“परमेश्वर ने तुम्हें आज मेरे पास भेजा है!”

विमान के शिकागो पहुंचकर कर विदा लेते हुए उस महिला ने यह शब्द कहे। विमान में वह मेरे सामने बैठी थी, जहां मैंने उसके कई उड़ानों के बाद अब वापस लौटने के बारे में जाना। “बुरा ना मानें तो क्या मैं पूछ सकता हूं कि इतनी जल्दी वापसी का क्या कारण है”?  मैंने पूछा। नीचे देखते हुए उसने कहा, “अपनी बेटी की नशे की लत के कारण मैंने उसे आज नशा मुक्ति केंद्र में डाला है”।

मैंने विनम्रता से उसे अपने बेटे की हेरोइन ड्रग से संघर्ष की कहानी सुनाई और कहा कि कैसे यीशु ने उसे मुक्त किया था। यह सुनकर, आंखों में आंसू होते हुए भी वह मुस्कुराने लगी। विमान उतरने के बाद हमने परमेश्वर से उसकी बेटी की बेड़ियों को तोड़ देने के लिए प्रार्थना की।

बाद में मैंने 2 कुरिन्थियों 1: 3-4 में पौलुस के शब्दों के बारे में सोचा:”हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर…:। 

हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जिन्हें उस शांति से प्रोत्साहन पाने की आवश्यकता है जिसे केवल परमेश्वर दे सकते हैं। उनकी इच्छा है कि हम दयालु करुणा के साथ उनके पास जाकर उस प्रेम को साझा करें जिसे उन्होंने हमसे बांटा है। परमेश्वर आज हमें उन लोगों तक भेजें जिन्हें उनकी शांति की आवश्यकता है।