2018 में, एक अमेरिकी एथलीट(खिलाड़ी) कॉलिन ओब्रैडी ने एक ऐसी सैर की जो पहले कभी नहीं की गयी थी l अपने पीछे एक आपूर्ति स्लेज(बर्फ पर चलने वाली गाड़ी) को खींचते हुए, ओब्रैडी ने अकेले ही अंटार्कटिका की कठिन यात्रा की – 54 दिनों में कुल 932 मील l यह समर्पण और साहस की एक महत्वपूर्ण यात्रा थी l 

बर्फ, ठण्ड और कठिन दूरी में अकेले रहने पर, ओब्रैडी ने टिप्पणी की, “मैं पूरे समय एक गहरे प्रवाह की स्थिति में कैद था [पूरी तरह से प्रयास में डूबा हुआ], समान रूप से अंतिम लक्ष्य पर केन्द्रित, यद्यपि अपने मन को इस यात्रा के गहन पाठों को फिर से गिनने की अनुमति देता था l 

हममें से जिन्होंने यीशु पर अपना विश्वास रखा है, उनके लिए यह कथन एक परिचित स्वर बजाता है l यह विश्वासियों के रूप में बहुत कुछ हमारे आह्वान जैसा लगता है : लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखते हुए ऐसा जीवन जीना जो परमेश्वर का सम्मान (आदर) करता है और उसे दूसरों पर प्रकट करता है l प्रेरितों 20:24 में, पौलुस, जो खतरनाक यात्रा के लिए कोई अजनबी नहीं था, ने कहा, “मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता कि उस प्रिय जानूँ, वरन् यह कि मैं अपनी दौड़ को और सेवा को पूरी करूँ, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिए प्रभु यीशु से पाई है l” 

जब हम यीशु के साथ अपने संबंधों में आगे बढ़ते हैं, हम पहचाने कि हम अपनी यात्रा के उद्देश के बारे में क्या जानते हैं और उस दिन की ओर आगे बढ़ते जाएँ जब हम अपने उद्धारकर्ता को आमने-सामने देखेंगे l