प्रचार करना या हल जोतना
परिवार की दंतकथा के अनुसार, दो भाई, एक का नाम बिली और दूसरा मेल्विन एक दिन परिवार के डेयरी फार्म में खड़े थे, जब उन्होंने एक हवाई जहाज को कुछ धूम्र लेख(sky writing) करते देखा । लड़कों ने देखा कि विमान ने ऊपर “GP” अक्षर लिख दिया l
दोनों भाइयों ने फैसला किया कि उन्होंने जो देखा, वह उनके लिए मायने रखता था । एक ने सोचा कि इसका मतलब है “(जाओ प्रचार करो Go Preach l” दूसरे ने इसे “जाओ हल चलाओ Go Plow” पढ़ा l बाद में, लड़कों में से एक बिली ग्राहम ने सुसमाचार प्रचार के लिए खुद को समर्पित किया, जो सुसमाचार प्रचार का प्रतीक बन गया । उनके भाई मेल्विन ने कई वर्षों तक परिवार के डेयरी फार्म को ईमानदारी से चलाया ।
स्काई राइटिंग एक ओर संकेत करता है, अगर परमेश्वर ने बिली को उपदेश देने के लिए बुलाया और मेल्विन को हल चलाने के लिए, जैसी कि स्थिति लगती है, वे दोनों ने अपने कार्यों के द्वारा परमेश्वर को सम्मानित किया । जबकि बिली का लंबे समय तक प्रचार रहा, उनकी सफलता का मतलब यह नहीं है कि उनके भाई को हल चलाने के लिए बुलाने की आज्ञा का पालन करना कम महत्वपूर्ण था ।
जब कि परमेश्वर कुछ को उस सेवा में बुलाता है जिसे हम पूर्ण-कालिक सेवा (इफिसियों 4:11-12) कहते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य नौकरियों और भूमिकाओं में जो हैं वह महत्वपूर्ण नहीं कर रहे हैं l दोनों ही मामलों में, जैसा कि पौलुस ने कहा, “हर एक अंग के ठीक-ठीक कार्य करने” की ज़रूरत है” (पद.16) l इसका मतलब है कि यीशु द्वारा हमें दिए गए उपहारों का ईमानदारी से उपयोग करके उसका सम्मान करना l जब हम ऐसा करते हैं, चाहे हम "प्रचार करते हैं" या "हल चलाते हैं,” तो हम यीशु के लिए जहाँ हम सेवा करते हैं या काम करते हैं, वहाँ परिवर्तन ला सकते हैं ।
अभी, फिर अगला
मैं हाल ही में एक कॉलेज के दीक्षान्त में भाग लिया, जिसके दौरान वक्ता ने अपनी स्नातक डिग्री की प्रतीक्षा कर रहे युवा वयस्कों के लिए एक आवश्यक चुनौती प्रदान की l उन्होंने उल्लेख किया कि यह उनके जीवन का एक समय है जब हर कोई उनसे पूछ रहा है, “आगे क्या है?” वे आगे किस कैरियर/जीविका का पीछा करेंगे? वे आगे पढ़ाई कहाँ करेंगे या भविष्य में काम कहाँ करेंगे? तब उन्होंने कहा कि अधिक महत्वपूर्ण सवाल यह था कि वे अभी क्या कर रहे थे?
अपनी विश्वास यात्रा के संदर्भ में, वे कौन से दैनिक निर्णय ले रहे होंगे जो उन्हें यीशु के लिए जीने के लिए मार्गदर्शन करेंगे और खुद के लिए नहीं?
उनके शब्दों ने मुझे नीतिवचन की किताब की याद दिला दी, जो बताती है कि अब कैसे जीना है l उदाहरण के लिए : वर्तमान में, ईमानदारी का अभ्यास(11:1); वर्तमान में, सही मित्रों का चयन (12:26); वर्तमान में, ईमानदारी से जीना(13:6); वर्तमान में, अच्छा निर्णय लेना(13:15); वर्तमान में, समझदारी से बोलना(14: 3) l
वर्तमान में परमेश्वर के लिए पवित्र आत्मा की अगुवाई में जीना, आगे के लिए निर्णय लेना सरल बना देता है l “बुद्धि यहोवा ही देता है; . . . वह सीधे लोगों के लिए खरी बुद्धि रख छोड़ता है . . . जो खराई से चलते हैं, उनके लिए वह ढाल ठहरता है . . . और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है” (2:6-8) l परमेश्वर वर्तमान में उसके दिशानिर्देशों के अनुकूल जीवन जीने के लिए हमारे ज़रूरतों का प्रबंध करे, और आगे उसके आदर के लिए क्या है में हमारा मार्गदर्शन करें l
स्व-जांच
हाल ही में मैंने द्वितीय विश्व-युद्ध के पत्रों के ढेर में से पढ़ा, जो मेरे पिताजी ने मेरी माँ को भेजे थे l वह उत्तरी अफ्रीका में थे और वह अमेरिका में थी l पिताजी, जो अमेरिकी सेना में सेकेण्ड लेफ्टिनेंट थे, को सैनिकों की चिट्ठियों को जांचने का काम सौंपा गया था - दुश्मन की आँखों से संवेदनशील जानकारी गुप्त रखते हुए l इसलिए यह देखना मज़ेदार था - अपनी पत्नी को लिखे पत्रों के बाहर - एक मोहर लगा होता था जिसमें लिखा होता था, “2nd लेफ्टिनेंट जॉन ब्रैन (मेरे पिता का नाम) द्वारा सेंसर/निरीक्षण किया हुआ l” वास्तव में, उन्होंने अपने पत्रों से लाइनें काट दी थीं!
स्व-जाँच(Self-censoring) वास्तव में हम सभी के लिए एक अच्छा विचार है l पवित्रशास्त्र में कई बार, लेखक यह जानने के लिए कि क्या सही नहीं है, जिससे परमेश्वर को सम्मान नहीं मिल रहा है, खुद पर एक अच्छा नज़र रखने के महत्व का उल्लेख करता है l उदाहरण के लिए, भजनकार ने प्रार्थना की, “मुझे जांच कर जान ले . . . और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं” (भजन :23-24) l देखें कि क्या मुझमें कोई अपमानजनक मार्ग है ”(भजन 139:23–24) l यिर्मयाह ने इसे इस तरह लिखा : “हम अपने चालचलन को ध्यान से परखें, और यहोवा की ओर फिरें” (विलापगीत 3:23) l और पौलुस ने प्रभु भोज के समय हमारे हृदयों की स्थिति के विषय लिखते हुए, कहा, “मनुष्य अपने आप को जांच ले” (1 कुरिन्थियों 11:28) l
पवित्र आत्मा हमें किसी भी दृष्टिकोण या कार्यों से फिरने में मदद कर सकता है जो परमेश्वर को खुश नहीं करते हैं l इससे पहले कि हम आज दुनिया में प्रवेश करें, आइये हम रुकें और स्व-जाँच करने के लिए आत्मा की मदद प्राप्त करें ताकि हम उसके साथ संगति में “प्रभु के पास लौट सकें l”
जब वैभव चला जाए
मैं उस वैभव को फिर से प्राप्त नहीं कर सकता जो हमारी बेटी मेल्लिसा थी l मेरी स्मरण से लुप्त होता वह अद्भुत समय हैं जब हमने उसे ख़ुशी से हाई स्कूल वॉलीबॉल खेलते देखा था l और कभी-कभी संतुष्टता की संकोची मुस्कराहट जो उसके चेहरे पर होती थी जब हम पारिवारिक गतिविधियाँ करते थे को कभी-कभी स्मरण करना कठिन है l सत्रह साल की उम्र में उसकी मृत्यु ने उसकी उपस्थिति की ख़ुशी पर एक पर्दा डाल दिया l
विलापगीत की किताब में, यिर्मयाह के शब्द दर्शाते हैं कि उसने समझ लिया था कि हृदय भी बेधा जा सकता है l “मेरा सुख समाप्त हो गया,” वह कहता है, “ मेरी आशा, जो प्रभु से मैंने की थी, उसका अंत हो गया” (3:18 हिंदी - CL) l उसकी परिस्थिति हमलोगों से बहुत भिन्न थी l उसने परमेश्वर के न्याय का प्रचार किया था, और उसने यरूशलेम को पराजित देखा l वह भव्यता चली गयी थी क्योंकि उसने पराजय (पद.12), अकेला (पद.14), और परमेश्वर द्वारा परित्यक्त महसूस किया (पद.15-20) l
परन्तु उसकी कहानी का अंत यह नहीं है l उसमें से प्रकाश चमक रहा था l यिर्मयाह, जो बोझिल और टूटा हुआ था, हकलाते हुए बोल उठा “मुझे आशा है” (पद.21) – आशा जो यह जानने से आती है कि “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महकरुणा का फल है” (पद.22) l और यहाँ पर एक बात है जो हमें याद रखना है कि जब वैभव समाप्त हो जाए : “उसकी दया अमर है l प्रति भोर वह नई होती रहती है” (पद.22-23) l
हमारे सबसे अंधकारमय दिनों में भी, परमेश्वर की महान विश्वासयोग्यता उसमें से चमकती है l
पुनर्निर्माण
यह रात का समय था जब अगुआ घोड़े पर सवार होकर काम का निरीक्षण करने निकल पड़ा जो उसके आगे धरा था l जब वह अपने चारों ओर विनाश का दौरा कर रहा था, तो उसने देखा कि शहर की दीवारें नष्ट हो गयीं थीं और फाटक जो जले हुए थे l कुछ क्षेत्रों में, बहुत अधिक मलबे के ढेर उसके घोड़े को आगे बढ़ने में मुश्किल कर दिए l दुखी होकर, घुड़सवार घर की ओर मुड़ गया l
जब शहर के अधिकारीयों से हानि बताने का समय आया, वह इस तरह बताना आरम्भ किया, “तुम आप देखते हो कि हम कैसी दुर्दशा में हैं” (नहेम्याह 2:17) l उसने बताया कि नगर खंडहर हो गया था, और नगर को सुरक्षित रखने वाले नगर की दीवारें बेकार हो गयीं थीं l
परन्तु उसने एक कथन कहा जिससे परेशान नागरिक उत्साहित हो गए : फिर मैंने उनको बतलाया, कि मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझे पर कैसे हुई l” तुरन्त, लोगों ने उत्तर दिया, “आओ हम कमर बांधकर बनाने लगें” (पद.18) l
बोलने में असमर्थ व्यक्ति
वरिष्ठ नागरिक भवन में, एक व्यक्ति आनंद से हाई स्कूल किशोर समूह को यीशु के विषय गाते हुए सुन रहा था। बाद में, जब कुछ किशोर उसके साथ संवाद करने की कोशिश किये, उन्होंने पाया कि वह बोलने में असमर्थ था। आघात ने उसके बोलने की योग्यता छीन लिया था।
क्योंकि वे उस व्यक्ति से संवाद नहीं कर सकते थे, किशोरों ने उसके लिए गाने का निर्णय किया। जब वे गाना शुरू किये, कुछ आश्चर्जनक हुआ। व्यक्ति जो बोल नहीं सकता था गाने लगा। उत्साह के साथ, वह ज़ोर से अपने नए मित्रों के साथ “प्रभु महान” गाने लगा।
यह क्षण सभी के लिए अद्भुत था। परमेश्वर के लिए उस व्यक्ति का प्रेम रुकावटों को तोड़ कर श्रव्य आराधना(audible worship) – हृदय को छू लेनेवाली, आनंदित आराधना - में व्यक्त हुआ।
हम सब के पास समय-समय पर आराधना में रुकावटें होती हैं। शायद एक सम्बन्ध संघर्ष या धन की समस्या अथवा यह एक हृदय हो सकता है जो परमेश्वर के साथ अपने सम्बन्ध में थोड़ा ठंडा हो गया है।
हमारा बोलने में असमर्थ मित्र हमें स्मरण दिलाता है कि हमारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर किसी भी बाधा को दूर कर सकता है। “प्रभु महान – विचारुं कार्य तेरे, कितने अद्भुत जो तूने बनाए!”
क्या आप अपनी आराधना में संघर्ष कर रहे हैं? भजन 96 जैसे एक अंश को पढ़कर हमारा परमेश्वर कितना महान है पर चिंतन करें, और आप भी अपनी बाधाओं और आपत्तियों को प्रशंसा में बदला हुआ पाएंगे।
परमेश्वर को ढूँढ़ना
जबकि यह ईमानदारी से कुछ सांसारिक मूल्य की तलाश करने के लिए अच्छा हो सअपने सपनों का पीछा करने में लोगों के जुनून और समर्पण को देखना प्रेरणादायक है l एक युवा महिला ने जिसे मैं जानता हूँ हाल ही में अपनी पी.एच.डी. एक वर्ष में पूरी कर ली – एक कार्य जिसने सम्पूर्ण समर्पण ले लिया l एक मित्र एक विशेष कार चाहता था, तो उसने अपने लक्ष्य तक पहुँचने तक केक बेक करके उन्हें बेचने का काम किया l एक और व्यक्ति जो बिक्री(sales) के व्यवसाय में है प्रति सप्ताह सौ नए लोगों से मिलने की इच्छा रखता है l
कता है, वहाँ एक और अधिक महत्वपूर्ण प्रकार की तलाश है जिसे हमें विचार करना चाहिए l
हताशा में, मरुभूमि में संघर्ष करते हुए, राजा दाऊद ने लिखा, “हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूँढूँगा” (भजन 63:1) l जब दाऊद ने उसे पुकारा, परमेश्वर उस थके हुए राजा के निकट आया l परमेश्वर के लिए दाऊद की गहरी आत्मिक प्यास उसकी उपस्थिति में ही संतुष्ट हो सकती थी l राजा ने परमेश्वर से उसके “पवित्रस्थान” में मुलाकात को याद किया (पद.2), उसके सम्पूर्ण विजय देनेवाले प्रेम का अनुभव किया (पद.3), और दिन-प्रतिदिन उसकी प्रशंसा करना – उसी में सच्ची संतुष्टि पाना जो एक पूर्ण और संतोषजनक भोजन का आनंद लेने के विपरीत नहीं है (पद.4-5) l रात में भी उसने परमेश्वर की महानता पर विचार किया, उसकी सहायता और सुरक्षा को पहचाना (पद.6-7) l
आज पवित्र आत्मा हमें परमेश्वर को ईमानदारी से खोजने के लिए विवश करता है l जब हम उससे लिपटे रहते हैं, परमेश्वर सामर्थ्य और प्रेम में अपने शक्तिशाली दाहिने हाथ से हमें ऊपर थामे रहता है l आत्मा की अगुवाई द्वारा, हम सभी अच्छी चीजों के निर्माता के करीब आएँ l
एक लक्ष्य और एक उद्देश्य
2018 में, एक अमेरिकी एथलीट(खिलाड़ी) कॉलिन ओब्रैडी ने एक ऐसी सैर की जो पहले कभी नहीं की गयी थी l अपने पीछे एक आपूर्ति स्लेज(बर्फ पर चलने वाली गाड़ी) को खींचते हुए, ओब्रैडी ने अकेले ही अंटार्कटिका की कठिन यात्रा की – 54 दिनों में कुल 932 मील l यह समर्पण और साहस की एक महत्वपूर्ण यात्रा थी l
बर्फ, ठण्ड और कठिन दूरी में अकेले रहने पर, ओब्रैडी ने टिप्पणी की, “मैं पूरे समय एक गहरे प्रवाह की स्थिति में कैद था [पूरी तरह से प्रयास में डूबा हुआ], समान रूप से अंतिम लक्ष्य पर केन्द्रित, यद्यपि अपने मन को इस यात्रा के गहन पाठों को फिर से गिनने की अनुमति देता था l
हममें से जिन्होंने यीशु पर अपना विश्वास रखा है, उनके लिए यह कथन एक परिचित स्वर बजाता है l यह विश्वासियों के रूप में बहुत कुछ हमारे आह्वान जैसा लगता है : लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखते हुए ऐसा जीवन जीना जो परमेश्वर का सम्मान (आदर) करता है और उसे दूसरों पर प्रकट करता है l प्रेरितों 20:24 में, पौलुस, जो खतरनाक यात्रा के लिए कोई अजनबी नहीं था, ने कहा, “मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता कि उस प्रिय जानूँ, वरन् यह कि मैं अपनी दौड़ को और सेवा को पूरी करूँ, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिए प्रभु यीशु से पाई है l”
जब हम यीशु के साथ अपने संबंधों में आगे बढ़ते हैं, हम पहचाने कि हम अपनी यात्रा के उद्देश के बारे में क्या जानते हैं और उस दिन की ओर आगे बढ़ते जाएँ जब हम अपने उद्धारकर्ता को आमने-सामने देखेंगे l
अकल्पनीय
बार्ट मिल्लार्ड ने 2001 में एक अत्यंत लोकप्रिय गीत लिखा, “आई कैन ओन्ली इमेजिन(I Can Only Imagine) l” यह गीत मसीह की उपस्थिति में कितना अद्भुत होगा को चित्रित करता है l मिल्लार्ड के गीतों ने हमारे परिवार को अगले वर्ष यह दिलासा दिया जब हमारी सत्रह वर्षीय बेटी मेलिसा की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गयी और हमने कल्पना की कि उसके लिए परमेश्वर की उपस्थिति में होना यह कैसा था l
लेकिन कल्पना कीजिये(imagine) ने मेल(Mell) की मृत्यु के बाद के दिनों में मुझसे एक भिन्न तरीके से बात की l जब मेलिसा के मित्रों के पिता लोगों ने चिंता और दर्द से पूर्ण, मुझसे संपर्क किया, उन्होंने कहा, “मैं कल्पना नहीं कर सकता कि आपके ऊपर क्या बीत रही है l”
उनके भाव सहायक थे, यह दिखाते हुए कि वे हमारे नुक्सान के साथ सहानुभूति के साथ जूझ रहे थे – यह अकल्पनीय लग रहा था l
दाऊद ने बड़े नुक्सान की गहराई को इंगित किया जब उसने “घोर अन्धकार से भरी हुई घाटी” में से चलने का वर्णन किया (भजन 23:4) l किसी प्रियजन की मृत्यु निश्चित रूप से ऐसी है, और हमें कभी-कभी यह पता नहीं होता है कि हम अँधेरे को कैसे पार करेंगे l हम कभी भी दूसरी तरफ जाने की कल्पना नहीं कर सकते l
लेकिन जैसा कि परमेश्वर ने हमारे साथ हमारी सबसे अँधेरी घाटी में रहने का वादा किया है, वह हमें यह आश्वासन देकर भविष्य के लिए बहुत आशा प्रदान करता है कि घाटी से परे हम उसकी उपस्थिति में होंगे l एक विश्वासी के लिए, “देह से अलग” होने का मतलब है उसके साथ मौजूद होना (2 कुरिन्थियों 5:8) l जैसा कि हम अपने भविष्य में उससे और दूसरों से पुनर्मिलन की कल्पना करते हैं, उससे हमें अकल्पनीय में चलने में सहायता मिलती है l