लॉरा की माँ कैंसर से संघर्ष कर रही थी l एक दिन सुबह के समय लॉरा ने अपनी सहेली के साथ उसके लिए प्रार्थना की l उसकी सहेली ने, जो कई वर्षों से प्रमस्तिष्क पक्षघात(Cerebral Palsy) के कारण निःशक्त हो गयी थी, इस तरह प्रार्थना की : “प्रभु, आप मेरे लिए सब कुछ करते हैं l कृपया लॉरा की माँ के लिए भी सब कुछ करें l”

लॉरा अपनी सहेली के परमेश्वर पर “पूर्ण भरोसा की घोषणा” से द्रवित हो गयी l उस क्षण पर विचार करते हुए, वह बोली, “मैं हर परिस्थिति में कितनी बार परमेश्वर की आवश्यकता महसूस करती हूँ? यह कुछ ऐसा है जो मुझे हर दिन करना चाहिए!”

यीशु जब पृथ्वी पर था, उसने निरंतर अपना भरोसा अपने स्वर्गिक पिता पर दर्शाया l कोई सोच सकता है कि क्योंकि यीशु मानव शरीर में परमेश्वर था, आत्म-निर्भर होने के लिए उसके पास सबसे अच्छा कारण हो सकता था l किन्तु इसलिए कि यीशु ने सबत के दिन अर्थात् विधित तौर पर निर्धारित विश्राम दिन में “कार्य” अर्थात् किसी को चंगा किया था,  धार्मिक अधिकारियों द्वारा इससे सम्बंधित कारण पूछने पर, उसने उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है” (यूहन्ना 5:19) l यीशु ने भी परमेश्वर पर अपना पूर्ण भरोसा दर्शाया!

पिता पर यीशु की निर्भरता आखिरी उदहारण प्रस्तुत करता है कि परमेश्वर के साथ सम्बंधित रहने का अर्थ क्या होता है l हर क्षण हमारे द्वारा ली जाने वाली सांस परमेश्वर की ओर से उपहार है, और उसकी इच्छा है कि हम उसकी सामर्थ्य से भर जाएँ l जब हम प्रेम करने और हर क्षण प्रार्थना और उसके वचन पर निर्भरता से सेवा करते हैं, हम उसके ऊपर पूर्ण भरोसा की घोषणा करते हैं l