छह साल तक, एग्नेस ने खुद को अपनी प्यारी सास (वह भी एक पास्टर की पत्नी थी) के समान “पास्टर आदर्श की पत्नी,” बनने की कोशिश की l उसकी सोच थी कि इस भूमिका में वह एक लेखिका या चित्रकार भी नहीं बन सकती थी, लेकिन अपनी रचनात्मकता को दफ़न करने में  वह खिन्न हो गयी और आत्महत्या पर विचार करने लगी l केवल एक पडोसी पास्टर ने उसे उस अन्धकार से निकाला जब वह उसके साथ प्रार्थना किया और उसे हर सुबह दो घंटे लिखने का कार्य सौंपा l यह उसे उसके प्रति जागृत किया जिसे वह “मोहरबंद निर्देश” कहती है──जो परमेश्वर की बुलाहट ने उसे दी थी l उसने लिखा, “मेरे लिए वास्तव में स्वयं──मेरा पूर्ण व्यक्तित्व──रचनात्मकता के हरेक . . . प्रवाह जो परमेश्वर ने मुझे दिया था को अपना माध्यम ढूँढना था l”

बाद में उन्होंने दाऊद के एक गीत की ओर इंगित किया जो बताता है कि कैसे उन्होंने अपनी बुलाहट पायी : “यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा” (भजन 37:4) l जब उन्होंने अपने मार्ग को परमेश्वर को समर्पित कर दिया, उसे लिए चलने और मार्गदर्शन करने में (पद.5), उसने उसके लिए केवल लेखन और चित्रकारी का ही नहीं लेकिन उसके(परमेश्वर) साथ बेहतर संप्रेक्षण करने के लिए दूसरों की मदद करने का भी द्वार खोला l 

परमेश्वर के पास हममें से हर एक के लिए “मोहरबंद निर्देश,” केवल यह जानना नहीं कि हम उसके प्रिय बच्चे हैं लेकिन उन अद्वितीय तरीकों को समझना है जिससे हम अपने वरदानों और अभिलाषाओं के द्वारा उसकी सेवा कर सकते हैं l वह हमारी अगुवाई करेगा जब हम उसमें भरोसा रखते और उसको अपना सुख का मूल मानते हैं l