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Articles by एमी बाउचर पाई

परमेश्वर में सुरक्षित विश्राम

मैंने अपने प्रत्येक बच्चे को पत्र लिखा जब वे किशोरावस्था में प्रवेश कर रहे थे l एक पत्र में मैंने मसीह में हमारी पहचान के विषय बात की, यह याद करते हुए कि जब मैं किशोर था, मैं अपने को असुरक्षित और खुद में भरोसे की कमी महसूस करता था l मुझे सीखना था कि मैं परमेश्वर का प्रिय था─उसका बच्चा l मैंने उस पत्र में कहा, “जानना कि आप कौन हैं उस बात से आता है कि आप किसके हैं l” क्योंकि जब हम समझते हैं कि परमेश्वर ने हमें बनाया है और हम उसका अनुसरण करने के लिए समर्पित होते हैं, तो हम जिसके लिए उसने हमें रचा है के साथ शांति में हो सकते हैं l और हम यह भी जानते हैं कि हर दिन वह हम को और भी अपने समान बनने के लिए बदलाव करता है l 

परमेश्वर के बच्चों के रूप में हमारी पहचान के विषय पवित्रशास्त्र का एक बुनियादी परिच्छेद व्यवस्थाविवरण 33:12 है : “यहोवा का वह प्रिय जन, उसके पास निडर वास करेगा; और वह दिन भर उस पर छाया करेगा, और वह उसके कन्धों के बीच रहा करता है l” मूसा की मृत्यु से ठीक पहले, उसने बिन्यमीन के गोत्र पर आशीष की घोषणा की जब परमेश्वर के लोग उस देश में जो उसने उनको देने का वादा किया था में प्रवेश करने के लिए तैयारी कर रहे थे l परमेश्वर चाहता था कि वे हमेशा याद रखें कि वे उसके परमप्रिय थे और उसके बच्चों के रूप में जो उनकी पहचान थी उसमें में विश्राम करें l 

परमेश्वर के बच्चों के रूप में अपनी पहचान को जानना सभी के लिए बराबर से महत्वपूर्ण है──जो किशोर हैं, जो मध्य उम्र में हैं, और जो लम्बे समय तक जीवित रहे हैं l जब हम यह समझते हैं कि परमेश्वर हमें बनाया है और हमारी देखभाल करता  है, हम सुरक्षा, आशा और प्रेम प्राप्त कर सकते हैं l 

यीशु को साझा करना

डिवाइट मूडी (1837-99) के मसीह में विश्वास करने के तुरंत बाद, उन्होंने संकल्प किया कि हर दिन के बीतने से पहले वे कम से कम एक व्यक्ति के साथ सुसमाचार ज़रूर साझा करेंगे l व्यस्त दिनों में, वे अपना संकल्प देर तक भूल जाते थे l एक रात, जब वे बिस्तर में थे उन्हें याद आया l जब वह बिस्तर से बाहर निकले, उन्होंने सोचा, इस भारी बारिश में कोई बाहर नहीं होगा l उसी समय उन्होंने एक आदमी को सड़क पर जाते देखा l मूडी दौड़कर उसे बारिश से बचाने के लिए उसे अपने छाते के नीचे खड़े होने को कहा l अनुमति मिलने के बाद, उन्होंने पूछा, “क्या तूफ़ान के समय आपके पास आश्रय है? क्या मैं आपको यीशु के बारे में बता सकता हूँ?”

मूडी यह बात साझा करने में तत्पर थे कि कैसे परमेश्वर हमें हमारे पापों के परिणाम से बचाता है l उन्होंने इस्राएलियों को दिया गया परमेश्वर का निर्देश माना कि उसका नाम घोषित करो और “सब जातियों में उसके बड़े कामों का प्रचार करो” (यशायाह 12:4) न केवल परमेश्वर के लोगों को “यह घोषित करने के लिए बुलाया गया था कि “उसका नाम महान् है” (पद.4), लेकिन उन्हें यह भी साझा करना था कि वह कैसे “उनका” [उद्धार] बन गया था (पद.2) l सदियों बाद, यीशु के मनुष्य बनने, क्रूस पर मरने और फिर से जी उठने के आश्चर्यों को बताने की हमारी बुलाहट वही है l  

शायद हमने परमेश्वर के प्यार के बारे में सुना जब, जैसे मूडी ने सुना था, किसी ने यीशु के बारे में हमारे साथ बात करने के लिए अपने सुखद क्षेत्र को छोड़ा था l और हम भी, प्रत्येक अपने तरीके से, बचानेवाले के बारे में किसी को बता सकते हैं l 

परमेश्वर की मदद ढूँढना

1800 के दशक के अंत में पांच सालों तक, अमेरिका के एक छोटे शहर में टिड्डियाँ  उतरकर फसलों को बर्बाद कीं l किसानों ने टिड्डियों को तारकोल में फंसाने और उनके अण्डों को नष्ट करने के लिए अपने खेतों में आग लगा दी l हताश महसूस करते हुए और भुखमरी की कगार पर, बहुत से लोगों ने राज्यव्यापी प्रार्थना दिवस की मांग की, जो मिलकर परमेश्वर की सहायता लेने के लिए तरस रहे थे l राज्यपाल नर्म हो गए, और 26 अप्रैल को प्रार्थना करने के लिए अलग कर दिया l

सामूहिक प्रार्थना के बाद के दिनों में,मौसम गर्म हो गया और अण्डों में जान आनी शुरू हो गयी lकिन्तु फिर चार दिन बाद तापमान में गिरावट ने लोगों को आचम्भित और प्रसन्न किया, क्योंकि ठंडे तापमान ने लार्वा को मार डाला l लोग फिर से अपने मक्का, गेहूँ, और जई(oats) का फसल लगाने वाले थे l

यहोशापात राजा के शासनकाल में परमेश्वर के लोगों के बचाव के पीछे प्रार्थना ही थी l जब राजा को पता चला कि एक विशाल सेना उसके विरुद्ध आ रही है, उसने परमेश्वर के लोगों को प्रार्थना और उपवास के लिए बुलायाlलोगों ने परमेश्वर को याद दिलाया कि उसने उन्हें  बीते समयों में कैसे बचाया था l और यहोशापात ने कहा कि यदि आपदा उन पर आती है, “तलवार या मरी अथवा अकाल,” यह जानते हुए कि वह सुनेगा और उनको बचा लेगा वे परमेश्वर को पुकारेंगे (2 इतिहास 20:9) l

परमेश्वर ने अपने लोगों को आक्रमणकारी सेना से बचाया, और जब हम संकट में उसको पुकारते हैं वह हमारी सुनता है l चाहे जो भी आपकी चिंता हो——चाहे एक रिश्ते का मामला या प्राकृतिक संसार से कोई खतरा हो——उसे परमेश्वर के सामने प्रार्थना में ले जाएं l उसके लिए कुछ भी अधिक कठिन नहीं है l

संतोष का रहस्य

जब जोनी इरटन टाडा एक तैराकी दुर्घटना में पीड़ित होने के बाद घर लौटी, जिससे उसके  गर्दन से नीचे पूरे शरीर में लकवा मार गया, उसका जीवन बहुत अधिक भिन्न हो गया था l  अब दरवाजे उसके व्हीलचेयर के लिए बहुत संकरे थे और वाश बेसिन काफी ऊँचे थे । जब तक कि उसने खुद भोजन करने का तरीका फिर से सीखने का फैसला नहीं किया, किसी को उसे खिलाना पड़ता था l पहली बार अपने बाँह की खपच्ची की मदद से एक विशेष चमच्च अपने मुँह तक ले जाते समय, उसने खुद को अपमानित महसूस किया जब उसने अपने कपड़ों पर एप्पल सॉस फैला दी l लेकिन वह कोशिश करती रही । जैसा कि वह कहती है, “मेरा रहस्य यीशु पर सहारा लेना सीखना और कहना था, ‘हे प्रभु, इसमें मेरी मदद कर!’” आज वह एक चम्मच का उपयोग बहुत ही अच्छे से करती है ।

जोनी कहती है उसके एकांतवास ने उसे एक और कैदी──प्रेरित पौलुस, जो रोम के जेल में कैद था──और फिलिप्पियों को लिखी उसकी पत्री की ओर देखने को विवश किया l पौलुस ने जो हासिल किया था उस के लिए जोनी प्रयासरत थी : “मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में  हूँ; उसी में संतोष करूं” (फिलिप्पियों 4:11) । ध्यान दे कि पौलुस को शांत रहना सीखना पड़ा; वह स्वाभाविक रूप से शांतिमय नहीं था । उसने संतोष कैसे पाया? मसीह पर भरोसा करने के द्वारा : “जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ” (पद.13) l 

हम सब समस्त दिनों में विभिन्न चुनौतियों का सामना करते है; और हम सब यीशु की ओर मदद, सामर्थ्य और शांति के लिए पल-पल देख सकते हैं l वह हमें अपने प्रिय जनों पर तंज कसने से रोकने में सहायता करेगा; वह हमें अगला कठिन काम करने का साहस देगा l उसकी ओर देखें और संतोष प्राप्त करें l 

अपना विश्वास साझा करना

जब लेखक और सुसमाचार प्रचारिका बेकी पिप्पर्ट आयरलैंड में रहती थी, वह यीशु का सुसमाचार दो सालों से हेदर के साथ साझा करने के लिए ललायित थी जो एक ब्यूटी पार्लर में काम करती थी l लेकिन हेदर थोड़ा भी रूचि नहीं लेती हुयी प्रतीत होती थी l बातचीत आरंभ करने में असमर्थ महसूस करते हुए, बेकी ने नियोजित मुलाकात से पहले प्रार्थना की l 

एक दिन पार्लर में, बेकी एक पुरानी पत्रिका के पन्ने उलटती हुयी एक मॉडल की तस्वीर पर ठहर गयी । जब हेदर ने पूछा कि वह इतनी आकर्षित क्यों है, बेकी ने उससे कहा कि वह तस्वीर एक करीबी दोस्त की थी जो वर्षों पहले वोग(Vogue) पत्रिका का कवर मॉडल रह चुकी थी l बेकी ने अपने दोस्त का परमेश्वर के विश्वास में आने की कुछ कहानियाँ भी बतायी जिसे हेदर ने ध्यान से सुना ।

बेकी यात्रा पर निकल गयी, और बाद में जब वह आयरलैंड लौटी, उसे पता चला कि हेदर एक नए स्थान पर चली गयी थी l बेकी ने याद किया, ‘‘मैंने परमेश्वर से सुसमाचार बाँटने का एक मौका माँगा था, और उसने दिया!’’

बेकी ने प्रेरित पौलुस से प्रेरणा पाकर, अपनी कमजोरी में मदद के लिए परमेश्वर की ओर देखा l जब पौलुस कमजोर था और परमेश्वर से अपने शरीर के काँटे को निकालने की विनती की, तो प्रभु ने कहा, “मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (2 कुरिन्थियों12:9) l पौलुस ने──बड़ी या छोटी──सब बातों में परमेश्वर पर भरोसा करना सीखा था l 

जब हम परमेश्वर पर अपने आस पास के लोगों से प्यार करने के लिए मदद करने हेतु  निर्भर होते है, हम भी प्रमाणिक रूप से अपना विश्वास साझा करने के लिए सुअवसर ढूँढ लेंगे ।

कानूनी रूप से उसका

शीबा ने खुशी के कारण रोयी जब उसने और उसके पति ने अपने बच्चे के लिए जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट प्राप्त किया, जिससे गोद लेना कानूनी रूप से बाध्यकारी बन गया l अब मीना हमेशा उनकी बेटी होगी, हमेशा के लिए उनके परिवार का हिस्सा l जब शीबा ने कानूनी प्रक्रिया पर विचार किया, उसने “सच्चे आदान-प्रदान” के बारे में भी सोचा जो तब होता है जब हम यीशु के परिवार का हिस्सा बनते हैं : “अब हम पाप और टूटेपन के अपने जन्मसिद्ध अधिकार से दबाकर रखे गए हैं l” इसके बजाय, उसने जारी रखा, जब हम उसके बच्चों के रूप में अपनाए जाते हैं, तो हम कानूनी रूप से परमेश्वर के राज्य की पूर्णता में प्रवेश करते हैं l

प्रेरित पौलुस के दिनों में, यदि एक रोमी परिवार एक पुत्र को अपनाता था, तो उसकी कानूनी स्थिति पूरी तरह बदल जाती थी l उसके पुराने जीवन प्रत्येक ऋण रद्द कर दिया जाता था और वह अपने नए परिवार के सभी अधिकारों और विशेषाधिकारों को हासिल कर लेता था l पौलुस चाहता था कि यीशु में रोम के विश्वासी समझें कि यह नया दर्जा उनपर भी लागू होता था l अब वे पाप और दण्डाज्ञा के लिए बाध्य नहीं थे, लेकिन अब वे “आत्मा के अनुसार” चलते थे (रोमियों 8:4) l और जिनकी अगुवाई आत्मा करता है वे परमेश्वर की संतान के रूप में गोद लिए जाते हैं (पद. 14-15) l उनका कानूनी दर्जा बदल गया जब वे स्वर्ग के नागरिक बन गए l

यदि हमें उद्धार का उपहार मिला है, तो हम भी परमेश्वर के बच्चे हैं, उनके राज्य के उत्तराधिकारी हैं और मसीह के साथ संयुक्त l हमारे ऋण यीशु के बलिदान के उपहार द्वारा रद्द कर दिए गए हैं l हमें अब डर या दण्डाज्ञा में जीने की जरूरत नहीं है l

हमारे हृद्यों में निवास

कभी-कभी बच्चों के शब्द हमें ईश्वर के सत्य की गहरी समझ में डाल सकते हैं l एक शाम जब मेरी बेटी छोटी थी,  मैंने उसे मसीही विश्वास के महान रहस्यों में से एक के बारे में बताया─कि परमेश्वर अपने पुत्र और आत्मा के द्वारा अपने बच्चों में निवास करता है l जैसे ही मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया,  मैंने कहा कि यीशु उसके साथ और उसके अन्दर है l “वह मेरे पेट में हैं?” उसने पुछा l “ठीक है, तुमने उसे निगला नहीं है,” मैंने उत्तर दिया l “लेकिन वह तुम्हारे साथ पूरी तरह से है l”

मेरी बेटी का यीशु का “उसके पेट में” होने का शाब्दिक अनुवाद मुझे ठहरकर विचार करने को विवश किया कि कैसे जब मैंने यीशु को अपना उद्धारकर्ता बनने के लिए कहा,  तो वह आया और मेरे भीतर निवास करने लगा l

प्रेरित पौलुस ने इस रहस्य का उल्लेख किया जब उसने प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा इफिसुस के  विश्वासियों को मजबूत करेगा ताकि “विश्वास के द्वारा मसीह [उनके] हृदय में बसे” (इफिसियों 3:17) l यीशु के भीतर रहने के साथ,  वे समझ सकते थे कि वह उनसे कितना प्यार करता था l इस प्रेम से परिपूर्ण,  वे अपने विश्वास में परिपक्व होंगे और प्रेम में सच बोलते हुए दूसरों को दीनता और नम्रता से प्यार करेंगे (4:2,25) l

यीशु का अपने अनुयायियों के अंदर रहने का मतलब है कि उसका प्यार उन लोगों को कभी नहीं छोड़ता, जिन्होंने उसको अपने जीवन में निमंत्रित किया है l उसका प्रेम जो ज्ञान से परे है (3:19) हमें उसमें जड़वत करते हुए, समझने में मदद करता है कि वह हमसे कितना अधिक प्रेम करता है l

बच्चों के लिए लिखे गए शब्द इसे सबसे उत्तम तरीके से व्यक्त कर सकता है : “हाँ,  यीशु मुझे प्यार करता है!”

करुणा का फैलाव

मनश्शे, वह आदमी जिसने उसके पति और उसके कुछ बच्चों को रुवान्डा नरसंहार में मार डाला था, को माफ करने के तरीके पर विचार करते हुए, बेआटा ने कहा, “मेरी क्षमा यीशु के द्वारा किए गए कार्यों पर आधारित है l उसने हर समय हर बुरे कार्य के लिए दंड सहा l उसका क्रूस वह स्थान है जहाँ हम विजय पाते हैं─एकमात्र स्थान!” मनश्शे ने बेआटा को एक से अधिक बार जेल से लिखा था,  उससे─और ईश्वर से─क्षमा के लिए जब वह नियमित दुस्वप्नों द्वारा ग्रस्त होने का वर्णन किया l पहले तो वह कोई दया न कर सकी, यह कहते हुए कि वह उससे नफरत करती है क्योंकि उसने उसके परिवार की हत्या की थी l लेकिन फिर “यीशु उसके विचारों में दखल दिया,” और परमेश्वर की मदद से,  कोई दो साल बाद,  उसने उसे माफ कर दिया l

इसमें,  बेआटा ने यीशु का अपने शिष्यों को दिए गए निर्देश का अनुसरण किया कि जो पश्चाताप करते हैं उन्हें क्षमा करें l उसने कहा कि यद्यपि वह “दिन भर में . . . सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, ‘मैं पछताता हूँ,’ तो उसे क्षमा कर” (लूका 17:4) l लेकिन माफ करना बेहद मुश्किल हो सकता है,  जैसा कि हम शिष्यों की प्रतिक्रिया से देखते हैं : “हमारा विश्वास बढ़ा” (पद.5) l

माफ करने में असमर्थता को लेकर प्रार्थना में कुश्ती करते हुए बेआटा का विश्वास बढ़ गया l  यदि, उसकी तरह,  हम क्षमा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो हम परमेश्‍वर से उसकी पवित्र आत्मा के द्वारा पूछ सकते हैं कि वह हमें ऐसा करने में मदद करे l जैसे-जैसे हमारा विश्वास बढ़ता है, वह हमें माफ करने में मदद करता है l

राजसी सत्ता का आतिथ्य

स्कॉटलैंड में एक नृत्यसभा के दौरान इंग्लैंड की रानी से मिलने के बाद, सिल्विया और उसके पति को एक सन्देश मिला कि राजपरिवार उनके साथ चाय पीने आना चाहता है l सिल्विया ने शाही मेहमानों की मेजबानी के विषय घबराहट महसूस करते हुए साफ़-सफाई और तैयारी शुरू कर दी l इससे पहले कि वे आएँ, वह मेज़ पर रखने के लिए कुछ फूलों को लाने बाहर गयी, उसका हृदय जोर से धड़क रहा था l फिर उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसे स्मरण करा रहा था कि वह राजाओं का राजा है और वह प्रतिदिन उसके साथ है l तुरंत उसे शांति महसूस हुई और उसने सोचा, “आखिरकार, यह तो केवल रानी है!”
सिल्विया सही है l जैसा कि प्रेरित पौलुस ने उल्लेख किया है, परमेश्वर “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु” है (1 तीमुथियुस 6:15) और जो लोग उसका अनुसरण करते हैं वे “परमेश्वर की संतान” हैं (गलतियों 3:26) l जब हम मसीह के होते हैं, तो हम अब्राहम के उत्तराधिकारी हैं (पद.29) l अब हम विभाजन से सिमित नहीं हैं─जैसे कि जाति, सामाजिक वर्ग, या लिंग─क्योंकि हम “सब मसीह यीशु में एक” हैं (पद.28) l हम राजा के बच्चे हैं l
हालाँकि सिल्विया और उसके पति ने रानी के साथ एक बढ़िया भोजन किया, मुझे कभी भी निकट भविष्य में उनका निमंत्रण मिलने का अनुमान नहीं है l लेकिन मुझे इस बात का स्मरण है कि सभी का सर्वोच्च राजा हर पल मेरे साथ है l और जो लोग यीशु पर पूरा विश्वास करते हैं (पद.27) वे यह जानते हुए कि वह परमेश्वर की संतान हैं एकता में रह सकते हैं l
इस सच्चाई को थामना हमारे आज के जीने के तरीके को कैसे आकार दे सकता है?