हमारी प्रवृति अपने विचारों से मेल खाती जानकारी खोजने की होती है। अनुसंधान दिखाते हैं कि अपनी स्थिति से मेल खाती जानकारी खोजने की संभावना वास्तव में दो गुना अधिक होती है। अपनी सोच के प्रति अत्यंत प्रतिबद्ध होने के कारण हम उन विचारों से बचते हैं जो हमारी स्थिति के प्रतिकूल हों।

इस्राएल के राजा अहाब ने और यहूदा के राजा यहोशापात ने गिलाद के रामोत  पर चढ़ाई की चर्चा की, तो अहाब ने अपने 400 भविष्यवक्ताओं को एकत्रित किया-जिन्हें उसने इस भूमिका के लिए स्वयं नियुक्त किया था, जो वही कहेंगे जिसे वह सुनना चाहता था-निर्णय में उसकी सहायता के लिए। उन्होंने उत्तर दिया चढ़ाई कर…(2 इतिहास 18:5)। यहोशापात के पूछने पर कि, क्या यहोवा का चुना और कोई नबी है जिससे पूछ लें?  इस्राएल के राजा ने यहोशापात से…(पद 7)। मीकायाह ने कहा…(पद 16)।

मैं देखती हूं कि उनकी कहानी के समान मैं भी कैसे,बुद्धिमानी से भरी सलाह से बचने की प्रवृति रखती हूं, यदि वह वो ना हो जिसे मैं सुनना चाहती हूं। अहाब का उसके “चापलूस”-400  भविष्यवक्ताओं-को सुनने का परिणाम-विनाशकारी हुआ (पद 34)। हम बाइबिल में परमेश्वर के वचन की सच्ची वाणी की खोज करें और उसे सुनने के लिए तैयार रहें भले ही वह हमारी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के विपरीत क्यों ना हो।