कोई भी और हर कोई
अल सल्वाडोर के देश ने अपनी राजधानी शहर के केंद्र में यीशु की एक मूर्ति रखकर उसे सम्मानित किया है । हालाँकि यह स्मारक व्यस्त यातायात परिपथ के बीच में है, लेकिन इसकी ऊँचाई इसे देखना आसान कर देता है, और इसका नाम- द डिवाइन सेवियर ऑफ द वर्ल्ड(The Divine Saviour of the World) - उसकी अलौकिक स्थिति के प्रति सम्मान का संचार करता है ।
स्मारक का नाम पुष्टि करता है कि बाइबिल यीशु के बारे में क्या कहती है (1 यूहन्ना 4:14) । वह ही है जो सभी को उद्धार देता है । यीशु सांस्कृतिक सीमाओं को पार करता है और किसी भी ईमानदार व्यक्ति को स्वीकार करता है जो उसे जानना चाहता है, उम्र, शिक्षा, जातीयता, पिछले पाप या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना ।
प्रेरित पौलुस ने प्राचीन दुनिया की यात्रा करते हुए लोगों को यीशु के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान के बारे में बताया । उसने इस अच्छी खबर को राजनीतिक और धार्मिक अधिकारियों, सैनिकों, यहूदियों, गैरयहूदियों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के साथ साझा किया । पौलुस ने समझाया कि कोई भी व्यक्ति “यीशु प्रभु है” की घोषणा करके मसीह के साथ एक सम्बन्ध स्थापित कर सकता है और यह विश्वास करते हुए कि परमेश्वर ने वास्तव में उसे मृतकों से जिलाया है (रोमियों 10: 9) । उसने कहा, ”जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह लज्जित न होगा . . . [और] जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा” (पद.11,13) l
यीशु आदर पाने के लिए दूर की छवि नहीं है; हमारे पास विश्वास के द्वारा व्यक्ति-से-व्यक्ति का संबंध होना चाहिए । हम उसके द्वारा प्रदान किए गए उद्धार के मूल्य को देख सकते हैं और आज उसके साथ एक आध्यात्मिक रिश्ते में आगे बढ़ सकते हैं ।
आग में
स्पेन में एक जंगल की आग ने, लगभग 50,000 एकड़ वनप्रदेश को झुलसा दिया । हालांकि, तबाही के बीच, लगभग 1,000 उज्ज्वल हरे सरू के पेड़ों(cypress trees) का एक समूह खड़ा रहा । पानी को धारण करने की पेड़ों की क्षमता ने उन्हें सुरक्षित रूप से आग को सहन करने दी थी ।
बाबुल/बेबीलोन में राजा नबूकदनेस्सर के शासनकाल के दौरान, दोस्तों का एक छोटा समूह राजा के क्रोध की ज्वाला से बच गया । शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने नबूकदनेस्सर द्वारा बनाई गई एक मूर्ति की पूजा करने से इनकार कर दिया, और उससे कहा, “हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखता है” (दानिय्येल 3:17) । क्रोध से भरकर, राजा ने भट्ठे को सातगुणा अधिक धधका दिया (पद.19) l
राजा के आदेशों को मानने वाले और मित्रों को आग में झोंकने वाले सैनिक सब जल गए, फिर भी दर्शकों ने शद्रक, मेशक और एबेदनगो को आग की लपटों के बीच “खुले हुए [टहलते] देखा l” कोई और भी भट्ठे में था - एक चौथा आदमी जो "ईश्वर पुत्र के सदृश” था (पद.25) l अनेक विद्वानों का यह मानना है कि वह यीशु का देहधारण से पूर्व का एक प्रगटन था ।
जब हम भय और आजमाईशों का सामना करते हैं तो यीशु हमारे साथ है । जिन क्षणों में हम दबाव में आकर हार मानने लगते हैं, हमें डरने की ज़रूरत नहीं है । हम हमेशा यह नहीं जान सकते कि परमेश्वर हमारी सहायता कैसे या कब करेगा, लेकिन हम जानते हैं कि वह हमारे साथ है । वह हमें हर उस "आग" के द्वारा जिसमें होकर हम जाते हैं हमें अपने प्रति वफादार रहने की शक्ति देता है ।
आप उसे पुनः देखेंगे
जब मैंने जैकी के बिस्तर के पास एक कुर्सी खींची, कमरे में कम रौशनी थी और कमरा शांत था l कैंसर के साथ तीन साल की लड़ाई से पहले, मेरी सहेली एक फुरतीली व्यक्ति थी l मैं अब भी उसे हंसती हुई देख सकती हूँ – जीवन से भरी आँखें, मुस्कराहट से चमकता हुआ उसका चेहरा l अब वह निःशब्द और शांत थी, और मैं एक विशेष देखभाल सुविधा केंद्र में उससे मिलने आई थी l
नहीं जानते हुए कि बोलना है, मैंने पवित्रशास्त्र के कुछ भाग पढ़ने का फैसला किया l मैंने अपने पर्स से अपनी बाइबल निकाली और 1 कुरिन्थियों से एक संदर्भ निकालकर पढ़ने लगी l
उससे मुलाकात के बाद अपनी खड़ी कार में अकेले में, मेरे मन में एक विचार आया जिसने मेरी आँखों के आँसू कम कर दिए : तुम उसे फिर देखोगी l अपने दुःख के बीच, मैं भूल गयी थी कि विश्वासियों के लिए मृत्यु केवल अस्थायी है (1 कुरिन्थियों 15:21-22) l मुझे पता था कि मैं फिर से जैकी को देखूँगी क्योंकि हम दोनों ने हमारे पापों की क्षमा के लिए यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान पर भरोसा किया था (पद.3-4) l जब यीशु अपने क्रूसीकरण के बाद जीवित हुआ, तो मृत्यु ने विश्वासियों को एक दूसरे से और परमेश्वर से अलग करने की अपनी अंतिम शक्ति खो दी l हमारे मरने के बाद, हम परमेश्वर के साथ पुनः स्वर्ग में रहेंगे और हमारे सभी आत्मिक भाई और बहन भी - हमेशा के लिए l
क्योंकि यीशु आज जीवित है, उसके विश्वासियों के पास नुक्सान और दुःख के समय में आशा है l जय ने मृत्यु को निगल लिया (पद.54) l
काम पर करुणा
मेरी दोस्त अनीता एक लेखा फर्म के लिए कुल वेतन भुगतान(payroll) की गणना करती है l यह एक सीधी नौकरी की तरह लग सकता है, लेकिन ऐसे समय होते हैं जब नियोक्ता अनुरोध के बाद देर से अपनी जानकारी जमा करते हैं l अनीता अक्सर इसकी पूर्ति के लिए लम्बे समय तक काम करती हैं ताकि कर्मचारी समय से अपना पैसा प्राप्त कर सकें l वह उन परिवारों के कारण विचार करती है जो किराने का सामान खरीदने, दवा खरीदने और आवास के लिए भुगतान करने के लिए उन आय श्रोतों(fund) पर निर्भर हैं l
अनीता का अपनी नौकरी के प्रति दयालु रवैया मुझे यीशु की ओर इशारा करता है l संसार में, उसने कभी-कभी लोगों की सेवा की जब वह उसके लिए असुविधाजनक था l उदाहरण के लिए, यूहन्ना बप्तिस्मा दाता के मारे जाने के बारे में सुनने के बाद मसीह कुछ समय अकेले रहना चाहता था, इसलिए वह एक अलग जगह की तलाश में एक नाव पर सवार हो गए (मत्ती 14:13) l शायद वह अपने रिश्तेदार के लिए शोक मनाना चाहता था और दुःख में होकर प्रार्थना करना चाहता था l
सिर्फ एक ही समस्या थी l उसके पीछे लोगों की भीड़ लगी l इस समूह की विभिन्न भौतिक ज़रूरतें थीं l लोगों को भेजना बहुत आसान होता, लेकिन “उसने निकलकर एक बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया, और उनके बीमारों को चंगा किया” (पद.14) l
हालाँकि यह लोगों को सिखाने और उनकी बीमारियों को ठीक करने के लिए यीशु की बुलाहट का हिस्सा था, उसकी सहानुभूति ने उसके काम करने के तरीके को प्रभावित किया जिसमें उसने अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया l परमेश्वर हमें अपने जीवन में उसकी करुणा को पहचानने में मदद करें और हमें उसे दूसरों तक पहुंचाने की शक्ति दें l
एक दिव्य युगल गीत
बच्चों के एक संगीत प्रस्तुति पर, मैंने एक शिक्षक और एक छात्र को एक पियानों के सामने बैठते देखा l उनका युगल गीत शुरू होने से पहले, शिक्षक झुक कर कुछ अंतिम मिनटों के निर्देशों को फुसफुसाया l जैसे ही संगीत वाद्ययंत्र से प्रवाहित हुआ, मैंने देखा कि छात्र ने एक सरल धुन बजाया, जबकि शिक्षक की संगत ने गीत में गहराई और अतिशोभा जोड़ दी l रचना के अंत के निकट, शिक्षक ने अपनी सहमति का इशारा किया l
यीशु में हमारा जीवन एक एकल प्रदर्शन की तुलना में ज़्यादातर युगल गीत की तरह है l कभी-कभी, हालाँकि, मैं भूल जाता हूँ कि वह “मेरे बगल में बैठा है,” और यह केवल उसकी सामर्थ्य और मार्गदर्शन से है कि मैं “बजा सकता हूँ l मैं अपने दम पर सभी सही तानों’ को बजाने की कोशिश करता हूँ – अपनी ताकत में परमेश्वर की आज्ञापालन करना चाहता हूँ, लेकिन इसका अंत आमतौर पर नकली और खोखला लगता है l मैं अपनी सीमित क्षमता के साथ समस्याओं को सँभालने की कोशिश करता हूँ लेकिन इसका परिणाम अक्सर दूसरों के साथ मतभेद होता है l
मेरे शिक्षक की उपस्स्थिति सम्पूर्ण फर्क डालती है l जब मैं अपनी सहायता के लिए यीशु पर भरोसा करता हूँ, तो मैं अपने जीवन को ईश्वर के प्रति अधिक सम्मानजनक पाता हूँ l मैं ख़ुशी से सेवा करता हूँ, स्वतंत्र रूप से प्यार करता हूँ, और आश्चर्यचकित हूँ जब परमेश्वर मेरे रिश्तों को आशीष देता हैं l यह उसी प्रकार है जैसे यीशु ने अपने पहले शिष्यों से कहा था, “जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है” (यूहन्ना 15:5) l
हर दिन हम अपने अच्छे शिक्षक के साथ एक युगल गीत गाते हैं – यह उसकी कृपा और सामर्थ्य है जो हमारे आध्यात्मिक जीवन का माधुर्य है l
बोलनेवाले केले
कभी हार न मानें l किसी के मुस्कुराने का कारण बनें l आप कमाल के हैं l यह नहीं कि आप कहाँ से हैं – आप जहां जा रहे हैं महत्वपूर्ण है l अमेरिका के एक स्कूल में कुछ स्कूली बच्चों ने अपने भोजनालय में इन संदेशों के साथ और संदेशों को केलों पर लिखा हुआ पाया l कैंटीन का प्रबंधक जिसका नाम स्टेसी था, ने फल पर इन उत्साहजनक नोट्स लिखने के लिए समय लिया, जिसे बच्चों ने “बोलनेवाले केले” करार दिया l
यह परवाह करने वाली पहुँच प्राचीन शहर अन्ताकिया में “आध्यात्मिक युवाओं” के लिए बरनबास का हृदय याद दिलाता है (प्रेरितों 11:22-24) l बरनबास लोगों को प्रेरित करने की अपनी क्षमता के लिए प्रसिद्ध था l एक अच्छे इंसान के रूप में जाना जाने वाला, विश्वास और पवित्र आत्मा से भरा हुआ, उसने नए विश्वासियों को “तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे” रहने के लिए प्रेरित किया” (पद.23) l मुझे लगता है कि वह उन लोगों के साथ समय बिताया जिनकी वह मदद करना चाहता था, इस तरह के शब्द कहते हुए कि : निरंतर प्रार्थना करते रहें l प्रभु पर भरोसा रखें l जब जीवन कठिन हो तो परमेश्वर के निकट रहें l
हममें से जो कुछ समय तक यीशु के साथ चले हैं समझते हैं कि यीशु के साथ जीना कितना कठिन हो सकता है l हम सभी को प्रोत्साहन देने और प्राप्त करने में सक्षम हों, जब परमेश्वर का आत्मा हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें आध्यात्मिक सत्य की याद दिलाता है l
मध्यस्थ प्रार्थना
एक शनिवार की दोपहर, मेरा परिवार और मैं दोपहर के भोजन के लिए एक स्थानीय रेस्टोरेंट में रुक गए। जैसे ही वेटर ने हमारे खाने को मेज पर रखा, मेरे पति ने ऊपर देखकर उसका नाम पूछा। तब उसने कहा, “हम भोजन करने से पहले एक परिवार के रूप में प्रार्थना करते हैं। क्या आज हम आपके लिए प्रार्थना कर सकते हैं? संजय, जिसका नाम अब हम जानते थे, उसने हमें आश्चर्य और चिंता के मिश्रण से देखा। थोड़ी देर की चुप्पी के बाद उसने हमें बताया कि वह हर रात अपने दोस्त के सोफे पर सोता है, उसका बाइक ख़राब हो गया है, और उसके पास पैसे नहीं है।
जब मेरे पति ने चुपचाप परमेश्वर से संजय के लिए प्रबंध करने और उसे अपना प्रेम दिखाने के लिए कहा, मैंने सोचा कि हमारी मध्यस्थ प्रार्थना उसी के समान होती है जब पवित्र आत्मा हमारे कारण को लेता है और परमेश्वर के साथ उसे जोड़ देता है। हमारी सबसे बड़ी जरुरत के क्षणों में – जब हमें अहसास होता है कि हम अपने दम पर जीवन को संभाल नहीं सकते हैं, जब हम यह नहीं जानते कि परमेश्वर से क्या कहना है, “[पवित्र आत्मा] पवित्र लोगों के लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुसार विनती करता है” आत्मा जो कहता है वह एक रहस्य है, लेकिन हमें आश्वासन मिला है कि यह हमेशा हमारे जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा के साथ ठीक बैठता है।
अगली बार जब आप परमेश्वर के मार्गदर्शन, प्रावधान और किसी और के जीवन में सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं, तो दयालुता का कार्य आपको याद दिलाए कि आपकी आध्यात्मिक ज़रूरतें भी परमेश्वर के समक्ष उठायी जा रही हैं जो आपका नाम जानता है और आपकी समस्याओं की परवाह करता है।
वह सब कुछ जानता है
हमारे घर में दो वर्षों तक एक पालतू मछली(fighter fish) थी l मेरी छोटी बेटी अक्सर झुककर उस टैंक में खाना डालते के बाद उसके साथ बातें करती थी l जब बालवाड़ी में पालतू जानवरों का विषय आया, तो उसने गर्व से दावा किया कि वह उसका है l आखिरकार, मछली मर गयी, और मेरी बेटी दुखित हुयी l
मेरी माँ ने मुझे सलाह दी कि मैं अपनी बेटी की भावनाओं को करीब से सुनूँ और उसे बताऊँ, “परमेश्वर इसके विषय सब कुछ जानता है l” मैं सहमत था कि परमेश्वर सब कुछ जानता है, फिर भी अचंभित हुआ, कि वह तसल्लीबक्श कैसे होगा? तब यह मेरे मन आया कि परमेश्वर केवल हमारे जीवनों की घटनाओं से अवगत ही नहीं है – वह दयापूर्वक हमारी आत्माओं में देखता है और जानता है कि वे हमें कैसे प्रभावित करते हैं l वह समझता है कि हमारी उम्र, पिछले घाव, या संसाधनहीन होने के आधार पर “छोटी चीजें” बड़ी चीजों के समान महसूस हो सकती हैं l
यीशु ने एक विधवा के दान का वास्तविक आकार - और दिल देखा – जब उसने मंदिर के एक दान पेटी में दो सिक्के डाले l उन्होंने बताया कि उसके लिए इसका क्या मतलब है जब उसने कहा, “इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़कर डाला है . . . इसने . . . अपनी सारी जीविका डाल दी है” (मरकुस 12:43-44) l
विधवा अपनी स्थिति के विषय शांत थी लेकिन यीशु ने पहचान लिया कि दूसरों ने जिसे एक छोटा दान समझा था वह उस विधवा के लिए बलिदान था l वह हमारे जीवन को उसी तरह से देखता है l काश हम उसकी असीम समझ में आराम पाएँ l
सुन्दरता के लिए समय
कई पश्चिमी देशों में दिसम्बर और जनवरी के सर्दियों के महीने कई हफ़्तों के लिए ठन्डे और नीरस होते हैं : बर्फ के टुकड़ों के बीच से निकलते मटमैले घास, धुंधला आसमान, और कंकाल वृक्ष l यद्यपि, एक दिन कुछ असामान्य रात भर में हुआ l तुषार ने बर्फ के क्रिस्टलों से सभी वस्तुओं पर एक आवरण बना दिया था l बेजान और निराशाजनक परिदृश्य एक सुन्दर दृश्य बन गया था जो सूरज के प्रकाश में चमक रहा था और जिसने मुझे चकाचौंध कर दिया l
कभी-कभी हम समस्याओं को उस कल्पना के बिना देखते हैं जिससे विश्वास विश्वास होता है l हम उम्मीद करते हैं कि दर्द, डर और निराशा हमें हर सुबह सलाम करेगा, लेकिन कुछ अलग होने की संभावना को नज़रंदाज़ करते हैं l हम परमेश्वर की शक्ति के द्वारा स्वास्थ्यलाभ, वृद्धि या जीत की उम्मीद नहीं करते हैं l फिर भी बाइबल कहती है कि परमेश्वर वह है को मुश्किल समय में हमारी मदद करता है l वह टूटे हुए दिलों को आरोग्य करता है और बंधन से लोगों को मुक्त करता है l वह विलाप करनेवालों के सिर पर “राख दूर करके सुन्दर पगड़ी [बांधता है] . . . हर्ष का तेल [लगाता है] और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना [ओढ़ाता है]” (यशायाह 61:3) l
ऐसा नहीं है कि परमेश्वर केवल तब ही हमें खुश करना चाहता है जब हमारे पास समस्याएँ हैं l यह है कि वह स्वयं ही परीक्षा के दौरान हमारी आशा है l भले ही हमें असली राहत पाने के लिए स्वर्ग की प्रतीक्षा करने पड़े, परमेश्वर हमारे साथ उपस्थित है, हमें उत्साहित कर रहा है और अक्सर हमें खुद की झलक दे रहा है l हमारे जीवन की यात्रा में, हम संत औगुस्टीन के शब्दों को समझ सकते हैं : “मेरे सबसे गहरे घाव में मैंने आपकी महिमा देखी, और उसने मुझे चकाचौंध कर दिया l”