पूर्ण भरोसा की घोषणा
लॉरा की माँ कैंसर से संघर्ष कर रही थी l एक दिन सुबह के समय लॉरा ने अपनी सहेली के साथ उसके लिए प्रार्थना की l उसकी सहेली ने, जो कई वर्षों से प्रमस्तिष्क पक्षघात(Cerebral Palsy) के कारण निःशक्त हो गयी थी, इस तरह प्रार्थना की : “प्रभु, आप मेरे लिए सब कुछ करते हैं l कृपया लॉरा की माँ के लिए भी सब कुछ करें l”
लॉरा अपनी सहेली के परमेश्वर पर “पूर्ण भरोसा की घोषणा” से द्रवित हो गयी l उस क्षण पर विचार करते हुए, वह बोली, “मैं हर परिस्थिति में कितनी बार परमेश्वर की आवश्यकता महसूस करती हूँ? यह कुछ ऐसा है जो मुझे हर दिन करना चाहिए!”
यीशु जब पृथ्वी पर था, उसने निरंतर अपना भरोसा अपने स्वर्गिक पिता पर दर्शाया l कोई सोच सकता है कि क्योंकि यीशु मानव शरीर में परमेश्वर था, आत्म-निर्भर होने के लिए उसके पास सबसे अच्छा कारण हो सकता था l किन्तु इसलिए कि यीशु ने सबत के दिन अर्थात् विधित तौर पर निर्धारित विश्राम दिन में “कार्य” अर्थात् किसी को चंगा किया था, धार्मिक अधिकारियों द्वारा इससे सम्बंधित कारण पूछने पर, उसने उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है” (यूहन्ना 5:19) l यीशु ने भी परमेश्वर पर अपना पूर्ण भरोसा दर्शाया!
पिता पर यीशु की निर्भरता आखिरी उदहारण प्रस्तुत करता है कि परमेश्वर के साथ सम्बंधित रहने का अर्थ क्या होता है l हर क्षण हमारे द्वारा ली जाने वाली सांस परमेश्वर की ओर से उपहार है, और उसकी इच्छा है कि हम उसकी सामर्थ्य से भर जाएँ l जब हम प्रेम करने और हर क्षण प्रार्थना और उसके वचन पर निर्भरता से सेवा करते हैं, हम उसके ऊपर पूर्ण भरोसा की घोषणा करते हैं l
विनम्र प्रेम
बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने युवावस्था में बारह सद्गुणों की सूची बनाए थे जिनमें वे अपने जीवन काल में उन्नत्ति करना चाहते थे l उन्होंने उस सूची को अपने मित्र को दिखाया, जिसने उन्हें उसमें “विनम्रता” जोड़ने को कहा l फ्रैंकलिन को यह विचार पसंद आ गया l उनके मित्र ने हर एक गुण में उसकी सहायता के लिए कुछ मार्गदर्शिका भी जोड़ दीं l विनम्रता के सम्बन्ध में फ्रैंकलिन के विचारों में, उसने उसका अनुकरण करने के लिए यीशु का उदहारण दिया l
यीशु हमें विनम्रता का सर्वश्रेष्ठ नमूना देता है l परमेश्वर का वचन हमें बताता है, “जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो; जिसने परमेश्वर के स्वरुप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा l वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरुप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया” (फ़िलि.2:5-5) l
यीशु ने सबसे महान विनम्रता प्रस्तुत की l पिता के साथ अनंतता से होने के बावजूद, उसने प्रेम में क्रूस के नीचे झुकने का चुनाव किया कि अपनी मृत्यु के द्वारा वह हर एक को उन्नत कर सके जो उसके प्रेम की उपस्थिति में उसे स्वीकार करता है l
हम दूसरों की सेवा करके अपने स्वर्गिक पिता की सेवा करने का प्रयास करते हैं और इस तरह यीशु की विनम्रता का अनुसरण करते हैं l यीशु की दया हमें दूसरों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अलग करके अलगाव की सुन्दरता का असाधारण झलक लेने देता है l “सर्व प्रथम मैं” [अहम्] वाले संसार में विनम्र बनना सरल नहीं है l किन्तु हमारे उद्धारकर्ता के प्रेम में विश्राम करते समय, वह हमें उसका अनुसरण करने के लिए सब कुछ देगा l
दाँत निकलने के दिन
मेरी पत्नी ने मुझे लेब्राडोर जाति का एक पिल्ला दिया जिसका नाम हमने मैक्स रखा l एक दिन चिंतन करते समय मेरे कमरे में मुझे अपने पीछे कागज़ के चबाने की आवाज़ आयी l मैं मुड़कर मैक्स को देखा जिसने गलती की थी l उसके सामने एक पुस्तक खुली थी और उसके मुँह से एक पन्ना लटक रहा था l
हमारे पशु चिकित्सक के अनुसार मैक्स के “दूध के दाँत टूटकर नए दाँत निकल रहे” हैं l कुत्ते के बच्चों के दूध के दाँत टूटकर स्थायी दाँत निकलते समय वे अपने मसूड़ों को आराम देने के लिए कुछ भी चबा लेते हैं l हमें मैक्स पर ध्यान देकर निश्चित करना था कि वह ऐसा कुछ भी न कुतरे जिससे उसका नुक्सान हो l हमें उसके बदले उसे स्वास्थ्यप्रद आदतें सिखानी होगी l
मैक्स के चबाने की आदत और उस पर ध्यान देने की मेरी ज़िम्मेदारी मुझे सोचने को विवश करती है कि हम अपने मनों और हृदयों में क्या “चबाते” हैं l क्या हम वेब अथवा टीवी देखते समय ध्यानपूर्वक विचार करते हैं कि हमारी अनंत आत्मा क्या ग्रहण कर रही है? बाइबल हमें उत्साहित करती है, “नए जन्मे हुए बच्चों के सामान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिए बढ़ते जाओ, क्योंकि तुम ने प्रभु की कृपा का स्वाद चख लिया है”(1 पतरस 2:2-3) l यदि हम मसीह के अनुयायी बनकर रहना चाहते हैं तो हमें प्रतिदिन खुद को परमेश्वर के वचन और सच्चाई से भरना होगा l तब ही हम उसमें बढ़कर परिपक्व हो सकते हैं l
जब शब्द विफल हो जाए
कुछ समय पहले, मैंने अपने पत्नी, कैरी को वोइस मेसेज की सहायता से लिखित मेसेज भेजा l मैं घर से निकल रहा था और उसे ड्यूटी से घर लाने की मनसा से उसे मेसेज भेजा, “बूढ़ी लड़की, तुम कहाँ चाहती हो कि मैं तुम को घर लाने के लिए तुम से मिलूं?
मेरा उसे “बूढ़ी लड़की” पुकारना उसे बुरा नहीं लगता है – हम घर में यही नाम उपयोग करते हैं l किन्तु मेरा मोबाइल फोन इस वाक्यांश को नहीं “समझ सका” और उसके बदले “बूढ़ी गाय” लिखकर भेज दिया l
सौभाग्य से, कैरी तुरन्त समझ गयी कि कहाँ गलती हुई थी और उसे हास्यास्पद महसूस हुआ l बाद में उसने सोशल मीडिया पर यह सन्देश पोस्ट करके पूछा, “क्या मुझे बुरा मानना चाहिए था?” हम दोनों उसके विषय खूब हँसे l
मेरे अनुपयुक्त शब्दों के प्रति मेरी पत्नी का प्रेमी प्रतिउत्तर मुझे सोचने को विवश करता है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को अपने प्रेम से कैसे समझता है l प्रार्थना में क्या बोलना या माँगना है हम शायद नहीं जानते हैं, किन्तु जब हम मसीह के होते है, उसका आत्मा “आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो ब्यान से बाहर हैं, हमारे लिए विनती करता है”(रोमियों 8:26) और हमें अपनी गहरी आवश्यकताओं को प्रेम से उसके समक्ष रखने में मदद करता है l
हमारा स्वर्गिक पिता हमसे दूर रहकर इंतज़ार नहीं करता कि हम अपने शब्दों को ठीक करें l हम उसके निकट हर एक ज़रूरत लेकर आ सकते हैं, और निश्चित हो सकते हैं कि वह हमें समझता है और अपने प्रेम से हमें स्वीकार करता है l
परमेश्वर के लिए अभिलाषित
एक दिन हमारी बेटी हमारे एक वर्ष के नाती के साथ हमारे घर आयी l मैं किसी काम से घर से निकलने ही वाला था, कि कमरे से निकलते ही मेरा नाती रोने लगा l ऐसा दो बार हुआ, और हर बार मैं लौट कर कुछ समय उसके साथ रहा l जब मैं तीसरी बार दरवाजे की ओर बढ़ा, उसके छोटे होंठ फिर हिलने लगे l उस समय मेरी बेटी बोली, “डैड, क्यों न आप इसे अपने साथ ले जाएं?”
कोई भी नाना-नानी आपको बता सकते हैं कि आगे क्या हुआ l मेरा नाती साथ में घूमने गया, केवल इसलिए क्योंकि मैं उसे प्यार करता हूँ l
यह जानना कितना भला है कि परमेश्वर के लिए हमारे हृदयों की अभिलाषाओं से भी परमेश्वर प्रेम करता है l बाइबल हमें भरोसा देती है कि “जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए और हमें उसका विश्वास है” (1 यूहना 4:16) l परमेश्वर हमसे इसलिए प्रेम नहीं करता कि हमने कुछ किया है अथवा नहीं किया है l उसका प्रेम हमारी योग्यता पर बिलकुल नहीं, किन्तु उसकी भलाई और विश्वासयोग्यता पर आधारित है l जब हमारे चारों-ओर का संसार प्रेम नहीं करता है और कठोर है, हम परमेश्वर के न बदलनेवाले प्रेम को अपनी आशा और शांति का श्रोत मानकर उस पर भरोसा कर सकते हैं l
हमारे स्वर्गिक पिता का हृदय उसके पुत्र और उसकी आत्मा के उपहार के रूप में हमें मिले हैं l यह भरोसा कितना सुखदायक है कि परमेश्वर हमसे प्रेम करता है जो कभी ख़त्म होने वाला नहीं!
छोटी-छोटी बातों में परमेश्वर की उपस्थिति
अपने 3 मास के "चॉकलेट" रंग के लैब्राडोर कुत्ते को जब मैं टीकाकरण और जांच के लिए पशु चिकित्सक के पास लाया तो डाक्टर ने जाँच पर देखा कि उसके बाएं पंजे पर फर के पीछे एक सफेद निशान था। वह मुस्कराकर कहने लगी, "परमेश्वर ने यहाँ से तुम्हें उठा कर चॉकलेट में डुबो दिया होगा।"
मैं हंस पड़ा। अनजाने में उसने परमेश्वर के उनकी सृष्टि में गहरे और व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने की सार्थक बात कह दी थी।
मत्ती 10:30 में यीशु ने कहा, “हमारे सिर के बाल भी गिने हुए हैं”। परमेश्वर इतने महान हैं कि वह हमारे जीवन की छोटी-छोटी बातों में भी रुचि रखते हैं। कोई भी बात इतनी छोटी नहीं जिसपर वे ध्यान न दें या जिसे उनके सम्मुख ना लाया जा सके। वह हमारा इतना ध्यान रखते हैं।
परमेश्वर ने ना केवल हमारी रचना की, वरन वे हमें थामते और हमारी रक्षा करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि “शैतान छोटी-छोटी बातों में है”। "परंतु यह समझना बेहतर होगा कि उनमें परमेश्वर होते हैं। वे उन चीजों पर भी ध्यान रखते हैं जिन पर हम ध्यान नहीं दे पाते। कितने दिलासे की बात है कि हमारे दयालु और स्वर्गीय पिता-अपनी समस्त सृष्टि के साथ-अपने सामर्थी और प्रेमी हाथों से हमें थामें रहते हैं।
शान्ति को बाँटा गया
"परमेश्वर ने तुम्हें आज मेरे पास भेजा है!"
विमान के शिकागो पहुंचकर कर विदा लेते हुए उस महिला ने यह शब्द कहे। विमान में वह मेरे सामने बैठी थी, जहां मैंने उसके कई उड़ानों के बाद अब वापस लौटने के बारे में जाना। “बुरा ना मानें तो क्या मैं पूछ सकता हूं कि इतनी जल्दी वापसी का क्या कारण है”? मैंने पूछा। नीचे देखते हुए उसने कहा, “अपनी बेटी की नशे की लत के कारण मैंने उसे आज नशा मुक्ति केंद्र में डाला है”।
मैंने विनम्रता से उसे अपने बेटे की हेरोइन ड्रग से संघर्ष की कहानी सुनाई और कहा कि कैसे यीशु ने उसे मुक्त किया था। यह सुनकर, आंखों में आंसू होते हुए भी वह मुस्कुराने लगी। विमान उतरने के बाद हमने परमेश्वर से उसकी बेटी की बेड़ियों को तोड़ देने के लिए प्रार्थना की।
बाद में मैंने 2 कुरिन्थियों 1: 3-4 में पौलुस के शब्दों के बारे में सोचा:”हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर...:।
हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जिन्हें उस शांति से प्रोत्साहन पाने की आवश्यकता है जिसे केवल परमेश्वर दे सकते हैं। उनकी इच्छा है कि हम दयालु करुणा के साथ उनके पास जाकर उस प्रेम को साझा करें जिसे उन्होंने हमसे बांटा है। परमेश्वर आज हमें उन लोगों तक भेजें जिन्हें उनकी शांति की आवश्यकता है।
प्रार्थना का उपहार देना
"प्रार्थना के उपहार के बारे में मुझे नहीं पता था, जब तक मेरे बीमार भाई के लिए आपने प्रार्थना नहीं की थी। आपकी प्रार्थनाओं से हमें बड़ी शान्ति मिली!" हमारी कलीसिया का उसके भाई की कैंसर की जाँच के दौरान प्रार्थना करने के लिए धन्यवाद करते हुए लौरा की आँखों में आँसू थे। उसने कहा, "इस कठिन समय में आपकी प्रार्थना ने उसे बल और सारे परिवार को प्रोत्साहन दिया है।"
दूसरों से प्रेम करने का सर्वोत्तम तरीका है उनके लिए प्रार्थना करना। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण यीशु है। नया-नियम हमें यीशु के दूसरों के लिए प्रार्थना करने और हमारी ओर से पिता के पास जाने के बारे में बताता है। रोमियो 8:34 कहता है “वह परमेश्वर के दाहिने ओर हैं और हमारे लिए निवेदन भी करता है।" क्रूस पर निस्वार्थ प्रेम को दिखाने और पुनुरुथान और स्वरारोहर्ण के बाद प्रभु यीशु का आज भी हमारे लिए प्रार्थना करके अपनी परवाह दिखाना जारी है।
हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जिन्हें जरूरत है कि यीशु के समान हम प्रार्थनाओं से उन्हें प्रेम करें और उनके जीवन में परमेश्वर की सहायता को आमंत्रित करें। इसमें हम परमेश्वर से मदद मांग सकते हैं, और वह करेंगे! हमारा प्रेमी प्रभु दूसरों के लिए प्रार्थना करने का उपहार हमें उदारतापूर्वक दें, आज ही ।
परमेश्वर का प्रिय
उसका नाम डेविड था, पर लोग उसे “बाजा बजाने वाला" बुलाते थे। वह अस्त-व्यस्त सा रहने वाला बूढा था जो शहर के लोकप्रिय स्थानों में अक्सर दिख जाता था। वायलिन बजाने के अपने असाधारण कौशल से वह राहगीरों का दिल बहलाता, जो कभी-कभी उसके बक्से में पैसे डाल देते और आभार में सिर हिला कर डेविड मुस्कुरा देता था।
हाल ही में जब डेविड की निधन-सूचना एक स्थानीय समाचार पत्र में छपी, तो पता चला कि वह कई भाषाएँ बोलने वाला, विश्वविद्यालय से स्नातक प्राप्त और पूर्व चुनाव में राज्यसदन की सीट का उम्मीदवार था। जिन लोगों ने रूपरंग के आधार पर उनका आंकलन किया था, वह उनकी उपलब्धियों पर आश्चर्यचकित थे।
बाइबिल बताती है कि "परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया" (उत्पत्ति 1:27)। इससे हमारे भीतर निहित मूल्य का पता चलता है। हम कैसे भी दिखें, हमारी उपलब्धियां जो हों, या लोग जो भी सोचें, चाहे हमने अपने पाप में परमेश्वर से फिरने का चुनाव भी किया हो। परमेश्वर ने हमें इतना महत्वपूर्ण समझा कि अपने पुत्र को उद्धार के और उनके साथ अनंत जीवन जीने के मार्ग को दिखाने के लिए भेजा।
परमेश्वर हमसे प्रेम करते हैं। हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए उसे दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं।