हमारे तकनीकी रूप से प्रतिभाशाली चर्च के सदस्यों ने स्पेन, पोलैंड और सर्बिया सहित भौगोलिक रूप से फैले मित्रों और परिवार को सभा प्रसारित की। इस रचनात्मक दृष्टिकोण ने हमें बाधाओं को दूर करने में मदद की जब हम विवाह की वाचा में आनन्दित हुए। परमेश्वर की आत्मा ने हमें एक किया और हमें आनंद दिया।
हमारी अद्भुत बहुराष्ट्रीय मण्डली के साथ रविवार की सुबह आने वाली महिमा का एक छोटा सा स्वाद था जब "हर एक जाति, कुल, लोग और भाषा" के लोग स्वर्ग में परमेश्वर के सामने खड़े होंगे (प्रकाशितवाक्य 7:9)। प्रिय शिष्य यूहन्ना ने इस "बड़ी भीड़" को एक दर्शन में देखा जिसका वर्णन वह प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में करता है।
वहाँ जो इकट्ठे हुए वे स्वर्गदूतों और पुरनियों के साथ परमेश्वर की आराधना करेंगे, और सभी स्तुति करेंगे : "हमारे परमेश्वर की स्तुति और महिमा और ज्ञान और धन्यवाद और आदर और सामर्थ्य और शक्ति युगानुयुग बनी रहें" (पद 12)।
"मेम्ने के विवाह भोज" (19:9) में यीशु और उसकी अंतर्राष्ट्रीय दुल्हन का मिलन और विवाह आराधना और उत्सव का एक अद्भुत समय होगा। कई देशों के लोगों के साथ हमारी रविवार की चर्च सभा में हमारा अनुभव इस घटना की ओर इशारा करता है कि एक दिन हम आनंद करेंगे।
जब हम उस आनंदमय घटना की आशा में प्रतीक्षा करते हैं, तो हम परमेश्वर के लोगों के बीच दावत और आनन्द मनाने की प्रथा को अपना सकते हैं।
परमेश्वर की प्रशंसा करें
शिष्यता सम्मलेन में पूरे सप्ताह गर्मी के मौसम की गर्मी और उमस ने हमें घेर लिया, लेकिन आखिरी दिन हमने ठंडी हवा के झोंके का स्वागत किया । मौसम में बदलाव और परमेश्वर द्वारा किये गए अद्भुत कार्य के लिए धन्यवाद देते हुए, सैंकड़ों ने परमेश्वर की प्रशंसा, आराधना करने के लिए अपनी आवाजें मिलाईं । कईयों ने परमेश्वर के समक्ष पूरे दिल से गाने के लिए स्वतंत्रता का अनुभव करते हुए, हृदयों, आत्माओं, शरीरों, और मनों को उसके सामना अर्पित किया । जब मैं दशकों बाद उस दिन के विषय विचार करती हूँ, मुझे परमेश्वर की प्रशंसा के निर्मल आश्चर्य और आनंद की याद आती है ।
राजा दाऊद जानता था कि परमेश्वर की आराधना पूरे मन से कैसे की जाती है । वह अतिआनन्दित हुआ──नाचने, कूदने, और उत्सव मनाने के द्वारा──जब वाचा का संदूक, जो परमेश्वर की उपस्थिति प्रगट करता था, यरूशलेम में पहुँचा । (1 इतिहास 15:29) । यद्यपि उसकी पत्नी मीकल ने उसके उन्माद पर ध्यान दिया और “उसे मन ही मन तुच्छ जाना” (पद.29), दाऊद ने उसकी आलोचना को उसे एक सच्चे परमेश्वर की आराधना करने से रोकने नहीं दिया । यहाँ तक कि यदि वह मर्यादाहीन दिख भी रहा था, वह परमेश्वर को राष्ट्र की अगुवाई करने में उसका चुनाव करने के लिए धन्यवाद देना चाहता था (2 शमूएल 6:21-22 देखें) ।
दाऊद ने “यहोवा का धन्यवाद करने का काम आसाप और उसके भाइयों को सौंप दिया : यहोवा का धन्यवाद करो, उससे प्रार्थना करो; देश देश में उसके कामों का प्रचार करो , उसके सब आश्चर्यकर्मों का ध्यान करो” (1 इतिहास 16:7-9) । हम भी अपनी प्रशंसा और भक्ति को उंडेल कर परमेश्वर की पूर्ण आराधना करने में अपने को समर्पित करें ।
आपके लिए परमेश्वर की योजना
छह साल तक, एग्नेस ने खुद को अपनी प्यारी सास (वह भी एक पास्टर की पत्नी थी) के समान “पास्टर आदर्श की पत्नी,” बनने की कोशिश की l उसकी सोच थी कि इस भूमिका में वह एक लेखिका या चित्रकार भी नहीं बन सकती थी, लेकिन अपनी रचनात्मकता को दफ़न करने में वह खिन्न हो गयी और आत्महत्या पर विचार करने लगी l केवल एक पडोसी पास्टर ने उसे उस अन्धकार से निकाला जब वह उसके साथ प्रार्थना किया और उसे हर सुबह दो घंटे लिखने का कार्य सौंपा l यह उसे उसके प्रति जागृत किया जिसे वह “मोहरबंद निर्देश” कहती है──जो परमेश्वर की बुलाहट ने उसे दी थी l उसने लिखा, “मेरे लिए वास्तव में स्वयं──मेरा पूर्ण व्यक्तित्व──रचनात्मकता के हरेक . . . प्रवाह जो परमेश्वर ने मुझे दिया था को अपना माध्यम ढूँढना था l”
बाद में उन्होंने दाऊद के एक गीत की ओर इंगित किया जो बताता है कि कैसे उन्होंने अपनी बुलाहट पायी : “यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा” (भजन 37:4) l जब उन्होंने अपने मार्ग को परमेश्वर को समर्पित कर दिया, उसे लिए चलने और मार्गदर्शन करने में (पद.5), उसने उसके लिए केवल लेखन और चित्रकारी का ही नहीं लेकिन उसके(परमेश्वर) साथ बेहतर संप्रेक्षण करने के लिए दूसरों की मदद करने का भी द्वार खोला l
परमेश्वर के पास हममें से हर एक के लिए “मोहरबंद निर्देश,” केवल यह जानना नहीं कि हम उसके प्रिय बच्चे हैं लेकिन उन अद्वितीय तरीकों को समझना है जिससे हम अपने वरदानों और अभिलाषाओं के द्वारा उसकी सेवा कर सकते हैं l वह हमारी अगुवाई करेगा जब हम उसमें भरोसा रखते और उसको अपना सुख का मूल मानते हैं l
परमेश्वर में सुरक्षित विश्राम
मैंने अपने प्रत्येक बच्चे को पत्र लिखा जब वे किशोरावस्था में प्रवेश कर रहे थे l एक पत्र में मैंने मसीह में हमारी पहचान के विषय बात की, यह याद करते हुए कि जब मैं किशोर था, मैं अपने को असुरक्षित और खुद में भरोसे की कमी महसूस करता था l मुझे सीखना था कि मैं परमेश्वर का प्रिय था─उसका बच्चा l मैंने उस पत्र में कहा, “जानना कि आप कौन हैं उस बात से आता है कि आप किसके हैं l” क्योंकि जब हम समझते हैं कि परमेश्वर ने हमें बनाया है और हम उसका अनुसरण करने के लिए समर्पित होते हैं, तो हम जिसके लिए उसने हमें रचा है के साथ शांति में हो सकते हैं l और हम यह भी जानते हैं कि हर दिन वह हम को और भी अपने समान बनने के लिए बदलाव करता है l
परमेश्वर के बच्चों के रूप में हमारी पहचान के विषय पवित्रशास्त्र का एक बुनियादी परिच्छेद व्यवस्थाविवरण 33:12 है : “यहोवा का वह प्रिय जन, उसके पास निडर वास करेगा; और वह दिन भर उस पर छाया करेगा, और वह उसके कन्धों के बीच रहा करता है l” मूसा की मृत्यु से ठीक पहले, उसने बिन्यमीन के गोत्र पर आशीष की घोषणा की जब परमेश्वर के लोग उस देश में जो उसने उनको देने का वादा किया था में प्रवेश करने के लिए तैयारी कर रहे थे l परमेश्वर चाहता था कि वे हमेशा याद रखें कि वे उसके परमप्रिय थे और उसके बच्चों के रूप में जो उनकी पहचान थी उसमें में विश्राम करें l
परमेश्वर के बच्चों के रूप में अपनी पहचान को जानना सभी के लिए बराबर से महत्वपूर्ण है──जो किशोर हैं, जो मध्य उम्र में हैं, और जो लम्बे समय तक जीवित रहे हैं l जब हम यह समझते हैं कि परमेश्वर हमें बनाया है और हमारी देखभाल करता है, हम सुरक्षा, आशा और प्रेम प्राप्त कर सकते हैं l
यीशु को साझा करना
डिवाइट मूडी (1837-99) के मसीह में विश्वास करने के तुरंत बाद, उन्होंने संकल्प किया कि हर दिन के बीतने से पहले वे कम से कम एक व्यक्ति के साथ सुसमाचार ज़रूर साझा करेंगे l व्यस्त दिनों में, वे अपना संकल्प देर तक भूल जाते थे l एक रात, जब वे बिस्तर में थे उन्हें याद आया l जब वह बिस्तर से बाहर निकले, उन्होंने सोचा, इस भारी बारिश में कोई बाहर नहीं होगा l उसी समय उन्होंने एक आदमी को सड़क पर जाते देखा l मूडी दौड़कर उसे बारिश से बचाने के लिए उसे अपने छाते के नीचे खड़े होने को कहा l अनुमति मिलने के बाद, उन्होंने पूछा, “क्या तूफ़ान के समय आपके पास आश्रय है? क्या मैं आपको यीशु के बारे में बता सकता हूँ?”
मूडी यह बात साझा करने में तत्पर थे कि कैसे परमेश्वर हमें हमारे पापों के परिणाम से बचाता है l उन्होंने इस्राएलियों को दिया गया परमेश्वर का निर्देश माना कि उसका नाम घोषित करो और “सब जातियों में उसके बड़े कामों का प्रचार करो” (यशायाह 12:4) न केवल परमेश्वर के लोगों को “यह घोषित करने के लिए बुलाया गया था कि “उसका नाम महान् है” (पद.4), लेकिन उन्हें यह भी साझा करना था कि वह कैसे “उनका” [उद्धार] बन गया था (पद.2) l सदियों बाद, यीशु के मनुष्य बनने, क्रूस पर मरने और फिर से जी उठने के आश्चर्यों को बताने की हमारी बुलाहट वही है l
शायद हमने परमेश्वर के प्यार के बारे में सुना जब, जैसे मूडी ने सुना था, किसी ने यीशु के बारे में हमारे साथ बात करने के लिए अपने सुखद क्षेत्र को छोड़ा था l और हम भी, प्रत्येक अपने तरीके से, बचानेवाले के बारे में किसी को बता सकते हैं l
परमेश्वर की मदद ढूँढना
1800 के दशक के अंत में पांच सालों तक, अमेरिका के एक छोटे शहर में टिड्डियाँ उतरकर फसलों को बर्बाद कीं l किसानों ने टिड्डियों को तारकोल में फंसाने और उनके अण्डों को नष्ट करने के लिए अपने खेतों में आग लगा दी l हताश महसूस करते हुए और भुखमरी की कगार पर, बहुत से लोगों ने राज्यव्यापी प्रार्थना दिवस की मांग की, जो मिलकर परमेश्वर की सहायता लेने के लिए तरस रहे थे l राज्यपाल नर्म हो गए, और 26 अप्रैल को प्रार्थना करने के लिए अलग कर दिया l
सामूहिक प्रार्थना के बाद के दिनों में,मौसम गर्म हो गया और अण्डों में जान आनी शुरू हो गयी lकिन्तु फिर चार दिन बाद तापमान में गिरावट ने लोगों को आचम्भित और प्रसन्न किया, क्योंकि ठंडे तापमान ने लार्वा को मार डाला l लोग फिर से अपने मक्का, गेहूँ, और जई(oats) का फसल लगाने वाले थे l
यहोशापात राजा के शासनकाल में परमेश्वर के लोगों के बचाव के पीछे प्रार्थना ही थी l जब राजा को पता चला कि एक विशाल सेना उसके विरुद्ध आ रही है, उसने परमेश्वर के लोगों को प्रार्थना और उपवास के लिए बुलायाlलोगों ने परमेश्वर को याद दिलाया कि उसने उन्हें बीते समयों में कैसे बचाया था l और यहोशापात ने कहा कि यदि आपदा उन पर आती है, “तलवार या मरी अथवा अकाल,” यह जानते हुए कि वह सुनेगा और उनको बचा लेगा वे परमेश्वर को पुकारेंगे (2 इतिहास 20:9) l
परमेश्वर ने अपने लोगों को आक्रमणकारी सेना से बचाया, और जब हम संकट में उसको पुकारते हैं वह हमारी सुनता है l चाहे जो भी आपकी चिंता हो——चाहे एक रिश्ते का मामला या प्राकृतिक संसार से कोई खतरा हो——उसे परमेश्वर के सामने प्रार्थना में ले जाएं l उसके लिए कुछ भी अधिक कठिन नहीं है l
संतोष का रहस्य
जब जोनी इरटन टाडा एक तैराकी दुर्घटना में पीड़ित होने के बाद घर लौटी, जिससे उसके गर्दन से नीचे पूरे शरीर में लकवा मार गया, उसका जीवन बहुत अधिक भिन्न हो गया था l अब दरवाजे उसके व्हीलचेयर के लिए बहुत संकरे थे और वाश बेसिन काफी ऊँचे थे । जब तक कि उसने खुद भोजन करने का तरीका फिर से सीखने का फैसला नहीं किया, किसी को उसे खिलाना पड़ता था l पहली बार अपने बाँह की खपच्ची की मदद से एक विशेष चमच्च अपने मुँह तक ले जाते समय, उसने खुद को अपमानित महसूस किया जब उसने अपने कपड़ों पर एप्पल सॉस फैला दी l लेकिन वह कोशिश करती रही । जैसा कि वह कहती है, “मेरा रहस्य यीशु पर सहारा लेना सीखना और कहना था, ‘हे प्रभु, इसमें मेरी मदद कर!’” आज वह एक चम्मच का उपयोग बहुत ही अच्छे से करती है ।
जोनी कहती है उसके एकांतवास ने उसे एक और कैदी──प्रेरित पौलुस, जो रोम के जेल में कैद था──और फिलिप्पियों को लिखी उसकी पत्री की ओर देखने को विवश किया l पौलुस ने जो हासिल किया था उस के लिए जोनी प्रयासरत थी : “मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूँ; उसी में संतोष करूं” (फिलिप्पियों 4:11) । ध्यान दे कि पौलुस को शांत रहना सीखना पड़ा; वह स्वाभाविक रूप से शांतिमय नहीं था । उसने संतोष कैसे पाया? मसीह पर भरोसा करने के द्वारा : “जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ” (पद.13) l
हम सब समस्त दिनों में विभिन्न चुनौतियों का सामना करते है; और हम सब यीशु की ओर मदद, सामर्थ्य और शांति के लिए पल-पल देख सकते हैं l वह हमें अपने प्रिय जनों पर तंज कसने से रोकने में सहायता करेगा; वह हमें अगला कठिन काम करने का साहस देगा l उसकी ओर देखें और संतोष प्राप्त करें l
अपना विश्वास साझा करना
जब लेखक और सुसमाचार प्रचारिका बेकी पिप्पर्ट आयरलैंड में रहती थी, वह यीशु का सुसमाचार दो सालों से हेदर के साथ साझा करने के लिए ललायित थी जो एक ब्यूटी पार्लर में काम करती थी l लेकिन हेदर थोड़ा भी रूचि नहीं लेती हुयी प्रतीत होती थी l बातचीत आरंभ करने में असमर्थ महसूस करते हुए, बेकी ने नियोजित मुलाकात से पहले प्रार्थना की l
एक दिन पार्लर में, बेकी एक पुरानी पत्रिका के पन्ने उलटती हुयी एक मॉडल की तस्वीर पर ठहर गयी । जब हेदर ने पूछा कि वह इतनी आकर्षित क्यों है, बेकी ने उससे कहा कि वह तस्वीर एक करीबी दोस्त की थी जो वर्षों पहले वोग(Vogue) पत्रिका का कवर मॉडल रह चुकी थी l बेकी ने अपने दोस्त का परमेश्वर के विश्वास में आने की कुछ कहानियाँ भी बतायी जिसे हेदर ने ध्यान से सुना ।
बेकी यात्रा पर निकल गयी, और बाद में जब वह आयरलैंड लौटी, उसे पता चला कि हेदर एक नए स्थान पर चली गयी थी l बेकी ने याद किया, ‘‘मैंने परमेश्वर से सुसमाचार बाँटने का एक मौका माँगा था, और उसने दिया!’’
बेकी ने प्रेरित पौलुस से प्रेरणा पाकर, अपनी कमजोरी में मदद के लिए परमेश्वर की ओर देखा l जब पौलुस कमजोर था और परमेश्वर से अपने शरीर के काँटे को निकालने की विनती की, तो प्रभु ने कहा, “मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (2 कुरिन्थियों12:9) l पौलुस ने──बड़ी या छोटी──सब बातों में परमेश्वर पर भरोसा करना सीखा था l
जब हम परमेश्वर पर अपने आस पास के लोगों से प्यार करने के लिए मदद करने हेतु निर्भर होते है, हम भी प्रमाणिक रूप से अपना विश्वास साझा करने के लिए सुअवसर ढूँढ लेंगे ।