एक बड़ा उजियाला
2018 में, बारह थाई लड़के और उनके फूटबाल कोच दोपहर का आनंद लेने के लिए एक भूल-भूलैया के सदृश गुफा में उतरे । अप्रत्याशित रूप से बढ़ते पानी के कारण उन्हें गुफा में अन्दर और अन्दर जाने के लिए विवश होना पड़ा, बचाव दल ने उन्हें ढाई सप्ताह के बाद बाहर निकाला । बढ़ते पानी के कारण निराश गोताखोर, लड़कों को बचाने का प्रयास किया जब वे छह टिमटिमाते टॉर्च के साथ एक छोटे चट्टान पर बैठे थे । उन्होंने अँधेरे में घंटो बिताए, उम्मीद की कि किसी तरह प्रकाश──और सहायता──पहुंचेगी ।
यशायाह नबी ने आशाहीन अन्धकार से भरा हुआ, हिंसा और लालच से अभिभूत, विद्रोह और शोक से ध्वस्त संसार का वर्णन किया (यशायाह 8:22) । बर्बादी के सिवा कुछ नहीं; टिमटिमाता और बुझता हुआ, अंधकारमय शुन्यता द्वारा समाप्त होने से पूर्व फड़फड़ाता हुआ आशा का दीप । और फिर भी, यशायाह दृढ़ता से कहता है, यह कुंद निराशा अंत नहीं था । परमेश्वर की करुणा के कारण, जल्द ही “जो भूमि व्यथा सह रही थी, अब वह उस निराशा से मुक्त हो जाएगी” (यशायाह 9:1 Ho।y Bib।e, BSI-Hindi C.।.) । परमेश्वर कभी भी अपने लोगों को अस्पष्ट बर्बादी में नहीं छोड़ने वाला था । उस समय नबी ने अपने लोगों के लिए आशा की घोषणा की और उस समय की ओर इशारा किया जब यीशु पाप के कारण अंधकार को दूर करने के लिए आएगा ।
यीशु आ चूका है । और अब हम यशायाह के शब्दों को नूतन अर्थ में सुनते हैं : “जो लोग अंधियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा,” यशायाह कहता है । “जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी” (पद.2) ।
चाहे रात जितनी भी अँधेरी हो, चाहे हमारी स्थिति जितनी भी निराशाजनक हो, हम अंधकार में छोड़े नहीं जाएंगे । यीशु यहाँ है । एक महान ज्योति चमकती है ।
विरोध के सामने परमेश्वर पर भरोसा
एस्तर की परवरिश फिलिपीन्स में एक जनजाति में हुई जो मसीह में विश्वास के विरुद्ध था । उसने जीवन-घातक बीमारी से अपनी लड़ाई के दौरान एक चाची की प्रार्थना के बाद यीशु के द्वारा उद्धार को स्वीकार किया । आज हिंसा और यहाँ तक कि मृत्यु के जोखिम के बावजूद एस्तेर अपने स्थानीय समुदाए में बाइबल अध्ययन में अगुवाई करती है । वह यह कहते हुए आनंदित सेवा करती है, “मैं यीशु के विषय लोगों को बताना छोड़ नहीं सकती हूँ क्योंकि मैंने अपने जीवन में परमेश्वर की सामर्थ्य, प्रेम, भलाई, और विश्वासयोग्यता का अनुभव किया है ।”
विरोध की सूरत में ईश्वर की सेवा करना आज भी कई लोगों के लिए एक वास्तविकता है, जैसा कि बेबीलोन की कैद में रहनेवाले तीन युवा इस्राएली, शद्रक, मेशक, अबेदनगो के लिए था । दानिय्येल की पुस्तक में, हम सीखते हैं कि उन्होंने आसन्न मृत्यु के सामने भी राजा नबूकदनेस्सर की एक बड़ी सोने के मूरत के सामने प्रार्थना करने से इनकार कर दिया । पुरुषों ने गवाही दी कि परमेश्वर उनको बचाने में सक्षम था, लेकिन “यदि नहीं” भी बचाता है तो भी उन्होंने उसकी सेवा करने का चुनाव किया था (दानिय्येल 3:18) । जब उन्हें आग में फेंक दिया गया, परमेश्वर वास्तव में उनकी पीड़ा में उनके साथ शामिल हुआ (पद.25) । सभी के विस्मय में, वे बच गए और उनके “सिर का एक बाल भी न झुलसा” (पद.27) ।
यदि हम विश्वास के कार्य के कारण दुःख या सताव का सामना करते हैं, प्राचीन और वर्तमान उदाहरण हमें याद दिलाते हैं कि जब हम उसकी आज्ञा मानने का चुनाव करते हैं, परमेश्वर का आत्मा हमें सामर्थ्य देने और हमें थामने के लिए उपस्थित है “भले ही” चीजें हमारी उम्मीद से अलग हों ।
बद को बदतर करना
रेडियो के स्वर्ण युग के दौरान, फ्रेड ऐलन (1894-1956) ने हास्यप्रद निराशा का उपयोग आर्थिक मंदी के साए में रहनेवाली पीढ़ी और युद्ध में संलग्न संसार में मुस्कराहट लाने के लिए किया । उनके हास्यभाव व्यक्तिगत दर्द से जन्मा था । तीन साल का होने से पहले अपनी माँ को खोने के बाद, उन्हें अपने पिता से अलग कर दिया गया जो नशे की लत से संघर्ष कर रहे थे । उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी के एक व्यस्त सड़क से एक किशोर लड़के को एक यादगार के साथ बचाया, “ऐ लड़के तुम्हारे साथ क्या बात है? क्या तुम बड़े नहीं होना चाहते हो और परेशान होना नहीं चाहते हो?
अय्यूब का जीवन ऐसे परेशान यथार्थ में खुलता है । जब उसके विश्वास का आरंभिक प्रगटीकरण अंततः निराशा के सामने हार मान लेता है, उसके मित्रों ने उसके दर्द को बदतर करके उसे गुणित किया । अच्छे लगनेवाले तर्कों के साथ उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि वह अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है (4:7-8) और ईश्वर के सुधार से सीख सकता है, तो वह अपनी समस्याओं के सामने हँसने की शक्ति पाएगा (5:22) ।
अय्यूब के “दिलासा देनेवाले” भलाई चाहते थे जबकि इतने गलत थे (1:6-12) । वे कभी भी कल्पना नहीं कर सकते थे कि एक दिन वे “ऐसे मित्रों के साथ, किसे दुश्मन की ज़रूरत हो सकती है? के उदाहरण के रूप में उपयोग किए जाएंगे । कभी भी उन्होंने अपके लिए अय्यूब की राहत की प्रार्थना की कल्पना नहीं की होगी, या फिर उन्हें प्रार्थना की ज़रूरत किसी भी तरह से क्यों होगी (42:7-9) । कभी भी उन्होंने कल्पना नहीं की होगी कि किस तरह वे उसका जिसने हमारे महानतम आनंद का श्रोत बनने के लिए अत्यधिक गलतफहमियों को झेला के आरोपियों का पूर्वाभास दे रहे थे ।
दृढ़ विश्वास
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रेम प्रधाम (1924-1998) के विमान को मार गिराए जाने के बाद, सुरक्षा के लिए पैराशूट से उतरते समय वह घायल हो गया । परिणामस्वरूप, वह जीवन भर लंगड़ाकर चला । उसने एक बार ध्यान दिया, “मैं लंगड़ा हूँ । क्या यह परमेश्वर के लिए विचित्र नहीं कि उसने [मुझे] हिमालय के पहाड़ों में सुसमाचार प्रचार करने के लिए बुलाया?” और उसने नेपाल में ज़रूर प्रचार किया──लेकिन बिना विरोध के नहीं जिसमें “मौत की काल कोठरी” में कैद शामिल था जहाँ कैदी कठोर स्थितियों का सामना करते थे । पंद्रह वर्षों के अंतराल में, प्रेम चौदह अलग-अलग जेलों में दस साल बिताए । उसकी दृढ़ गवाही, हालाँकि, मसीह के लिए बदले जीवन के रूप में फल उत्पन्न किये जिसमें सुरक्षाकर्मी और कैदी सम्मिलित थे जिन्होंने यीशु के सन्देश को अपने लोगों तक पहुँचाए ।
प्रेरित पतरस को यीशु में अपने विश्वास के कारण और परमेश्वर द्वारा एक “दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गयी” (प्रेरितों 4:9) में उपयोग किये जाने के कारण विरोध सहना पड़ा । लेकिन उसने उस सुअवसर का उपयोग मसीह के लिए दृढ़ता से बोलने के लिए किया (पद.8-13) ।
आज, पतरस की तरह, हम भी विरोध का सामना कर सकते हैं (पद.10-11), फिर भी हमारे पास परिजन, सहयोगी, साथी विद्यार्थी, और दूसरे हैं जिनको हम जानते हैं जिन्हें उस व्यक्ति के विषय जानना अविलम्ब ज़रूरी है जिसमें “उद्धार [मिलता है] (पद.12), जो हमारे पापों की कीमत के रूप में मृत्यु सही और क्षमा देने की उसकी सामर्थ्य के साबुत के रूप में मृतकों में से जी उठा (पद.10) । वे सुनेंगे जब हम प्रार्थनापूर्वक और दृढ़ता से उद्धार के सुसमाचार की घोषणा करते हैं जो यीशु में पाया जाता है ।