प्रकाश चमकाना
स्टीफन ने अपने माता-पिता से बोला कि उसे प्रतिदिन जल्दी स्कूल जाना ज़रूरी है, लेकिन किसी कारण से उसने कभी नहीं बताया कि क्यों ज़रूरी है l फिर भी उन्होंने यह निश्चित किया कि वह प्रत्येक सुबह 7.15 बजे स्कूल पहुँच जाए l
अपने जूनियर वर्ष में एक ठंडी सुबह के समय, स्टीफन का कार एक्सीडेंट हो गया जिससे उसकी दुखद मृत्यु हो गयी l बाद में, उसके माता पिता को पता चला कि क्यों वह जल्दी स्कूल जाया करता था l हर सुबह वह और उसके कुछ मित्र स्कूल के प्रवेश द्वार पर इकठ्ठा होकर मुस्कुराते हुए, हाथ हिलाते हुए और एक मधुर शब्द के साथ दूसरे विद्यार्थियों का अभिवादन करते थे l इससे सभी विद्यार्थी – वे भी जो लोकप्रिय नहीं थे – सुखद और स्वीकार्य महसूस करते थे l
यीशु में एक विश्वासी, स्टीफन अपनी ख़ुशी उन लोगों के साथ बांटना चाहता था, जिन्हें इसकी सख्त ज़रूरत थी l उसका उदाहरण एक अनुस्मारक के रूप में मौजूद है कि मसीह के प्रेम के प्रकाश को चमकाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक दयालुता के इशारों और एक स्वागत योग्य भावना के माध्यम से है l
मत्ती 5:14-16 में, यीशु ने बताया कि हम उसके लिए “जगत की ज्योति” और “नगर [हैं] जो पहाड़ पर बसा हुआ है” (पद.14) l प्राचीन शहर अक्सर सफ़ेद चूना पत्थर से बने होते थे, वास्तव में अलग से दिखाई देते हुए चमकते सूरज को प्रतिबिंबित करते थे l काश हम भी छिपने के लिए नहीं बल्कि “घर के सब लोगों को प्रकाश” पहुँचाने का चुनाव करें (पद.15) l
और जब हम “[अपने] उजियाला को [दूसरों] के सामने [चमकने देते हैं]” (पद.16), काश हम मसीह के स्वागत करने वाले प्रेम का अनुभव करें l
खोया हुआ लिफाफा
जब वह मुझे मिला हम अपने परिवार के साथ दूसरे राज्य से घर लौट रहे थे l मैं अपने वाहन में इंधन भर रहा था जब मैंने एक गन्दा, भारी लिफाफा धरती पर पड़ा हुए देखा l मैं उसे गन्दी और जैसा वह था की अवस्था में लपक लिया और उसके अन्दर देखा l मैं आश्चर्यचकित हुआ, उसमें सौ डॉलर के अनेक नोट थे l
सौ डॉलर के अनेक नोट जिन्हें किसी ने खो दिए थे और उस क्षण संभवतः कौन उन्हें व्यग्रतापूर्वक ढूँढ रहा होगा l मैंने उस पेट्रोल पंप के परिचारकों को अपना फोन नंबर दे दिया कि शायद कोई उसे ढूंढता हुआ वहाँ आए l परन्तु कभी किसी ने फोन नहीं किया l
किसी के पास वो पैसे थे और उसने उन्हें खो दिये l पृथ्वी पर का धन अक्सर ऐसा ही होता है l वह खो सकता है, चोरी हो सकता है, या यहाँ तक कि व्यर्थ खर्च किया जा सकता है l यह खराब निवेश में या किसी मौद्रिक बाज़ार में भी खो सकता है, जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं है l लेकिन हमारे पास यीशु में जो स्वर्गिक खजाना है अर्थात् परमेश्वर के साथ एक पुनर्स्थापित सम्बन्ध और अनंत जीवन की प्रतिज्ञा, उस प्रकार का नहीं है l हम उसे पेट्रोल पंप पर या कहीं और नहीं खो सकते हैं l
यही कारण है कि मसीह ने हमें “स्वर्ग में धन” इकठ्ठा करने को कहा है (मत्ती 6:20) l हम ऐसा तब करते हैं जब हम “भले काम में धनी” (1 तीमुथियुस 6:18) या “विश्वास में धनी” (याकूब 2:5) बनते हैं – प्रेमपूर्वक दूसरों की मदद करके और उनके साथ यीशु को साझा करके l जैसे परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें सशक्त करता है, हम अनंत खज़ाने को भी संचित कर सकते हैं, जब हम अपने अनंत भविष्य की आशा करते हैं l
यह तो अद्भुत था!
यह सातवें कक्षा का पहली क्रॉस-कंट्री(छोटी) प्रतियोगिता थी, लेकिन वह दौड़ना नहीं चाहती थी l यद्यपि वह इस आयोजन की तैयारी में लगी हुयी थी, वह ख़राब प्रदर्शन से डरती थी l फिर भी, उसने बाकी सभी के साथ दौड़ आरम्भ की l बाद में, एक के बाद दूसरे धावकों ने दो मील की दौड़ पूरी करके समापन रेखा पार की – अनिच्छुक धावक को छोड़कर सभी l अंत में, उसकी माँ, जो अपनी बेटी को दौड़ पूरी करते हुए देख रही थी, ने दूर एक अकेला व्यक्ति को देखी l माँ उस परेशान प्रतियोगी को ढाढ़स देने उस समापन रेखा तक गयी l इसके बदले, जब वह युवा धाविका ने अपनी माँ को देखा, वह पुकार उठी, “यह तो अद्भुत था!”
अंत में समाप्त करने के विषय क्या अद्भुत हो सकता है? समाप्त करना!
लड़की कुछ कठिन कोशिश करके उसे पूरा किया था! पवित्र वचन कड़ी मेहनत और परिश्रम का सम्मान करता है, एक अवधारणा जो अक्सर खेल या संगीत या अन्य चीजों के माध्यम से सीखी जाती है जिन्हें दृढ़ता और प्रयास की आवश्यकता होती है l
नीतिवचन 12:24 कहता है, “कामकाजी लोग प्रभुता करते हैं, परन्तु आलसी बेगार में पकड़े जाते हैं l” ये बुद्धि के सिद्धांत – प्रतिज्ञाएँ नहीं – अच्छी प्रकार परमेश्वर की सेवा करने में सहायता कर सकते हैं l
हमारे लिए परमेश्वर की योजना में कार्य हमेशा शामिल था l पतन से पहले भी, आदम को [वाटिका में] “काम” करना था और “उसकी रक्षा” करनी थी (उत्पत्ति 2:15) l और हमारे द्वारा किया गया कोई भी प्रयास “तन मन से” होना चाहिए (कुलुस्सियों 3:23) l आइये हम उसके द्वारा दी गयी शक्ति में कार्य करें – और परिणाम उसपर छोड़ दें l
लोमड़ियाँ पकड़ना
जब पहली बार एक चमगादड़ हमारे घर में घुसा हमने उसे परजीवी कीड़े की तरह सरलता से हटा दिया l परन्तु दूसरी बार रात के समय उसके अन्दर आने के बाद, मैंने इन छोटे प्राणियों के विषय थोड़ी जानकारी प्राप्त की और पता चला कि मनुष्य से मुलाकात के लिए उन्हें बहुत छोटा सा सुराख़ चाहिए l वास्तव में, यदि उनको सिक्के के किनारे के बराबर भी जगह मिल जाती है वे अन्दर घुस आते हैं l
इसलिए मैंने अपनी बन्दुक भरी और लक्ष्य की ओर चल पड़ा l मैं घर में चारों ओर गया और छोटे से छोटा सुराख़ भी बंद कर दिया l
श्रेष्ठगीत 2:15 में, सुलैमान एक और कष्टकर स्तनधारी जीव के विषय बताता है l वह “छोटी लोमड़ियों” के खतरे के विषय लिखता है जो “दाख की बारियों को बिगाड़ती हैं l” प्रतीकात्मक रूप से, वह उन खतरों के विषय बोल रहा है जो किसी सम्बन्ध के बीच आकर उसे बर्बाद कर सकती हैं l अब मुझे चमगादड़-प्रेमियों या लोमड़ी-प्रेमियों को ठेस पहुँचाने का इरादा नहीं है परन्तु चमगादड़ों को घर के बाहर और लोमड़ियों को दाख की बारी से बाहर रखना अपने जीवनों से पाप को दूर रखना है (इफिसियों 5:3) l परमेश्वर के अनुग्रह से पवित्र आत्मा हमारे अन्दर काम करता है इसलिए कि हम “शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार” चलें (रोमियों 8:4) l आत्मा की सामर्थ्य से हम पाप की परीक्षा का सामना कर सकते हैं l
परमेश्वर की स्तुति हो कि, मसीह में, अब हम “प्रभु में ज्योति” हैं और इस प्रकार प्रभु को “भानेवाला” जीवन जी सकते हैं (इफिसियों 5:8-10) l आत्मा उन छोटी लोमड़ियों को पकड़ने में हमारी मदद करता है l
सदा से बेहतर
पेरिस में नोट्रे डेम कैथेड्रल(प्रधान गिरजाघर) एक भव्य ईमारत है l उसकी शिल्पकारी मंत्रमुग्ध करनेवाली है, और उसकी खिडकियों के रंगीन कांच एवं खुबसूरत आंतरिक विशेषताएँ असाधारण हैं l शताब्दियों से पेरिस के परिदृश्य में गगनचुंबी, उसे नवीनीकरण की आवश्यकता पड़ी – जो उस समय आरम्भ हुआ जब एक विनाशकारी आग ने उस शानदार पुराने इमारत को अत्यंत हानि पहुंचाई l
इसलिए इस आठ शताब्दी पुरानी ऐतिहासिक स्थल से प्रेम करनेवाले लोग इसे बचाने के लिए आ रहे हैं l इस इमारत के नवीनीकरण के लिए दस खरब डॉलर से अधिक बटोरा गया है l पत्थर की इस संरचना को दृढ़ करने की ज़रूरत है l क्षतिग्रस्त आंतरिक भाग और उसकी अभिलाषित शिल्पकृति की मरम्मत ज़रूरी है l यद्यपि, प्रयास उचित है, क्योंकि यह पुराना कैथेड्रल अनेक लोगों के लिए आशा का प्रतीक है l
जो इमारतों के लिए सच है वह हमारे लिए भी सच है l इस पुराने चर्च की तरह, हमारे शरीर, आख़िरकार धारण करने के लिए थोड़ा और खराब दिखाई देने लगेंगे! परन्तु जिस प्रकार प्रेरित पौलुस समझाता है, समाचार अच्छा है : जबकि हमारी जवानी की शारीरिक गूंज शनै-शनै कम होती जाएगी, हमारे व्यक्तित्व का सार/मूल –हमारा आत्मिक व्यक्तित्व – निरंतर नया होता जाता है और उन्नति करता है (2 कुरिन्थियों 4:16) l
जब हम पवित्र आत्मा पर हमें भरने और हमें नवीन बनाने के लिए “उसे भाते [रहने का लक्ष्य बनाते हैं]” (5:9), हमारी आत्मिक उन्नति को ठहरने की ज़रूरत नहीं है – चाहे हमारी “ईमारत” कैसी भी दिखाई दे l
हैक्स(Hacks) से बढ़कर
हाल ही में मुझे एक “हैक(Hack)” (एक पेचीदा समस्या का एक अक्लमंद हल) मिल गया जब मेरे एक पौत्र ने अपने खिलौना खरगोश को हमारी अंगीठी(fireplace) के कांच पर गर्म किया l उस खिलौना खरगोश के रोएँ(fur) का परिणाम अच्छा नहीं था, परन्तु अंगीठी को सुधारनेवाला विशेषज्ञ ने एक बहुत बढ़िया हल दिया – एक सलाह जिससे अंगीठी का कांच फिर से नया दिखाई दे सकता था l वह सलाह काम कर गया, और अब हम स्टफ्ड(भरे हुए) खिलौनों को अंगीठी के निकट नहीं ले जाने देते हैं!
मैं हैक्स की बात करता हूँ क्योंकि कभी-कभी हम बाइबल को हैक्स के एक संग्रह के रूप में देख सकते हैं – जीवन को सरल बनाने के सलाह l जबकि यह सच है कि बाइबल मसीह को आदर देनेवाला नया जीवन कैसे जीया जाए के विषय बहुत अधित बताती है, इस पुस्तक का केवल यही उद्देश्य नहीं है l जो बाइबल हमारे लिए प्रबंध करती है वह मनुष्य की सबसे बड़ी ज़रूरत का हल है : पाप और परमेश्वर से अनंत अलगाव से बचाव l
पूरी तरह से उत्पत्ति 3:15 में उद्धार की प्रतिज्ञा से नया आकाश और नयी पृथ्वी तक की सच्ची आशा तक (प्रकाशितवाक्य 21:1-2), बाइबल बताती है कि परमेश्वर के पास हमें हमारे पाप से बचाने और अपने साथ संगति का आनंद उठाने देने की अनंत योजना है l हर एक कहानी में और किस प्रकार जीवन जीया जाए की प्रत्येक सलाह में, बाइबल हमें यीशु – केवल एक जो हमारी सबसे बड़ी समस्या हल कर सकता है - की ओर इशारा करती है l
जब हम परमेश्वर की पुस्तक खोलते हैं, हम स्मरण कर सकें कि हम यीशु को, उसके द्वारा दिया जानेवाले बचाव को, और उसकी संतान के रूप में कैसे जीवन जीया जाए को खोज रहे हैं l उसने सबसे बड़ा हल दे दिया!
क्या आप अभी भूखे हैं?
थॉमस को मालूम था उसे क्या करना था? भारत में एक निर्धन परिवार में जन्म लिया और अमरीकियों द्वारा गोद लिया गया, और भारत लौटने पर उसने अपने ही गृह शहर के बच्चों को खौफ़नाक स्थिति में देखा l इसलिए वह जान गया उसे सहायता करनी होगी l वह अमरीका लौटकर, अपनी शिक्षा समाप्त करके, ढेर सारा पैसा जमा करके, भविष्य में भारत लौटने की योजना बनाने लगा l
उसके बाद, याकूब 2:14-18 पढ़ने के बाद जिसमें प्रेरित प्रश्न करता है, “यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो इससे क्या लाभ?” थॉमस ने अपने मातृभूमि में एक छोटी लड़की को उसने अपनी माँ से चीखते सुना : “परन्तु माँ, मैं तो अभी भूखी हूँ!” उसने उन दिनों को याद किया जब वह भी बचपन में बहुत ही भूखा था – कूड़ेदानों में भोजन ढूढ़ता था l थॉमस ने सहायता करने के लिए वर्षों तक इंतज़ार नहीं कर सकता था l उसने निर्णय किया, “मैं अभी सहायता करना आरंभ करूँगा!!”
वर्तमान में इस अनाथालय में जिसे उन्होंने आरंभ किया था पचास बच्चे हैं जिन्हें भरपूर भोजन मिलता है और उनकी उचित देखभाल की जाती है और वे यीशु के बारे में सीखते हैं और शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं – यह सब इसलिए क्योंकि एक व्यक्ति ने समझ लिया कि परमेश्वर उन्हें क्या करने को बुला रहा है और वह इस काम को टाल नहीं सकता है l
याकूब का सन्देश हम सब पर लागू होता है l यीशु मसीह में हमारा विश्वास हमें बहुत लाभ देता है – उसके साथ एक सम्बन्ध, बहुतायत का जीवन, और भविष्य की एक आशा l परन्तु इसका कुछ भी लाभ नहीं यदि हम आगे बढ़कर ज़रुरतमंदों की मदद नहीं करते हैं? क्या आप उस चीख को सुन रहे हैं : “मैं तो अभी भूखा हूँ!”
ऐबी की प्रार्थना
जब ऐबी हाई स्कूल की छात्रा थी, उसने और उसकी माँ ने एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में बुरी तरह घायल एक व्यक्ति की कहानी सुनी – एक ऐसी दुर्घटना जिसमें उसके पिता और सौतेली माँ की मृत्यु हो गयी थी l यद्यपि वे इस व्यक्ति को नहीं जानते थे, ऐबी की माँ ने कहा, “हमें केवल इस व्यक्ति और इसके परिवार के लिए प्रार्थना करना होगा l और उन्होंने किया l
जल्द ही कुछ वर्ष बीत गए, और एक दिन ऐबी अपने विश्विद्यालय में एक कक्षा में प्रवेश की l एक विद्यार्थी ने उसे बैठने के लिए अपने करीब एक सीट दी l वह विद्यार्थी ऑस्टिन हैच था, हवाई दुर्घटना का शिकार जिसके लिए ऐबी ने प्रार्थना की थी l जल्द ही वे एक दूसरे के साथ मिलने लगे, और 2018 में उनका विवाह हो गया l
ऐबी ने अपने विवाह के तुरंत बाद एक साक्षात्कार में कहा, “यह सोचना पागलपन है कि मैं अपने भावी पति के लिए प्रार्थना कर रही थी l” दूसरों के लिए प्रार्थना करने का समय न निकालकर, अपने व्यक्तिगत ज़रूरतों और अपने निकट के लोगों के लिए अपनी प्रार्थनाओं को सीमित करना सरल है l हालाँकि, पौलुस इफिसुस के मसीहियों को लिखते हुए उनसे कहा कि “हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना और विनती करते रहो, और इसी लिए जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिए लगातार विनती किया करो” (इफिसियों 6:18) l और 1 तीमुथियुस 2:1 हमसे अधिकारियों के साथ-साथ “सब मनुष्यों” के लिए प्रार्थना करने को कहता है l
आइये हम दूसरों के लिए प्रार्थना करें – उनके लिए भी जिनको हम जानते नहीं हैं l यह “एक दूसरे का भार”(गलातियों 6:2) उठाने का एक तरीका है l
खाली बिछौना
मैं मोंटेगो बे, जमाइका के सैंट जेम्स इनफर्मरी(अस्पताल) लौटकर रेंडेल से पुनः मिलने के लिए उत्सुक था, जो दो वर्ष पूर्व उसके लिए यीशु के प्रेम के विषय जाना था l हाई स्कूल गायक-मण्डली की एक किशोरी, इवी और मैं प्रत्येक बसंत ऋतु के समय, रेंडेल के साथ वचन पढ़ते थे और सुसमाचार समझाते थे, और उसने व्यक्तिगत रूप से…