Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by डेव ब्रेनन

पाप से दूर भागो

इस गर्मी में दो बार मुझे गाजर घास का प्रकोप झेलना पड़ा, दोनों बार ऐसा हुआ, मैं अपने यार्ड से अवांछित पौधों की वृद्धि को दूर करने का काम कर रहा था। और दोनों बार, मैंने पास में दुबके हुए, गन्दे, सफेद फूल वाले, दुश्‍मन को देखा। मुझे लगा कि इसके बिना मुझे प्रभावित किए मैं इसके करीब जा सकता हूं। जल्द ही, मुझे एहसास हुआ कि मैं गलत था। अपनी छोटी हरी बर्बादी के करीब जाने के बजाय, मुझे दूसरी तरफ दौड़ना चाहिए था!

पुराने नियम की कहानी में, हम देखते हैं जब युसुफ किस प्रकार जहरीली आईवी (वृक्ष लता) से भी बदतर चीज़ अर्थात पाप से किस प्रकार दूर भागा था। वह मिस्र के अधिकारी पोतीपर के घर में रह रहा था, जिसकी पत्नी ने उसे बहकाने की कोशिश की, यूसुफ ने उसके करीब जाने की कोशिश नहीं की - वह भाग गया।

हालाँकि उसने उस पर झूठा आरोप लगाया और उसे जेल में डाल दिया, पूरे प्रकरण में युसुफ शुद्ध रहा। और जैसा कि हम उत्पत्ति 39:21 में देखते हैं, "यहोवा उसके साथ था।"

परमेश्वर हमें उन गतिविधियों और परिस्थितियों से भागने में मदद कर सकता है जो हमें उससे दूर ले जा सकती हैं — जब पाप निकट हो तो दूसरे रास्ते पर चलने के लिए हमारा मार्गदर्शन करता है। 2 तीमुथियुस 2:22 में, पौलुस लिखता है, "बुरी अभिलाषाओं से दूर भागो।" और 1 कुरिन्थियों 6:18 में वह कहता है कि "व्यभिचार से दूर भागो।"

परमेश्वर की शक्ति में, हम उन चीजों से भागना चुने जो हमें नुकसान पहुंचा सकती हैं।

सूर्यमुखी की लड़ाई

हमारे पड़ोस की गायें (मेरे दोस्त)और मेरी,  फूलों के पौधों के बारे में दो अलग–अलग राय है। जब मैं हर गर्मियों में फूलों के पौधे लगाता हूँ, मैं उनके खिलने की सुंदरता की प्रतीक्षा करता हूं। मेरे गाय मित्र, हालांकि तैयार उत्पाद की परवाह नहीं करते हैं, वे केवल तनों और पत्तियों को तब तक चबाना चाहते हैं जब तक कि कुछ न बचे। यह एक वार्षिक ग्रीष्मकालीन युद्ध है, क्योंकि इससे पहले कि मेरे चार खुर वाले पड़ोसी उन फूलों को खा लें, मैं उन फूलों को उनकी सम्पूर्णता तक देखना चाहता हूं । कभी–कभी मैं जीत जाता हूं, कभी–कभी वे जीत जाते हैं।

जब हम यीशु में विश्वासियों के रूप में अपने जीवन के बारे में सोचते हैं, तो हमारे और हमारे शत्रु शैतान के बीच इसी तरह की लड़ाई को देखना आसान हो जाता है। हमारा लक्ष्य निरंतर विकास है जो आध्यात्मिक परिपक्वता की ओर ले जाता है जो हमारे जीवन को परमेश्वर के सम्मान के लिए खड़ा करने में मदद करता है। शैतान हमारे विश्वास को निगल जाना चाहता है और हमें बढ़ने से रोकना चाहता है। परन्तु यीशु का “हर एक सामर्थ” पर प्रभुत्व है और वह हमें “पूर्णता” तक पहुंचा सकता है (कुलुस्सियों 2:10) जिसका अर्थ है कि वह हमें पूर्ण बनाता है। क्रूस पर मसीह की जीत हमें उन खूबसूरत फूलों की तरह दुनिया में सबसे अलग दिखाई देने की अनुमति देती है।

जब यीशु ने “हमारे खिलाफ आरोपों का रिकॉर्ड” (मारे पापों के लिए दंड)को सूली पर चढ़ा दिया (पद 14) तो उसने हमें नियंत्रित करने वाली शक्तियों को नष्ट कर दिया। हम उसमें जड़ पकड़ते गये और दृढ़ होते गये (पद 7) और मसीह के साथ जीवित हुये (पद 13)। उसमें हमारे पास शत्रु के आत्मिक आक्रमणों का विरोध करने और यीशु में फलने–फूलने की शक्ति (पद 10) है—सच्ची सुंदरता का जीवन प्रदर्शित करना।

 

अन्य सात और

जनवरी 2020 में लॉस एंजिल्स के पास त्रासदी हुई जब एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में नौ लोगों की मौत हो गई। अधिकांश समाचार कुछ इस तरह से शुरू हुए, "बास्केटबॉल सुपरस्टार कोबे ब्रायंट, उनकी बेटी जियाना ("गीगी"), और सात अन्य लोगों ने दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी।"

इस तरह की भयानक स्थिति में शामिल जाने-माने लोगों पर ध्यान केंद्रित करना स्वाभाविक और समझ में आता है─और कोबे और उनकी अनमोल बेटी गीगी की मौत विवरण से परे दिल तोड़ने वाली है। लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जीवन की बड़ी तस्वीर में कोई विभाजन रेखा नहीं है जो "सात अन्य" (पायटन, सारा, क्रिस्टीना, एलिसा, जॉन, केरी और आरा) को कम महत्वपूर्ण बनाती है।

कभी-कभी हमें यह याद दिलाने की आवश्यकता होती है कि प्रत्येक मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में महत्वपूर्ण है। समाज अमीरों और मशहूरों पर तेज रोशनी बिखेरता है। फिर भी प्रसिद्धि किसी व्यक्ति को आपके सबसे निकट पड़ोसी, शोरगुल वाले बच्चे जो आपकी गली में खेलते हैं, शहर के मिशन पर व्यक्ति, या आप से अधिक महत्वपूर्ण नहीं बनाती हैं। 

पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है (उत्पत्ति 1:27), चाहे वह अमीर हो या गरीब (नीतिवचन 22:2)। उसकी दृष्टि में किसी पर दूसरे से अधिक अनुग्रह नहीं होता (रोमियों 2:11), और प्रत्येक को एक उद्धारकर्ता की आवश्यकता है (3:23)।

हम अपने महान परमेश्वर की महिमा तब करते हैं जब हम पक्षपात दिखाने से इन्कार करते हैं—चाहे कलीसिया में (याकूब 2:1-4) या बड़े पैमाने पर समाज में।

धुला हुआ

हरीश  ने अपने परिचित देव को "बहुत लंबे समय से प्रभु से बहुत दूर" के रूप में वर्णित किया। लेकिन एक दिन, जब हरीश ने देव से मुलाकात की और उसे समझाया कि कैसे परमेश्वर के प्रेम ने हमें बचाने का मार्ग प्रदान किया है, देव यीशु में विश्वास करने वाला बन गया। आँसुओं के द्वारा, उसने अपने पाप से पश्चाताप किया और अपना जीवन मसीह को दे दिया। बाद में हरीश ने देव से पूछा कि उसे कैसा लगा। आँसू पोछते हुए उसने सरलता से उत्तर दिया, "धुला हुआ।"

कितनी अद्भुत प्रतिक्रिया है! ठीक यही उद्धार का सार है जो क्रूस पर हमारे लिए यीशु के बलिदान में विश्वास के द्वारा संभव हुआ है। 1 कुरिन्थियों 6 में, जब पौलुस उदाहरण देता है कि कैसे परमेश्वर के विरुद्ध अवज्ञा करने से वह उससे अलग हो जाता है, तो वह कहता है, "तुम में से कितने ऐसे थे।परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे" (पद 11)। "धुला हुआ," "शुद्ध किया हुआ," "धर्मी" - ऐसे शब्द जो विश्वासियों को क्षमा किए जाने और उसके साथ सही किए जाने की ओर इशारा करते हैं।

तीतुस 3:4-5 हमें इस चमत्कारी चीज़ के बारे में अधिक बताता है जिसे उद्धार कहा जाता है। "हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा . . . प्रगट [हुयी], तो उसने हमारा उद्धार किया; और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार नए जन्म के स्नान . . . द्वारा हुआ l" हमारा पाप हमें परमेश्वर से दूर रखता है, परन्तु यीशु में विश्वास करने से पाप का दंड धुल जाता है। हम नई सृष्टि बन जाते हैं (2 कुरिन्थियों 5:17), अपने स्वर्गीय पिता तक पहुंच प्राप्त करते हैं (इफिसियों 2:18), और शुद्ध किए जाते हैं (1 यूहन्ना 1:7)। वह अकेला वह प्रदान करता है जिससे हमें धोये जाने की आवश्यकता होती है।

परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि

एक साधारण ग्रीष्मकालीन प्रकृति की सैर के रूप में जो कुछ शुरू हुआ वह हम दोनों पति-पत्नी के लिए कुछ विशेष बन गया जब हम अपने गृह नगर की नदी के किनारे लम्बी दूरी तक पैदल चले । हमने छोटी-छोटी लहरों में एक लम्बे लट्ठे पर कुछ परिचित “मित्र” देखे──पांच या छः  बड़े कछुए जो धूप सेंक रहे थे । हम दोनों इन रेंगनेवाले जंतुओं के अद्भुत दृश्य देखकर मुस्कुराए, जिन्हें हम कई महीनों से नहीं देखे थे । हम खुश थे कि हम लौटे थे, और हम परमेश्वर की भव्य सृष्टि में आनंद के एक क्षण का उत्सव मना पाए । 

परमेश्वर ने अय्यूब को एक बढ़िया प्रकृति सैर पर ले गया (अय्यूब 38 देखें । उस परेशान व्यक्ति को अपनी स्थिति के सम्बन्ध में परमेश्वर से एक उत्तर चाहिए था (पद.1) । और उसने परमेश्वर की सृष्टि के द्वारा उसके साथ अपनी यात्रा पर जो कुछ देखा उससे उसकी ज़रूरत के अनुसार प्रोत्साहन मिल गया । 

अय्यूब के आश्चर्य की कल्पना कीजिये जब परमेश्वर ने उसे अपने संसार की शानदार अभिकल्पना की याद दिलायी । अय्यूब को प्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक संसार का विवरण मिला : “उसकी नींव कौन सी वस्तु पर रखी गयी──जब कि भोर के तारे एक संग आनंद से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?” उसे परमेश्वर द्वारा समुद्रों की सीमाएँ निर्धारित करने के बारे में एक भूगोल पाठ मिला (पद.11) । 

सृष्टिकर्ता ने अय्यूब को निरंतर उसके द्वारा बनाया गया प्रकाश, हिम जो वह बनाता है, और वह वर्षा जिसका प्रबंध वह चीजों के उगने और बढ़ने के लिए करता है की सूचना दी (पद.19-28) । अय्यूब ने नक्षत्रों के विषय भी सुना जिसने उन्हें अन्तरिक्ष में छितराया था (पद.31-32) । 

अंततः, अय्यूब ने प्रत्युत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है” (42:2) । जब हम प्राकृतिक संसार का अनुभव करते हैं हम अपने बुद्धिमान और अद्भुत सृष्टिकर्ता के आदर में खड़े हों । 

वर्तमान लड़ाई

जब आप बिजली के अपने उपकरणों को प्लग करते हैं, तो आपको गत उन्नीसवीं शताब्दी के एक कड़वे लड़ाई के परिणाम से लाभ होता है l उस समय, आविष्कारक थॉमस एडिसन और निकोला टेस्ला ने संघर्ष किया कि विकास के लिए किस प्रकार की बिजली सर्वोत्तम थी : एकदिश धारा/डायरेक्ट करंट(DC), उस तरह का करंट जो एक बैटरी से एक टोर्च में जाती है; या प्रत्यावर्ती धारा/अल्टरनेटिव करंट(AC), जो हमें एक बिजली आउटलेट से मिलती है l 

आखिरकार, टेस्ला का AC विचार प्रभावी हुआ और घरों, व्यवसायों, और संसार में चारों ओर बिजली देने के लिए उपयोग होता आया है l AC लम्बी दूरी तक बिजली संचारित करने में अधिक सफल है और एक बुद्धिमान चुनाव साबित हुआ l 

कभी-कभी हमें बुद्धि की ज़रूरत होती है जब हम यीशु में विश्वासियों के बीच चिंता के मुद्दों का सामना करते हैं (रोमियों 14:1-12 देखें) l प्रेरित पौलुस ने हमें ऐसे मामलों में स्पष्टता के लिए ईश्वर की मदद लेने का आह्वान किया l उसने कहा, “यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा” (फिलिप्पियों 3:15) l कुछ पदों के बाद, हम दो लोगों के परिणाम को देखते हैं जिन्होंने एक मतान्तर द्वारा अपने बीच फूट पड़ने दिया──एक झगड़ा जिसने पौलुस को दुखित किया : “मैं यूओदिया को भी समझाता हूँ और सुन्तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें” (4:2) l 

जब भी कोई अंतर हमें अलग करना शुरू करता है, हम पवित्रशास्त्र में परमेश्वर का अनुग्रह और बुद्धि, परिपक्व विश्वासियों की सलाह, और प्रार्थना की सामर्थ्य को खोजें l आइये हम उसमें “एक मन [रहने] का यत्न करें (पद.2) l 

बनने का समय

यह हमारे घर के भीतरी भाग को एक तरोताजा, नया रूप देने का समय था l लेकिन जैसे ही मैंने पेंटिंग के लिए एक कमरा तैयार करना आरम्भ किया, हमारे राज्य सरकार ने घोषणा की, कि कोविड-19 महामारी के कारण घर सुधार की कई वस्तुओं की बिक्री रोक लगा देगी l जैसे ही मैं यह घोषणा सुना, मैं शीघ्रता से दूकान जाकर आवश्यक सामग्री खरीद ले आया l आप उचित आपूर्ति के बगैर अपने घर को नया रूप नहीं दे सकते हैं l 

इफिसियों 4 लिखते समय पौलुस के मस्तिष्क में भी नया रूप देने की कुछ योजना थी l लेकिन बदलाव जिसकी बात वह कर रहा था सतही तबदीली से बहुत दूर थी l यद्यपि यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण करना हमें नई सृष्टि बना देता है, के बावजूद कुछ निरंतर चलने वाले काम हैं जो पवित्र आत्मा को करना अनिवार्य है l और “सत्य की धार्मिकता और पवित्रता” (इफिसियों 4:24) प्राप्त करने में उसे समय लगता है और उसे काम करना पड़ता है l 

पवित्र आत्मा की उपस्थिति अन्दर आवश्यक बदलाव करता है जो हमें हमारे शब्दों और कार्यों में यीशु को प्रतिबिंबित करने में मदद कर सकता है l वह झूठ के स्थान पर “सच” (पद.25) बोलने में हमारी मदद करता है l वह क्रोध से सम्बंधित पाप से बचने में मदद करता है (पद.26) l और वह ऐसे शब्द बोलने में अगुवाई करता है जो “उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो” (पद.29) l आत्मा द्वारा नियंत्रित ये क्रियाएं आंतरिक बदलाव के हिस्से हैं जो कृपा, करुणा, और क्षमा जैसी चीजों में प्रगट होती हैं (पद.32) l आत्मा हमारे अन्दर काम करके हमें स्वयं यीशु का अनुकरण करने और हमारे स्वर्गिक पिता के हृदय को प्रतिबिंबित करने में योग्य बनाता है (पद.24; 5:1) l 

चेतावनियों पर ध्यान देना

मेरे किसी दूसरे देश में छुट्टी पर होने के समय, जब एक जेबकतरे ने मेरा बटुआ चुराने की कोशिश की, तो यह आश्चर्य नहीं था l मैंने भूमिगत मार्ग चोरों के खतरे के विषय चेतावनी पढीं थी, इसलिए मुझे पता था कि अपने बटुए की सुरक्षा के लिए मुझे क्या करना चाहिए l लेकिन कभी ऐसा होगा इसकी मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी l 

सौभाग्य से, मेरे बटुए को हथियाने वाले युवक के पास फिसलन भरी ऊँगलियाँ थीं, इसलिए बटुआ धरती पर गिरा जहाँ से मैं उसे उठा सकता था l लेकिन इस घटना ने मुझे याद दिलाई कि मुझे उन चेतावनियों पर ध्यान देना चाहिए था l 

हम चेतावनियों पर ध्यान देना पसन्द नहीं करते क्योंकि हमें लगता है कि वे जीवन का आनंद लेने के तरीके में खलल डालेंगे, लेकिन उन पर ध्यान देना अनिवार्य है l उदाहरण के तौर पर, यीशु ने अपने शिष्यों को परमेश्वर के आनेवाले राज्य की घोषणा करने के लिए भेजते समय उनको स्पष्ट चेतावनी दी (मत्ती 10:7) l उसने कहा, “जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामना मान लूँगा l पर जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेंगे, उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने इनकार करूँगा” (पद.32-33) l 

हमारे पास एक चुनाव है l, परमेश्वर ने प्रेम में होकर, हमारे लिए अनंत तक उसकी उपस्थिति में रहने के लिए एक उद्धारकर्ता और एक योजना का प्रबंध किया l लेकिन अगर हम परमेश्वर से दूर हो जाते हैं और उद्धार का उसका सन्देश और वास्तविक जीवन जो वह वर्तमान और अनंत के लिए देना चाहता है, उसको अस्वीकार करने का विकल्प चुनते हैं, तो हम उसके साथ रहने का अवसर खो देते हैं l 

हम यीशु पर भरोसा करें, जिसने हमें उससे अनंत काल तक अलग होने से बचाया जो हमसे प्यार करता है और हमें बनाया है l 

अवरुद्ध प्रार्थनाएँ

14 सालों तक, मार्स रोवर ऑपॉर्चुनिटी (Mars Rover Opportunity) ने नासा(NASA) के जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (jet Propulsion Laboratory) में लोगों के साथ विश्वासयोग्यता से संवाद किया । 2004 में उतरने के बाद, वह मंगल की सतह पर 28 मील चला, हजारों तस्वीरें खींची, और अनेक सामग्रियों का विश्लेषण किया । लेकिन 2018 में, ऑपॉर्चुनिटी (Opportunity) और वैज्ञानिकों के बीच संवाद समाप्त हो गया जब धूल की एक बड़ी आंधी ने उसके सोलर पैनल को ढक दिया जिसकी वजह से रोवर ने अपनी शक्ति खो दी ।

क्या यह सम्भव है कि हम अपनी दुनिया से बाहर किसी के साथ संवाद को अवरुद्ध करने के लिए “धूल” को अनुमति दे सकते हैं? जब प्रार्थना की बात आती हैं──परमेश्वर के साथ संवाद करने में──कुछ चीजें हैं जो रास्ते में आ सकती हैं ।

पवित्रशास्त्र कहता है कि पाप परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को अवरुद्ध कर सकता है । “यदि मैं मन में अनर्थ की बात सोचता, तो प्रभु मेरी न सुनता” (भजन 66:18) l यीशु निर्देश देता है, “और जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो तो यदि तुम्हारे मन में किसी के प्रति कुछ विरोध हो, तो क्षमा करो : इसलिये कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करें” (मरकुस 11:25) । प्रभु के साथ हमारा संवाद संदेह और रिश्ते की समस्याओं के द्वारा भी बाधित हो सकता है (याकूब 1:5-7;1 पतरस 3:7) l 

ऑपॉर्चुनिटी (Opportunity) के संवाद की रुकावट स्थायी हो सकती है । पर हमारी प्रार्थनाओं को अवरुद्ध नहीं होनी चाहिए । पवित्र आत्मा के काम के द्वारा, परमेश्वर हमें उसके साथ पुनर्स्थापित संवाद के लिए प्यार से अपनी ओर खींचता है । जब हम अपने पापों का अंगीकार करते हैं और उसकी ओर मुड़ते हैं, प्रभु के अनुग्रह के द्वारा हम सबसे बड़े संवाद का अनुभव करते हैं जो कायनात ने कभी जाना है : एक एक के साथ हमारे और पवित्र परमेश्वर के बीच प्रार्थना l